Lucknow News: स्कूल प्रबंधक निजी वाहन स्वामी की जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार का बहाना बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। वहीं आरटीओ अधिकारी स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार बता उन्हें नोटिस थमा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडराता रहता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने वाली हैं और बच्चों के स्कूल खुलने वाले हैं। बड़ी संख्या में बच्चे स्कूली वाहनों से स्कूल जाएंगे, पर कई वाहन बिना फिटनेस और परमिट के ही सड़क पर दौड़ रहे हैं। स्कूल प्रबंधक निजी वाहन स्वामी की जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार का बहाना बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। वहीं, आरटीओ अधिकारी स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार बता उन्हें नोटिस थमा कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडराता रहता है।फिर हालात जस के तस हो जाते हैं


राजधानी में करीब 60 हजार से अधिक स्कूली छात्र विभिन्न साधनों से स्कूलों जाते हैं। कई बार स्कूली वाहनों के दुर्घटना की खबर सामने आती हैं, जिसके बाद आरटीओ अभियान तो चलाता है, लेकिन कुछ दिनों के बाद सब पहले जैसा हो जाता है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूलों में गेट पर कैमरा व गार्ड की तैनाती होनी चाहिए। साथ ही बस में कंडक्टर के साथ एक टीचर का होना जरूरी है। इसके अलावा स्कूली वाहन को परिसर में होना चाहिए, जबकि निजी स्कूली वाहनों में सीसीटीवी, खिड़की पर रॉड, परमिट आदि होना चाहिए। हालांकि, कई जगहों पर इन नियमों का कोई पालन नहीं होता है, जिसका खामियाजा स्कूली छात्र उठाते हैं।

आउटसोर्स वाहनों की जिम्मेदारी नहींअनिल अग्रवाल, प्रेसिडेंट, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन बताते हैं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर हम लोग पूरी तरह से गंभीर हैं। गेट पर कैमरों के साथ गार्ड की ड्यूटी होती है। स्कूली ट्रांसपोर्ट को परिसर में ही एंट्री करवाते हैं। हालांकि, हम लोग आउटसोर्स वाहनों के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं। इसके लिए पैरेंटस को जिम्मेदारी लेना चाहिए, पर गेट पर ऐसे वाहनों से आने वाले बच्चों की अटेंडेंस लेने का काम किया जाता है।भ्रष्टाचार एक बड़ा कारणअनिल अग्रवाल आगे बताते हैं कि वाहनों के फिटनेस और रजिस्ट्रेशन के लिए इतने एक्स्ट्रीम नार्म्स बनाये हुए हैं कि उनको पूरा करने के लिए फीस तो ज्यादा लगती ही है। उससे ज्यादा पैसा तो रिश्वत देने में लग जाता है। क्योंकि फिटनेस के दौरान बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं होता है। इसको लेकर कई बार शिकायत की गई लेकिन, कुछ होता नहीं हुआ। इन दिक्कतों के कारण करीब 90 पर्सेंट स्कूलों ने ट्रांसपोर्टेशन हटा दिया है और अधिकतर प्राइवेट लोग यह काम कर रहे हैं। स्कूल मैनेजमेंट हर चीज के लिए जिम्मेदार नहीं है।बच्चों की पूरी जानकारी रखते हैं

वरदान इंटरनेशनल एकेडमी की सह-निदेशक और पिं्रसिपल ऋचा खन्ना बताती हैं कि स्कूल से कोई ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं है, पर इसके बावजूद इंश्योर करते हैं कि जो स्टूडेंट्स आ रहे हैं, वे विभाग द्वारा तय किए गये नार्म्स को पूरा कर रहे हैं। हाल ही में डीआईओएस ऑफिस में भी इसको लेकर बैठक हुई थी। साथ ही हम पैरेंट्स को भी अवेयर करते हैं कि जिन वाहनों से उनके बच्चे स्कूल आ रहे हैं उसके बारे में पूरी जानकारी रखें। उन वाहनों का फिटनेस, परमिट समेत अन्य नार्म्स पूरे हों, यह देखना बेहद जरूरी है।समिति देखेगी पूरा कामआरटीओ-प्रशासन उदय वीर सिंह ने बताया कि फिटनेस सेंटर पर जांच के लिए स्कूली गाड़ियां लगातार आ रही हैं। मैं खुद मौके पर जाकर पूरी व्यवस्था को देखता हूं ताकि वाहन स्वामियों को कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा दो-तीन लोगों की समिति बनाई गई है जो अगले कुछ दिनों तक फिटनेस जांच को मॉनिटर करेगी। अगर कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच कराकर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। स्कूली वाहन स्वामियों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है।
फिटनेस सेंटर पर लगातार स्कूली वाहन आ रहे हैं। मैं मौके पर खुद व्यवस्था देख रहा हूं। समिति भी बनाई गई है ताकि कोई समस्या न हो। शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।-उदय वीर सिंह, आरटीओ-प्रशासनहम समय-समय पर डीएम की अध्यक्षता में स्कूल प्रबंधकों के साथ मीटिंग करते हैं, ताकि स्कूलों में जो वाहन आते हैं वहां पार्किंग की व्यवस्था हो। बच्चों की सुरक्षा को लेकर हम दिशा-निर्देश देते रहते हैं।-राकेश कुमार पांडे, डीआईओएसस्कूल गेट पर सीसीटीवी के साथ गार्ड की तैनाती रहती है। स्कूली वाहनों के नॉर्म्स बहुत एक्स्ट्रीम हैं और भ्रष्टाचार भी है। ऐसे में हर मामले में स्कूलों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।-अनिल अग्रवाल, प्रेसिडेंट, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशनबच्चों की सुरक्षा को लेकर हम पैरेंट्स को अवेयर करते रहते है। साथ ही दूसरे वाहनों से आने वाले बच्चों की पूरी जानकारी करते हैं। वे सभी नियमों को फॉलो हो रहे हैं या नहीं, इसे भी देखते हैं।-ऋचा खन्ना, सह-निदेशक व प्रिंसिपल, वरदान इंटरनेशनल एकेडमीक्या बोले पैरेंट्सबच्चों की सुरक्षा हम लोगों के लिए बड़ा कंसर्न है। पैरेंट्स की भी जिम्मेदारी है कि उनका बच्चा जिस वाहन से स्कूल जा रहा है, उसके बारी में पूरी जानकारी रखें।-गीतिका मीरपुरीमेरे बच्चे स्कूली वाहन से जाते हैं। उनकी सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। ड्राइवर सही से गाड़ी चलाये, यह सुनिश्चित होना चाहिए। लापारवाही पर कड़ी कार्रवाही होनी चाहिए।
-इंदु चतुर्वेदी

Posted By: Inextlive