तो क्या तहरी और खिचड़ी खाकर बच्चे बनेंगे तंदरुस्त!
लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर अब मंहगाई की मार पड़ी है। दाल, सब्जी से लेकर तेल व गैस सब मंहगा हो चुका है, लेकिन बजट वही पुराना वाला है। ऐसे में मिड-डे-मील प्राधिकरण को केंद्र सरकार की ओर से बजट बढ़ाए जाने का इंतजार है। वहीं, सवाल यह है कि अगर बजट नहीं बढ़ता है तो क्या तहरी और खिचड़ी खाकर ही बच्चे तंदरुस्त होंगे, क्योकि सबसे कम बजट में यही भोजन बन सकता है।1.86 करोड़ बच्चों को मिलता है भोजनप्रदेश के स्कूलों में करीब 1.86 करोड़ बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराया जाता है। लखनऊ में इसकी जिम्मेदारी संस्था अक्षयपात्र के पास है। जबकि अन्य जिलों में ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी पर प्रिंसिपल की निगरानी में बच्चों को भोजन दिया जाता है।हो रहा कमीशन का खेल
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं कि लखनऊ में अक्षयपात्र संस्था बच्चों को भोजन खिला रही है। ग्रामीण अचलों में अभी कुछ जगहों पर रसोईयों की व्यवस्था थी, वहां समस्या हो रही थी। इन जगहों पर प्रधान की देखरेख में शिक्षकों से व्यवस्था करवाई जाती है। कई जगहों पर तो प्रधान कमीशन खाते हैं।
दो सालों से नहीं बढ़ा बजटमध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता के लिए 2020 में बजट बढ़ा था। वर्तमान में प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए कन्वर्जन कास्ट की दर 4.97 रुपए प्रति छात्र प्रतिदिन और अपर प्राइमरी के बच्चों के लिए 7.45 रुपए प्रति छात्र प्रतिदिन है। यह दर अप्रैल 2020 में लागू की गई थी। ऐसे में मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि जब केंद्र सरकार सुध लेगी तभी बच्चों के भोजन की गुणवत्ता सुधरेगी।किस दिन कौन सा भोजनसोमवार- रोटी, सब्जी एवं ताजा फलमंगलवार- चावल, दालबुधवार- तहरी, खीरगुरुवार- रोटी, दालशुक्रवार- तहरी, खीरशनिवार- चावल, सब्जीइस तरह बढ़े सामान के रेट- अरहर पहले 80 अब 120 रुपये प्रति किलो- अधिकांश हरी सब्जियों के दाम फुटकर में बढ़े- गैस सिलेंडर के दाम 987.5 रुपये पहुंचे हैं- तेल 180 रुपए प्रति लीटर के करीब पहुंचा