शर्म करिए, आप तो महामारी में भी भूल गये मानवता
- कोविड मरीजों को दवाई और खाना देने के लिए वसूली मोटी रकम
- अपनों का ख्याल रखने के लिए कर्मचारियों को चढ़ाते हैं चढ़ावा LUCKNOW: कोविड महामारी के बीच अपनों की जिंदगी बचाने के लिए तीमारदार कोई कसर छोड़ नहीं रहे हैं। उनकी इसी बेबसी का फायदा कदम-कदम पर उठाया जा रहा है। तीमारदारों को दवाई, इंजेक्शन, ऑक्सीजन सिलिंडर और निजी अस्पताल में भर्ती के दौरान भुगतान पर जगह-जगह ठगा जा रहा है। इतना ही नहीं तीमारदारों को अपने कोविड पेशेंट तक दवाइयां, खाना और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों को चढ़ावा चढ़ाना पड़ रहा है। पेश है एक रिपोर्ट। केस नंबर एक। मरीज की देखभाल को देने पड़े अलग से पैसेमहानगर में रहने वाले एक रिटायर्ड अधिकारी को कुछ दिन पहले कोविड संक्रमण के चलते महानगर स्थित एक फेमस प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया गया था। कोविड संक्रमण के चलते उनकी हालत दिन पर दिन खराब होने लगी और उन्हें वेंटीलेटर में शिफ्ट किया गया। ऐसे में उनके परिजन अंदर नहीं जा सकते थे। ऐसे में उनकी अच्छे से देखभाल के लिए वहां के एक कर्मचारी से संपर्क किया। कर्मचारी ने हर दिन के हिसाब से पैसों की मांग की। अपने मरीज की अच्छी देखभाल और जरूरी सामान उन तक पहुंचाने के लिए परिजनों ने कर्मचारी की मांग को स्वीकार कर लिया। हालांकि कुछ दिन बाद रिटायर्ड अधिकारी की मौत हो गई। उसके बाद कर्मचारी ने पैसों के लालच में उनके शव को हॉस्पिटल से काफी देर में बाहर निकाला।
केस नंबर दो। कर्मचारी को दिये रोजाना एक हजार कृष्णानगर इंद्रलोक कॉलोनी में रहने वाले जितेंद्र श्रीवास्तव की मां कोविड संक्रमित थीं। जितेंद्र उस समय मुंबई में थे। उनकी मां के छोटे भाई संजय भी संक्रमित थे। मां की हालत दिन पर दिन खराब होने लगी तो ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उन्हें वजीरगंज स्थित एक सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उन्हें ऑक्सीजन लगाया गया, लेकिन उलझन के चलते वह अक्सर ऑक्सीजन पाइप निकाल देती थी, जिससे उनकी हालत बिगड़ने लगती थी। परिजनों ने वहीं काम करने वाली एक महिला कर्मचारी से संपर्क किया। वह 24 घंटे मां की निगरानी, दवाइयां व खाना खिलाने के बदले हर दिन एक हजार रुपये देते थे। हालांकि चार दिन बाद बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। केस नंबर तीन। मजबूरी को उठाया भरपूर फायदाइंदिरानगर में रहने वाली छवि बाजपेई बताती हैं कि मेरी छोटी बहन के हसबैंड हजरतगंज स्थित एक सरकारी हॉस्पिटल में एडमिट थे। सीएमओ ने दूसरे अस्पताल में रेफर किया था। मैंने काफी भागदौड़ की, लेकिन किसी हॉस्पिटल में बेड नहीं मिल पाया। उस दौरान बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ा। मरीज के साथ हम लोग नहीं रह सकते थे और मरीज तक कुछ भी पहुंचाने में काफी मुश्किल होता थी, जिसका फायदा अस्पताल का स्टाफ उठा रहा था। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती हूं, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।
बॉक्स ख्याल रखने के नाम पर वसूली कोविड हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज तो चल रहा है, लेकिन तीमारदारों को उनके नजदीक जाने की मनाही है। इसी का फायदा हॉस्पिटल के कुछ कर्मचारी उठा रहे हैं। उन्हें समय से दवाई देने, इलाज के साथ खाना-पानी और ख्याल रखने के नाम पर तीमारदारों से वसूली की जा रही है। जानकारों की मानें तो हर दिन पांच सौ से लेकर एक हजार रुपये तक वसूली का खेल चल रहा है। वहीं अस्पताल प्रशासन के उच्च अधिकारी सब कुछ जानकर भी अनजान बने हैं।