हनुमंत धाम, शनि मंदिर के पास मिलेगी पार्किंग की सुविधा
लखनऊ (ब्यूरो)। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद राणा प्रताप मार्ग पर स्थित प्राचीन शनि मंदिर और हनुमंत धाम में आने वाले भक्तों को पार्किंग संकट से निजात मिलती हुई नजर आ रही है। मंडलायुक्त डॉ। रोशन जैकब की ओर से नगर आयुक्त को पार्किंग सुविधा दिए जाने संबंधी पत्र लिखा गया है। उन्होंने कहा है कि मंदिर के आसपास निगम की खाली जमीन पर पार्किंग की सुविधा दी जाए, जिससे जाम की समस्या समाप्त हो सके।
रोजाना आते हैैं हजारों भक्त
दोनों मंदिरों में नियमित रूप से हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मुख्य मार्ग पर मंदिर स्थित होने और पार्किंग की सुविधा न होने की वजह से भक्तों को रोड पर ही अपने वाहन पार्क करने पड़ते हैैं। जिसकी वजह से मुख्य मार्ग पर जाम की समस्या सामने आती है। कई बार तो इतना लंबा जाम लग जाता है कि लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से ही यहां पर पार्किंग सुविधा की मांग की जा रही थी।
जल्द करनी होगी व्यवस्था
मंडलायुक्त के निर्देश के बाद अब नगर निगम को जल्द से जल्द मंदिर परिसर के बाहर पार्किंग की सुुविधा करनी होगी। चूंकि रोजाना इस मार्ग से 15 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैैं साथ ही रोडवेज बसें भी गुजरती हैैं, इसकी वजह से यहां पर पार्किंग की सुविधा का होना अनिवार्य है। पार्किंग की सुविधा होने के बाद रोड चौड़ीकरण भी विचार किया जा सकता है।
पावर जेटिंग मशीनों से सफाई
मंडलायुक्त की ओर से नगर आयुक्त को प्रमुख बाजारों की सफाई को लेकर भी पत्र लिखा गया है। उनकी ओर से कहा गया है कि प्रमुख बाजारों जैसे हजरतगंज, इंदिरानगर, अमीनाबाद, चौक, चारबाग, आलमबाग आदि में पावर जेटिंग मशीनों से सफाई कराई जाए। यह कार्य साप्ताहिक बंदी के दिन कराया जाए। मार्केट्स के साफ होने से व्यापारियों और कस्टमर्स को राहत मिलेगी साथ ही शहर की स्वच्छता भी बढ़ेगी। मंडलायुक्त की ओर से यह भी कहा गया है कि मुख्य मार्गों की धुलाई भी पावर जेटिंग मशीनों से कराई जाए, जिससे मार्गों पर भी गंदगी नजर न आए। उनकी ओर से एलडीए वीसी को भी निर्देश दिए गए हैैं कि स्मारक समिति के अधीन आने वाले चौराहों व उसके आसपास की नालियों की सफाई भी साप्ताहिक आधार पर कराई जाए।
50 फीसदी घरों से नहीं उठ रहा कूड़ा
ईकोग्रीन को टर्मिनेशन नोटिस दिए जाने के बाद नगर निगम की ओर से वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था के प्रॉपर मैनेजमेंट के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिसकी वजह से 50 फीसदी से अधिक घरों से नियमित रूप से वेस्ट नहीं उठ रहा है। जिसकी वजह से भवन स्वामियों को इधर-उधर वेस्ट फेंकने को मजबूर हैं।
वेस्ट कलेक्शन के लिए नई कंपनी का चयन किया जाएगा, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी होने में अभी खासा समय लगेगा। दूसरी तरफ, जब तक ईकोग्रीन कंपनी का अनुबंध समाप्त नहीं हो जाता, तब तक नई कंपनी के चयन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती। इसको लेकर भी निगम प्रशासन के अधिकारी मंथन कर रहे हैैं। इंदिरानगर, गोमतीनगर, आलमबाग समेत कई इलाकों में भवन स्वामियों की ओर से प्राइवेट कर्मचारियों को वेस्ट दिया जा रहा है। पहले तो नगर निगम ने इन कर्मचारियों को ईकोग्रीन से ही कनेक्ट कर दिया था, लेकिन अब ये फिर से स्वत: काम करने लगे हैैं।
निकाय चुनाव में बनेगा मुद्दा
भले ही निवर्तमान पार्षदों की ओर से कई बार ईकोग्रीन की कार्यप्रणाली को लेकर सदन में सवाल उठाए गए हों, लेकिन उसके बाद भी शत प्रतिशत घरों को वेस्ट कलेक्शन व्यवस्था से नहीं जोड़ा जा सका। चूंकि अब पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और अगले माह निकाय चुनाव संभावित है। इस वजह से निवर्तमान पार्षदों के मन में कहीं न कहीं इस व्यवस्था को लेकर डर सता रहा है। कई निवर्तमान पार्षदों का कहना है कि जब हम घरों से वेस्ट तक नहीं उठवा पाए तो साफ है कि जनता इसका जवाब जरूर दे सकती है। जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है।