Pitru Paksha 2024 in Lucknow: पितृपक्ष इस वर्ष 18 सितंबर दिन बुधवार से आरंभ हो रहा है। सुबह 8:41 मिनट तक पूर्णिमा तिथि है। उसके बाद पितृपक्ष आरंभ हो जाएगा। ऐसे में उसी दिन से पितृ तर्पण व पिंडदान आदि कार्य आरंभ हो जाएंगे जबकि पितृविसर्जन 2 अक्टूबर बुधवार को है।


लखनऊ (ब्यूरो)। पितृपक्ष इस वर्ष 18 सितंबर दिन बुधवार से आरंभ हो रहा है। सुबह 8:41 मिनट तक पूर्णिमा तिथि है। उसके बाद पितृपक्ष आरंभ हो जाएगा। ऐसे में उसी दिन से पितृ तर्पण व पिंडदान आदि कार्य आरंभ हो जाएंगे, जबकि पितृविसर्जन 2 अक्टूबर बुधवार को है।इसबार 15 दिनों का पितृपक्ष


ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने बताया कि इस वर्ष पितृपक्ष 15 दिन का है। मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत यानि श्राद्ध कार्य कभी भी मध्याह्न में ही करना चाहिए। बहुत लोग इस बात से भ्रमित रहते हैं कि मैंने इस वर्ष अपनी कन्या या पुत्र का विवाह आदि मांगलिक कार्य किया है, इसलिए इस वर्ष पितृपक्ष का जल दान, अन्न दान व पिंड दान न करें, यह अशुभ है। पर निर्णयसिंधुकार के कथनानुसार सभी मांगलिक कार्यों में पितृ कार्य उत्तम व आवश्यक माना गया है। तभी तो हम जनेऊ, विवाह आदि मांगलिक कार्य करने से पूर्व नांदीमुख श्राद्ध अवश्य करते हैं ताकि हमारे यहां होने वाले शुभ कार्य में किसी भी प्रकार का विघ्न न हो। यह पितृपक्ष वर्ष में 1 बार आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों की पूजा को आता है। ऐसा कहा गया है कि देवताओं की पूजा में भूल होने पर देवता क्षमा कर देते है परंतु पितृ कार्य में न्यूनता व आलस्य व प्रमाद करने से पितर असंतुष्ट हो जाते हैं, जिससे हमें रोग, शोक आदि भोगने पड़ते हैं।पितृपक्ष में मुंडन नहीं करवाना चाहिएज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय बताते हैं कि पितृ पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाना चाहिए। जिसमें नित्य जल दान व तिथि पर अन्न वस्त्र आदि दान करना चाहिए। जिनके पिता के मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध पितृविसर्जन को करें। अमावस्या व पूर्णिमा दोनों का श्राद्ध व पितृविसर्जन बुधवार को करें। सिर का मुंडन पितृ पक्ष के भीतर या तिथि पर नहीं करना चाहिए। क्योंकि धर्मसिंधु में यह बात कही गयी है कि पितृपक्ष में सिर के बाल जो भी गिरते हैं, वे पितरों के मुख में जाते हैं इसलिए सिर के बाल पितृपक्ष आरंभ होने के 1 दिन पूर्व बनवालें या भूल वश नहीं बनवा पाते हैं तो पितृ विसर्जन के दिन अपराह्न काल में बनवाएं। ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे कुल की वृद्धि व यश कीर्ति लाभ आरोग्यता व मोनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।पितृ पक्ष की तिथियांप्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर बुधवार कोद्वितीया - गुरुवारतृतीया - शुक्रवारचतुर्थी - शनिवारपंचमी - रविवारषष्ठी - सोमवारसप्तमी - मंगलवार

अष्टमी - बुधवार 25 सितंबरनवमी - गुरुवारदशमी - शुक्रवारएकादशी - शनिवारद्वादशी - रविवारत्रयोदशी - सोमवारचतुर्दशी - मंगलवार

Posted By: Inextlive