Lucknow News: सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा रविवार को बोगनविलिया महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव का उदघाटन उप्र सरकार के राज्य सम्पत्ति अधिकारी पवन कुमार गंगवार ने किया।


लखनऊ (ब्यूरो)। सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा रविवार को बोगनविलिया महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव का उदघाटन उप्र सरकार के राज्य सम्पत्ति अधिकारी पवन कुमार गंगवार ने किया। फेस्टिवल के संयोजक एवं संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ। एसके तिवारी ने बताया कि हम यहां गर्मियों के प्रमुख सजावटी पौधे बोगनविलिया की विभिन्न किस्मों को प्रदर्शित करते हैं। इस वर्ष संस्थान तीसरे बोगनविलिया महोत्सव का आयोजन कर रहा है।कई प्रजातियों को किया गया पेशइस महोत्सव में संस्थान द्वारा विकसित बोगनविलिया की दो दर्जन से ज्यादा किस्मों जैसे बेगम सिकंदर, शुभ्रा, डॉ। बीपी पाल, अर्जुना, अर्चना आदि को प्रदर्शित किया गया है। साथ ही बोगनविलिया पौधों को आकर्षक बनाये गये विभिन्न स्वरूपों जैसे बोंसाई, टोपिअरी कला आदि में भी प्रदर्शित किया गया। महोत्सव का समापन पुरस्कार वितरण समारोह के साथ किया गया। इस अवसर पर सीबीसीआईडीए लखनऊ के महानिदेशक डॉ। सत्य नारायण साबत पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि थे।


पुष्प कृषि को बढ़ाना है

संस्थान के निदेशक डॉ। अजित कुमार शासनी ने कहा कि राष्ट्रीय संस्थान होने के नाते हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपनी कृषि तकनीकी और किस्मों को किसानों तक पहुचायें, जिससे उनकी आय एवं आजीविका में समृद्धि आ सके। इससे हम पुष्प कृषि क्षेत्र में अपने देश को और आगे ले जा सकते हैं। वहीं, महोत्सव में कुल 19 प्रदर्शकों ने 46 प्रविष्टियां प्रदर्शित की गईं। इस दौरान 8 वर्गों में प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। इंदिरा नगर की नम्रता त्रिपाठी महोत्सव की विजेता रहीं, जबकि ला मार्टिनियर गर्ल्स कॉलेज की टीम उपविजेता रही।वृक्षारोपण में शामिल किया जाना चाहिएमुख्य अतिथि डॉ। सत्य नारायण साबत ने बताया कि लखनऊ में नगर सुंदरीकरण अभियान में बोगनविलिया पौधों का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान में इस पौधे को शामिल किया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि डॉ। प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने कहा कि बोगनविलिया के रंग-बिरंगे पौधे हमारे दिल और दिमाग को तरोताजा कर देते हैं। इस पौधे को बहुत कम देखभाल और रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसका यह गुण हमें पौधों में जलवायु के अनुकूल गुणों का पता लगाने में मदद कर सकता है।

Posted By: Inextlive