लखनऊ में भी कोचिंग सेंटर्स में सेफ्टी मानकों की हो रही अनदेखी
लखनऊ (ब्यूरो)। दिल्ली के राजेंद्र नगर में बेसमेंट में स्थित आईएएस कोचिंग में तीन स्टूडेंट्स की पानी में डूबने से हुई मौत ने लोगों को झकझोर दिया है। वहीं, पांच साल पहले सूरत के एक कोचिंग सेंटर में लगी आग में 22 बच्चों के जिंदा जलने की घटना भी जिम्मेदार शायद भूल गए। यह हाल केवल दिल्ली, सूरत या देश के अन्य शहरों का ही नहीं है बल्कि लखनऊ में भी ऐसे कई कोचिंग सेंटर्स हैं, जहां न केवल बेसमेंट में क्लासेज चल रही हैं बल्कि यहां बच्चों की सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं हैं। राजधानी में कई कोचिंग सेंटर्स भी ऐसे हादसों की चपेट में आ चुके हैं, पर जिम्मेदार अफसर कागजी एक्शन करके हादसे को भूल जाते हैंथ्री लेयर का खतरा हर समय मंडराता रहता है
दिल्ली की तरह ही राजधानी लखनऊ के हजरतगंज समेत कई इलाकों में बड़े-बड़े कोचिंग सेंटर्स बेसमेंट में चल रहे हैं। बेसमेंट में हजारों स्टूडेंट्स हर दिन सुबह से शाम तक न केवल क्लासेज लेते हैं बल्कि यहीं अपना ज्यादातर टाइम भी बिताते हैं। यहां उनपर आग, पानी और बिजली का खतरा हमेशा मंडराता रहता है। कभी यहां वॉटर लॉगिंग की शिकायत सामने आती है, तो कई बार खुले तार बिजली का झटका देने या शार्ट सर्किट से आग लगने का रिस्क भी पैदा करते हैं।कोचिंग सेंटर्स में सेफ्टी मानकों की अनदेखीहजरतगंज, महानगर, विकास नगर और कृष्णा नगर इलाके में सबसे ज्यादा कोचिंग सेंटर्स हैं। ज्यादातर कोचिंग कॉमर्शियल व रेंजीडेंशियल बिल्डिंग में चल रही है। जहां बेसमेंट तक का यूज स्टूडेंट्स के लिए क्लासेज व इंक्वायरी के लिए किया जा रहा है। पतली व संकरी सीढ़ी ही नहीं, बिल्डिंग में खुले बिजली के तारों का मकड़जाल हर वक्त हादसों को दावत देता है। यहां एक ही सीढ़ी आने-जाने के लिए इस्तेमाल होती है।जानिए कोचिंग सेंटर में क्या व्यवस्था होनी चाहिए- पूरे प्लॉट में नहीं बना सकते बिल्डिंग।- शैक्षणिक बिल्डिंग का ग्राउंड एरिया 65 फीसदी खाली होना चाहिए। - इसका फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) 150 फीसदी तय किया गया है।- अगर आपके पास 200 वर्ग मीटर का प्लॉट है तो ग्राउंड फ्लोर पर 70 वर्ग मीटर (100 वर्ग मीटर का 35 फीसदी) में ही बिल्डिंग बना सकते हैं। शेष 130 वर्ग मीटर खाली छोड़ना होगा।- पहली मंजिल पर पूरे 70 वर्ग मीटर में बिल्डिंग बना सकते हैं। इस तरह से 35 फीसदी कवर हो गया। इसी अनुपात में आप ऊपर की मंजिल बना सकते हैं।क्या होने चाहिए कोचिंग सेंटर्स मेंं सेफ्टी मानक
- दो गेट होने चाहिए, दो सीढ़ियां होनी चाहिए।- शैक्षणिक बिल्डिंग की सीढ़ी की चौड़ाई कम से कम 1.5 मीटर होनी चाहिए।- शैक्षणिक बिल्डिंग में कम से कम 2 मीटर चौड़ी लॉबी होनी चाहिए।एनओसी के मानक- 3 साल के लिए दी जाती है कामर्शियल बिल्डिंग को एनओसी।- 5 साल के लिए दी जाती है रेजीडेंशियल बिल्डिंग को एनओसी।9 पार्ट में होते हैं मानककिसी भी बिल्डिंग की एनओसी का मानक 9 पार्ट में होता है। कामर्शियल बिल्डिंग का क्राइटेरिया अलग-अलग है। ज्यादातर कोचिंग सेंटर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स और बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसमें असेंबली बिल्डिंग, ग्लास बिल्डिंग, ओपन बिल्डिंग समेत अन्य मानक हैं। 500 वर्ग मीटर क्षेत्र वाली बिल्डिंग में 2 से 3 सीढ़ियां होनी जरूरी हैं।300 बिल्डिंग को नोटिसशहर में कई बिल्डिंग बिना फायर एनओसी के खड़ी हैं। बिल्डिंग ओनर दूसरे डिपार्टमेंट से एनओसी लेकर बिल्डिंग बना लेते हैं, लेकिन फायर एनओसी नहीं लेते हैं। फायर व जिला प्रशासन की तरफ से संबंधित डिपार्टमेंट को लेटर लिखा गया है कि वह पहले फायर एनओसी देखें, इसके बाद ही अन्य एनओसी जारी करें।ये विभाग हैं जिम्मेदारबिजली विभाग
कोचिंग काम्प्लैक्स में बिजली के तारों का जाल फैला है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी इन्हें ठीक करने की है, लेकिन विभाग कभी निरीक्षण करने नहीं पहुंचता।नगर निगम व एलडीएकिसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी होती है। समय-समय पर वह चेकिंग करें तो बिल्डिंग के हालत का खुलासा हो सकता है।जिला प्रशासनजिला प्रशासन की ओवरऑल जिम्मेदारी है। कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं।फायर डिपार्टमेंटकामर्शियल-रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों व फायर की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है। हालांकि, फायर डिपार्टमेंट ने करीब 300 ऐसी बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है।काम्प्लैक्स के लिए मानक- सेट बैक (मोटरेबल)- सेट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किंग स्पेस)- फायर एग्जिट- पलायन मार्ग की स्पष्टता- पलायन मार्ग की डिस्टेंस- वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था- आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था- बेसमेंट में रैंप की व्यवस्थाबिल्डिंगों में सुरक्षा के लिए- फायर एक्सटिंग्यूशर- डाउन कमर सिस्टम- यार्ड हाइडेंट सिस्टम- आटोमेटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम- आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम- मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम- अंडरग्राउंड वाटर टैंक- ओवरहेड वाटर टैंक
लखनऊ में कब-कब हुए कोचिंग सेंटर्स में हादसे2 मई 2023जागरण चौराहा स्थित वाईएमसीए बिल्डिंग के सेकंड फ्लोर पर स्थित एक कोचिंग सेंटर के ऑफिस में अचानक आग लग गई थी। फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। इस आग में फर्नीचर, एसी समेत अन्य सामान जलकर राख हो गया।2 जून 2024हजरतगंज में नवल किशोर रोड पर तीन मंजिला स्कॉलर्स फोरम टॉवर के पहले तल पर एक कोचिंग सेंटर में छात्र-छात्राएं आईआईटी और नीट की तैयारी के लिए पढ़ाई करते थे। दूसरी और तीसरी मंजिल पर हॉस्टल थे। दूसरी मंजिल के हॉस्टल में 14 कमरों में कुल 28 छात्राएं रह रहीं थी। कोचिंग सेंटर के एसी में शॉर्ट सर्किट से धमाका हो गया। इसके बाद हॉस्टल में आग लग गई।3 नंबर 2022हजरतगंज में प्रिंस कांप्लेक्स में चौथे तल पर एक दुकान में शार्ट सर्किट से आग लग गई। देखते-देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। इस बीच पड़ोस में कोचिंग चल रही थी। धुआं चौथे तल समेत कई अन्य तलों में फैल गया।6 सितंबर 2022हजरतगंज के शाहनजफ रोड स्थित कैलाश कला बिल्डिंग के दूसरे तल पर स्थित एक कोचिंग में बिजली मीटर में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी। जिस समय कोचिंग में आग लगी, उस समय कोचिंग में 50 से अधिक बच्चे मौजूद थे। फायर एक्सटिंग्विशर से आग पर काबू पाने के लिए कोशिश की गई। वहीं, कोचिंग में लगी खिड़कियों के कांच तोड़ कर धुंए को निकाला गया।28 अप्रैल 2022गाजीपुर के लेखराज खजाना मार्केट के कोचिंग सेंटर में आग लग गई। कोचिंग सेंटर बिल्डिंग के तीसरी मंजिल पर संचालित किया जा रहा है। आग लगने के दौरान तीन महिलाएं, दो पुरुष और एक बच्चा फंस गए थे। फायर ब्रिगेड कर्मचारियों ने उन्हें रेस्क्यू कर बचाया था।