लखनऊ से करीब 28 किमी दूर मलिहाबाद अपने आमों के लिए देश-दुनिया में मशहूर है। यहां 30 हजार हेक्टेयर से अधिक इलाके में आमों की पैदावार होती है। यहां का आम गल्फ कंट्रीज समेत कई अन्य देशों में भी जाता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। गर्मियां आते ही आमों का सीजन शुरू हो जाता है। जहां लोग दशहरी, चौसा, लंगड़ा, सफेदा आदि का इंतजार करते हैं। मलिहाबाद के दशहरी आमों की मुरीद तो पूरी दुनिया है। इसबार आम की पैदावार भी ज्यादा हुई है। पर आंधी-तूफान और बारिश की वजह से आमों को काफी नुकसान पहुंचा है। किसानों की माने तो इसकी वजह से करीब 25-30 फीसदी पैदावार का नुकसान हुआ है। अगर आगे भी आंधी-बारिश हुई तो नुकसान की भरपाई भी मुश्किल हो जायेगी। अधिकारियों की माने तो इसबार आम की फसल 45-50 लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है।30 पर्सेंट तक का हुआ नुकसान


लखनऊ से करीब 28 किमी दूर मलिहाबाद अपने आमों के लिए देश-दुनिया में मशहूर है। यहां 30 हजार हेक्टेयर से अधिक इलाके में आमों की पैदावार होती है। यहां का आम गल्फ कंट्रीज समेत कई अन्य देशों में भी जाता है। वहीं, किसान नजीम उल्लाह खान ने बताया कि आंधी-तूफान की वजह से इसबार आम की फसल को करीब 25-30 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। जो आम अभी गिरा है, वह मार्केट में करीब 5-6 रुपये किलो में बिक रहा है। जिसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि, बीते साल के मुकाबले इसबार आम की पैदावार बढ़ी है। बीते साल सौ आमों के पेड़ में महज 5-6 में ही आम आये थे, जिससे सभी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। पर इसबार हर पेड़ पर आम देखने को मिल रहा है।जून के पहले हफ्ते से आवकसामान्य तौर पर पाल की दशहरी की पहली खेप मई के आखिरी हफ्ते से आना शुरू हो जाती है और जून के पहले सप्ताह के बाद डाल वाला आम आना शुरू हो ताजा है। हालांकि, इस बार आवक में देरी हुई है। एक्सपट्र्स की माने तो तापमान का अधिक होना और बारिश का अधिक न होना इसकी बड़ी वजह है। किसान राम कुमार यादव के मुताबिक, पाल वाला दशहरी आम 5-6 जून तक मार्केट में आ सकता है, जबकि डाल वाला अच्छी क्वालिटी का आम 10 जून तक मार्केट में आने की उम्मीद है। इसबार आम के दाम न बहुत ज्यादा और न ज्यादा कम होंगे, यानि आम के चाहने वालों को जेब ज्यादा नहीं ढीली करनी पड़ेगी।अचार के काम आयेगा

व्यापारी सऊद रईस के मुताबिक, आंधी के कारण जो आम गिरे हैं, वे चोटिल हुए हैं या फट गए हैं। ये आम आमतौर पर अचार बनाने के काम आते हैं। इसबार नुकसान ज्यादा होने से इनके दाम बहुत गिर गये हैं। पर इसके बावजूद इसको खरीदार नहीं मिल रहे हैं, जिससे व्यापारियों को भी नुकसान हो रहा है। खासतौर पर उनको जिन्होंने आम के बाग खरीद रखे थे। अगर दोबारा आंधी-तूफान आ गया तो नुकसान की कल्पना नहीं की जा सकती।दशहरी की फसल को हुआ नुकसानडॉ। राजीव वर्मा, मुख्य उद्यान विशेषज्ञ, मलिहाबाद ने बताया कि आम की पैदावार बीते चार-पांच साल के मुकाबले इसबर सबसे अच्छी हुई है। पर बीते समय कई बार आई आंधी और पानी की वजह से दशहरी की फसल का काफी नुकसान हुआ है। इसकी वजह से करीब 30-35 फसदी फसल का नुकसान हुआ है। अगर नुकसान की बात की जाये तो जो बाग बिल्कुल बाहर थे, उनको नुकसान अधिक हुआ है। वहीं, जो बाग अंदर व घने एरिया वाले थे उनको नुकसान कम होता है। इसके अलावा ऊंचाई पर लगने वाले आम भी आंधी के कारण जल्दी गिर जाते हैं। ऐसे में आम की फसल के नुकसान का सही आंकलन कर पाना थोड़ा कठिन हो जाता है।दूसरी फसल की पैदावार अच्छी

डॉ। राजीव के मुताबिक, दशहरी आमों की फसल इसबार अच्छी है। ऐसे में आमों के दाम इसबार सामान्य ही रहेंगे। इसके अलावा, आम की दूसरी वैराइटी जैसे चौसा व आम्रपाली की पैदावार अच्छी हुई है, जिसके मार्केट में अच्छे दाम मिलेंगे। बीते साल के मुकाबले नुकसान कम ही कहा जायेगा। मार्केट में पके आम 25-30 रुपये प्रति किलो तक मिल सकते हैं।आंधी-बारिश से आम की फसल का करीब 30-35 फीसदी नुकसान हुआ है। पर बीते पांच सालों में सबसे अच्छी पैदावार हुई है। आमों के दाम इसबार सामान्य रहने की उम्मीद है।-डॉ। राजीव वर्मा, मुख्य उद्यान विशेषज्ञ, मलिहाबाद

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