अर्ली ब्लूमिंग ट्यूलिप से महका एनबीआरआई लखनऊ का कैंपस
लखनऊ (ब्यूरो)। मार्च से मिड मई के बीच खिलने वाले खूबसूरत ट्यूलिप के फूल अब आपको ठंड के सीजन में एनबीआरआई के बंथरा कैंपस में खिले दिखाई देंगे। शहर के नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों ने ऑफ सीजन में ट्यूलिप के 60 फूलों को खिलाया है। साइंटिस्ट इसे अर्ली ब्लूमिंग ट्यूलिप की किस्म की तरह देख रहे हैं, जो आगे चलकर फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए मजबूत आर्थिक जरिया बन सकता है। अमूमन ट्यूलिप वसंत के मौसम में खिलने वाला फूल है, जो ज्यादातर पहाड़ी व ठंडे इलाकोंं में खिलता है।बड़ी उपलब्धि हासिल की
संस्थान लगातार ऐसे फूलों को मैदानी इलाकों में मौसमी परिस्थितियों के अनुकूल खिलाने पर ट्रायल कर रहा है, जो ज्यादातर ठंडे या पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं। संस्थान का मकसद है कि इन फूलों को भी मैदानी इलाकों में खिलाया जा सके ताकि उनको फूलों की खेती करने वाले किसान उगा पाएं और उनकी आय में बढ़त हो। इसी कदम को बढ़ाते हुए संस्थान ने अपने नाम एक और उपलब्धि ट्यूलिप के नाम के तौर पर जोड़ी है।अक्टूबर में लगाने की हुई शुरुआत
संस्थान के निदेशक डॉ। अजीत के शासनी के निर्देशन में चीफ साइंटिस्ट डॉ। एसके तिवारी और प्रिंसिपल साइंटिस्ट राकेश चंद्रा नैनवाल ने इसमें अहम भूमिका निभाई। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अक्टूबर के महीने में फूलों को उगाने की तैयारी की गई। वैज्ञानिकों ने लाल, पीले, नारंगी, सफेद और गुलाबी रंग के ट्यूलिप लगाए थे। दरअसल, ट्यूलिप के खिलने में टेम्प्रेचर सबसे अहम होता है। फूल को खिलने में तीन चरणों में अलग-अलग टेम्प्रेचर की जरूरत होती है। पहले चरण में 15 से 18 डिग्री तापमान, दूसरे चरण में 2 से 10 डिग्री और तीसरे चरण में 15 से 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। तापमान में जरा सी भी कमी इस फूल को उगाने में परेशानी पैदा करती है। ऐसे में तापमान के साथ-साथ पोषण व मिट्टी का ध्यान रखते हुए इसे खिलाया है।बढ़ेंगे आर्थिक मौकेसंस्थान के निदेशक के मुताबिक, ट्यूलिप का ऑफ सीजन खिलना संस्थान के लिए एक बड़ी सफलता है। ट्यूलिप एक सजावटी पौधा है जिसकी अच्छी मांग होती है। ऐसे में अगर यह फूल यहां भी खिलेगा तो किसानों के लिए आर्थिक मौके भी बढ़ेंगे।