वसूली खुलेआम अफसर मेहरबान
- राजधानी के चौराहों पर खुलेआम जारी है ट्रैफिक पुलिस की वसूली का खेल
- जांच में दोषी पाए जाने पर भी नहीं होती कोई कार्रवाई - राजधानी में ट्रैफिक पुलिस कर रही करोड़ों की वसूली LUCKNOW: राजधानी में आउट स्कर्ट चौराहे पर ट्रकों से वसूली का बड़ा खेल खुलेआम चल रहा है। अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक वसूली के इस खेल के बारे जानते हैं। शिकायत बढ़ने पर एक्शन भी होता है, लेकिन एक्शन केवल कागजी खानापूर्ति तक सीमित रहता है। सीएम के रिश्तेदार से वसूली का मामला हो या फिर रंगेहाथ पकड़े जाने का, वसूली के गेम के इन खिलाडि़यों को कुछ नहीं बिगड़ा रहता है। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी उन्हें उस चौराहे से हटाकर दूसरे चौराहे पर तैनात कर दिया जाता है। ख्8 कैमरे के भरोसे वसूली रोकने का प्रयासवसूली को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन नए तरीके निकाल रही है तो दूसरी तरफ वसूली में लिफ्ट कर्मचारी और अधिकारी भी नए पैतरे खोज ले रहे हैं। लगातार शिकायत मिलने पर एसएसपी ने ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर को बॉडी वार्न कैमरे लगवा दिये, लेकिन महज ख्8 कैमरे ही पूरे शहर में कैसे निगाह रख सकते हैं जबकि चौराहों पर लगे सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे फेल हो रहे हैं। ख्8 कैमरे में ज्यादातर सिटी के उन इलाकों में है जहां बड़े वाहन आते ही नहीं और वसूली संभव नहीं है।
बदल रहा वसूली का तरीका चौराहे पर लगे सीसी कैमरे में कई बार वसूली करते रंगेहाथ पकड़े गए है ट्रैफिक सिपाही। कई बार जांच में फुटेज को सबूत भी बनाया गया, लेकिन वसूली के खेल में एक कदम आगे ट्रैफिक कर्मचारियों ने अब तरीका बदल दिया है। चौराहे पर न तो वसूली होती है और नहीं खुद ट्रैफिक कंट्रोलर पैसा वसूलता है। इसके लिए प्राइवेट लोगों को लगाया गया है जिसमें कई अवैध टैम्पो स्टैण्ड में काम करने वाले कर्मचारी शामिल है। करोड़ों का है वसूली का खेलसिटी के आउट स्कर्ट चौराहे पर ट्रकों के वसूली का खेल करोड़ों का है। बाहर से आने वाले ट्रकों से पांच सौ रुपये से लेकर पांच हजार तक वसूला जाता है। हर दिन तीन से चार लाख रुपये तक की अवैध वसूली होती है और वसूली वाले चौराहे पर ड्यूटी लगाने के लिए भी वसूली होती है। करोड़ों का खेल सालाना है और इसका हिस्सा भी नीचे से लेकर ऊपर तक पहुंचता है। अवैध वसूली के खेल की जानकारी पूरे डिपार्टमेंट को है और उच्च अधिकारी भी मानते है बाहर से आने वाली गाडि़यों से जबरन वसूली की जाती है।
कब-कब जांच में पाए गए दोषी - क्म् जुलाई समय क् बजे को इंजीनियरिंग कालेज चौराहे ट्रकों पर ट्रैफिक सिपाही वसूली करते पाये गये थे। वसूली का कैमरों में वीडियो फुटेज भी मिला था। जिसमें जांच के बाद सजा के तौर पर सिपाहियों को लाइन भेजा गया था जबकि इंचार्ज को मुख्यालय अटैच कर दिया गया। - ख्भ् मार्च को इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे के पास पंजाब और पटियाला की तरफ से आ रहे ट्रक से वसूली का मामला पकड़ा गया था। वर्तमान में तैनात टीएसआई ने क्क्-क्क् हजार की मांग की थी और पैसा न देने पर ट्रकों को पेपर होने के बाद भी सीज कर दिया गया था। इस मामले की शिकायत होने पर एएसपी ने जांच की थी और जांच में ट्रैफिक पुलिस कर्मी दोषी भी पाए गए थे।- डीजीपी जावीद अमहद ने अर्जुन गंज चौराहे पर ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर को वसूली करते रंगेहाथ पकड़ा था। जांच में पाया गया था दोषी ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी कहीं दूसरी जगह थी, लेकिन वह वसूली के चलते अर्जुनगंज चौराहे पर मौजूद था। इसके अलावा गाजीपुर थाना क्षेत्र में ट्रक ड्राइवर का ट्रैफिक सिपाहियों ने सिर तक फोड़ दिया था। इस मामले में शिकायत के बाद जांच कराई गई थी और जांच में ट्रैफिक पुलिस कर्मी दोषी पाए गये थे।
वसूली के प्रमुख प्वाइंट क्। बारा बिरवा ख्। एयरपोर्ट से शहीद पथ चौराहे फ्। अर्जुनगंज ब्। चिनहट मटियारी चौराहा भ्। इंदिरा नहर (गोयल अपार्टमेंट) म्। मुंशी पुलिया 7. टेढ़ी पुलिया 8. इंजीनियरिंग कालेज चौराहा 9. छठा मिल चौराहा क्0. हरदोई रोड अंधे की चौकी वसूली रोकने के उपाय - चौराहे पर लगे सीसी टीवी कैमरे - ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर को दिये गये बॉडी वार्न कैमरे - ख्8 ट्रैफिक सिपाही की संख्या टीआई - 0क् टीएसआई - 0ख् एएसआईटी - 07 हेड कांस्टेबल - क्ब्7 कांस्टेबल - फ्म्ख्