सैलरी है सुविधा भी फिर मेरिट से ऑउट क्यों
-यूपी बोर्ड की मेरिट से नाम ऑउट होने पर जताई चिंता
- सभी राजकीय और एडेड स्कूलों से मांगा शिक्षकों का ब्यौरा -मेरिट में लगातार पिछड़ने पर बोर्ड के माथे पर चिंता की लकीरें shyamchandra.singh@inext.co.in LUCKNOW: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद यूपी बोर्ड ने पहली बार एक साथ अपने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट जारी किया। इस प्रक्रिया के शुरू करने के पीछे बोर्ड की मंशा यूपी बोर्ड के गिरते स्तर को उठाना था। एक ओर जहां यूपी बोर्ड के स्तर में सुधार होने का दावा किया जा रहा है। वहीं यूपी बोर्ड के सरकारी और एडेड स्कूल में शिक्षा का स्तर काफी गिरता जा रहा है। हाल यह है कि पिछले एक दशक में यूपी बोर्ड के रिजल्ट में सरकारी स्कूलों के बच्चे मेरिट से पूरी तरह से गायब हो गए हैं। इससे चितिंत होकर बोर्ड ने सभी राजकीय और एडेड स्कूलों से रिपोर्ट मांगी है।मेरिट में गिरावट आने से खलबली
यूपी बोर्ड ख्0क्भ् के इंटरमीडिएट और हाईस्कूल के एग्जाम रिजल्ट में एडेड स्कूलों का नाम मेरिट से बाहर रहा है। लगातार इन स्कूलों के गिरते स्तर से शिक्षा विभाग में खलबली मची है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने स्टेट के सभी एडेड स्कूलों से ऐसे रिजल्ट आने के पीछे का कारण जानने की प्रक्रिया शुरू की है। जिसके तहत बोर्ड ने सभी स्कूलों से शिक्षकों का लेखा-जोखा मांगा है। इसके लिए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को सभी राजकीय व एडेड स्कूलों में मौजूदा स्टाफ और खाली स्टॉफ का ब्यौरा मांगा है।
स्कूलों में लगातार गिर रहा शिक्षा का स्तर राजधानी में करीब एक दर्जन राजकीय व करीब 90 एडेड स्कूलों का संचालन किया जाता है। इन स्कूलों में एक अनुमान के अनुसार करीब पांच लाख के करीब स्टूडेंट्स शिक्षा प्राप्त कर रहे है। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए गवर्नमेंट व बोर्ड की ओर से वेल टे्रंड और हाइली क्वालीफाइड टीचर की नियुक्ति होती है। इसके बाद भी इन स्कूलों में लगातार पिछले कुछ सालों से शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। इतने योग्य टीचर होने के बाद भी राजधानी के एक भी राजकीय व एडेड कॉलेज का स्टूडेंट्स टॉप टेन तो क्या टॉप भ्0 में भी जगह नहीं बना पाया है। टीचर को हजारों रुपए की सैलरीस्टेट गवर्नमेंट की ओर से इन स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स को हजारों रुपए की सैलरी हर मंथ जारी की जाती है। लेकिन इसके बाद भी इन स्कूलों में वैसा रिजल्ट नहीं देखने को मिलता है जो निजी कॉलेजों में देखने को मिलता है। शासन की ओर से एलटी ग्रेड के टीचर को हर मंथ फ्भ् हजार से अधिक व लेक्चर पद पर नियुक्ति टीचर को ब्0 हजार रुपए से अधिक प्रतिमाह की सैलरी दी जाती है। लेकिन इन स्कूलों में टीचर्स को इतनी सैलरी मिलने के बाद भी बच्चों का रिजल्ट प्राइवेट कॉलेजों के आसपास नहीं ठहरता है।
बच्चों से मिल जाती है नॉमिनल फीस माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए फीस के नाम पर केवल कुछ रुपए ही लिए जाते है। इसके बाद भी इन स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का पढ़ाई में ध्यान काफी कम होता है। इंटरमीडिएट में एक स्टूडेंट्स से छह रुपए व हाईस्कूल में चार रुपए फीस ली जाती है। प्राइवेट कॉलेजों का मैनेजमेंट बेहतरदूसरी ओर प्राइवेट कॉलेज अपने टीचर्स को गवर्नमेंट टीचर की तुलना में कम सैलरी पेमेंट करते है। पर इन स्कूलों में पढ़ाई के लिए जो माहौल बनाया जाता है। उसी के कारण स्कूल का रिजल्ट बेहतर होता है। राजधानी में करीब म्00 सौ से अधिक प्राइवेट स्कूलों का संचालन यूपी बोर्ड के तहत होता है। जहां प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट 8भ् परसेंट रिजल्ट गया था। वहीं राजकीय व एडेट स्कूलों में यह रिजल्ट भ्म् परसेंट के आसपास ही रह गया।
भ्0000 हजार टीचर्स की कमी क्वींस इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। आरपी मिश्रा कहते है कि हमारे स्कूलों में टीचर्स के टैलेंट में कोई कमी नहीं है। हम भी स्टूडेंट्स पर उतनी ही मेहनत करते है जितनी प्राइवेट स्कूल वाले करते है। पर हमारे यहां स्कूलों में टीचर्स की काफी कमी है। जब से आरटीई लागू हुआ है। उस हिसाब से टीचर्स व स्टूडेंट्स रेसियों के हिसाब से हमारे स्कूलों में टीचर्स नहीं है। डॉ। मिश्रा बताते है कि पूरे स्टेट में करीब भ्0 हजार से अधिक टीचर्स की कमी है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर गिरना ही है। मेहनत में कोई कमी नहीं अमीनाबाद इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। जेपी मिश्रा कहते है ऐसा नहीं है सभी राजकीय व एडेड स्कूल का रिजल्ट खराब रहा है। हां, पिछले कुछ हमारे स्कूलों का रिजल्ट काफी सुधार हुआ है। नकल माफिया पर अगर पूरी तरह से रोक लगाने में कामयाबी मिल जाए तो बच्चों का रुख हमारे स्कूलों की तरफ हो, फिर हमारे स्कूलों का रिजल्ट भी काफी अच्छा होगा। वैसे बच्चें ही नहींराजकीय जुबली इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल देवकी सिंह बताते है कि एक समय था जब हमारे स्कूल में करीब पांच हजार से अधिक स्टूडेंट्स पढ़ते थे, लेकिन आज संख्या क्भ् सौ से भी कम है। जो बच्चे है वह लगातार स्कूल नहीं आते है। ऐसे में इन पर मेहनत करना पूरी तरह से बेकार हो जाता है। वह बताते है कि हमारे यहां ज्यादातर बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ कहीं न कहीं काम करते है। उनका मकसद केवल पास होना होता है। इसलिए वह पढ़ाई की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते है।
बोर्ड ने स्कूलों में मौजूदा स्टॉफ की रिपोर्ट मांगी है। ताकि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा सके। जिसे इन स्कूलों का बेहतर परिणाम आ सके। पीसी यादव, डीआईओएस, लखनऊ यूपी बोर्ड इंटर में गर्वनमेंट स्कूलों का परफॉरमेंस परसेंटज रिजल्ट 90-क्00 00 परसेंटज 80-90 ख् परसेंटज 70-80 9 परसेंटज म्0-70 क्ब् परसेंटज भ्0-म्0 फ्ब् परसेंटज ब्0-भ्0 ख्9 परसेंटज फ्भ्-ब्0 क्ख् परसेंट