कलियाखेड़ा गांव के हर घर में मातम
- कलियाखेड़ा गांव में छाया रहा मातम, किसी भी घर में नहीं जला चूल्हा
- मांता-पिता की इकलौती संतान सूरज की मौत, मां घंटों रही बेहोश - हादसे में महिला के सगे भाई और दो देवरों की भी चली गई जान lucknow@inext.co.in LUCKNOW : काकोरी चौराहे से 8 किमी की दूरी पर हाईवे किनारे स्थित कलियाखेड़ा गांव में शनिवार सुबह से ही मातम छाया था। गलियों में बड़ी संख्या में लोग जमा थे, जिनकी जुबां खामोश थी और आंखें नम थीं। बीच-बीच में इस खामोशी को महिलाओं के रोने और चीखने की आवाजें तोड़ रही थीं। शनिवार को गांव के किसी भी घर में चूल्हा तक नहीं जला। आलम यह था कि छोटे बच्चों को खाना खिलाने लोग रोड किनारे बने ढाबे में ले गए। मायके व ससुराल में एक साथ गमीविनोद की पत्नी सुषमा ने आंसू पोछते हुए बताया कि इस हादसे में तो उसका मायका और ससुराल दोनों उजड़ गए। रियल एस्टेट का काम करने वाले देवर प्रमोद और सतेन्द्र यादव की मौत हो गई, वहीं काकोरी के बुधडिया गांव में रहने वाले सगे भाई ज्ञानेंद्र यादव की भी मौत हो गई। सभी बालाजी मंदिर दर्शन करने गए थे।
मन्नत मांगने गए थेबुधडिया गांव निवासी भईया लाल यादव के बेटा ज्ञानेंद्र अपने बहनोई विनोद के छोटे भाई के साथ प्रॉपर्टी का काम करता था। प्रमोद ने उससे साथ में बालाजी के दर्शन करने चलने को कहा था। ज्ञानेंद्र के परिवार में पत्नी रीना और चार साल का बेटा अथर्व है। ज्ञानेंद्र की मां काफी दिनों से बीमार है। वह ठीक हो जाएं, यह मन्नत मांगने वह बालाजी मंदिर गया था। जाते समय उसने मां से कहा था कि जब लौटकर आऊंगा तो डॉक्टर के पास ले चलूंगा।
चला गया घर का दीपक कलियाखेड़ा गांव निवासी अभिमन्यू यादव का बेटा सूरज (13) माता-पिता की इकलौती संतान था। जैसे ही उसकी मौत की खबर मिली मां रामजानकी बेसुध हो गई और 10 घंटे तक उन्हें होश नहीं आया। पिता बेटे का शव लेने कन्नौज चले गए थे और बूढ़े दादा आसपास के लोगों से बार बार यही पूछते रहे, मेरा नवासा कब आएगा। गाड़ी में बहुत जगह है, मुझे भी ले चलोगांव वालों ने बताया कि सूरज कोकोरी के जेडी इंटर कॉलेज में 9वीं का छात्र था। प्रमोद यादव को वह बहुत चाहता था और उन्हें चाचा कहकर बुलाता था। शुक्रवार को जब प्रमोद बालाजी मंदिर जाने के लिए निकल रहे थे तो वह भी साथ चलने की जिद करने लगा। प्रमोद ने मना किया तो उसने कहा कि चाचा गाड़ी में बहुत जगह है, मुझे भी ले चलो। सूरज के परिजनों ने भी उसे प्रमोद के साथ भेज दिया। परिजनों को यह अंदाजा नहीं था कि अब उनका सूरज कभी वापस नहीं आएगा।