फर्जी गवाहों के सहारे, एलडीए के प्लॉट्स की फर्जी रजिस्ट्री
लखनऊ (ब्यूरो)। अब एलडीए की ओर से फर्जी गवाहों को सामने लाने के लिए कई चरणों में तैयारियां तेज कर दी गई हैैं और इसके लिए टीमें भी बनाई जा रही हैैं। एलडीए की जांच पड़ताल में यह बात साफ हो चुकी है कि फर्जी गवाहों को लेकर लंबा खेल चल रहा है। जो लोग प्लॉट्स की फर्जी रजिस्ट्री करा रहे हैैं, उनकी ओर से ही डमी गवाहों को तैयार किया जा रहा है और इन्हें सीतापुर, बाराबंकी या अन्य शहरों से बुलाया जा रहा है। अभी यह तो स्पष्ट नहीं है कि इन्हें कितना हिस्सा दिया जाता है लेकिन यह साफ जरूर है कि इनकी भी कुछ एमाउंट तय होती है। फर्जी गवाह के रूप में उपस्थित होने के बाद ये वापस अपने-अपने शहरों में चले जाते हैैं। जिससे एलडीए इन तक नहीं पहुंच पाता है।
रजिस्ट्री ऑफिस से मांगा रिकॉर्ड
एलडीए की ओर से रजिस्ट्री ऑफिस से प्लॉट्स की रजिस्ट्री संबंधी डेटा मांगा गया है। सभी डेटा आने के बाद यह साफ हो जाएगा कि कितने ऐसे प्लॉट्स की रजिस्ट्री हुई है, जिनमें फर्जी गवाह लगाए गए हैैं। एलडीए की ओर से रजिस्ट्री में गवाह में उपस्थित रहे गवाहों को प्राधिकरण बुलाया जाएगा और उनसे क्रॉस क्वेश्चन किए जाएंगे। इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा कि रजिस्ट्री कराने वालों से गवाहों के क्या संबंध हैैं।
एलडीए की ओर से फर्जी गवाहों के बढ़ते मामलों को देखते हुए रजिस्ट्री ऑफिस को पत्र भी लिखा जा रहा है। जिसके माध्यम से कहा जाएगा कि अगर प्राधिकरण के किसी प्लॉट की रजिस्ट्री होती है और जो गवाह उसमें उपस्थित होते हैैं, उनका क्रॉस वैरीफिकेशन प्राधिकरण से जरूर कराया जाए। जिससे अगर फर्जी रजिस्ट्री हो रही है तो तत्काल उसे पकड़ा जा सके साथ ही फर्जी गवाहों के खिलाफ भी विधिक कार्रवाई की जा सके।
सभी प्लॉट्स की बनेगी कुंडली
वीसी के निर्देश के बाद एलडीए की सभी योजनाओं में प्लॉट्स की रजिस्ट्री के अभिलेख खंगालने का काम किया जा रहा है। इसकी वजह यह भी है कि टीपी नगर के साथ-साथ गोमतीनगर और जानकीपुरम में भी प्लॉट्स की रजिस्ट्री में खेल सामने आ चुके हैैं। इसको लेकर भी एलडीए की ओर से पूर्व में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसे ध्यान में रखते हुए ही अब नए सिरे से एक-एक प्लॉट की जांच कराई जा रही है। वहीं एलडीए प्रशासन की ओर से आवासीय योजनाओं में भी अवैध कब्जों को लेकर कुंडली तैयार कराई जा रही है। वजह यह है कि आवासीय योजनाओं में भी अवैध कब्जों के मामले सामने आ चुके हैैं।
डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए