सॉफ्टवेयर की बिगड़ी 'हवा', नहीं बन पा रही 'पीयूसीसी'
लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में 10 लाख से ज्यादा वाहन बिना पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट के दौड़ रहे हैं। वे न केवल शहर में प्रदूषण फैला रहे हैं बल्कि राजस्व को भी नुकसान पहुंचा रहे हैैं। पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के लिए सरकार ने कड़े नियम बनाए हैं और इसके लिए 10 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, परिवहन विभाग और आरटीओ पॉल्यूशन सर्टिफिकेट को लेकर बहुत कम चालान करता है।नए वाहन में 6 माह का प्रदूषण सर्टिफिकेटनए वाहन में 6 माह के लिए प्रदूषण सर्टिफिकेट मान्य होता है। ज्यादातर वाहन स्वामी मियाद पूरी होने के बाद भी प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं बनवाते हैैं। यह संख्या दो पहिया वाहनों में सबसे ज्यादा रहती है। वहीं, कामर्शियल और प्राइवेट गाडिय़ां (चार पहिया) में भी प्रदूषण सर्टिफिकेट न बनवाने की संख्या कम नहीं हैै।एक्यूआई लेवल 200 के पार, बढ़ा रहा प्रदूषण
शहर में पिछले 15 दिनों में एक्यूआई लेवल 200 के पार बना हुआ है, जबकि माना जाता है कि साफ हवा के लिए इसे 100 से नीचे होना चाहिए। शहर में दौड़ रहे 24 लाख वाहनों के चलते फैलता प्रदूषण भी इस समस्या की कहीं न कहीं प्रमुख वजह बन रहा है। 10 लाख वाहन तो बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के ही दौड़ रहे हैैं।
'वाहन 4' सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी भी बनीं कारणपरिवहन विभाग के सॉफ्टवेयर 'वाहन 4' के तहत पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, लेकिन कुछ समय से सॉफ्टेवयर में प्रॉब्लम के चलते भी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा पा रहा हैै। वाहन स्वामी परिवहन विभाग में सर्टिफिकेट के लिए लाइन तो लगा रहे हैं, पर उन्हें सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा हैै।आ रही है टेक्निकल प्रॉब्लम'वाहन 4' सॉफ्टेवयर में बीएस6 और बीएस4 मानकों के आधार पर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बनता है। वर्तमान में बीएस4 गाडिय़ों को बीएस6 में शो होने से सर्टिफिकेट बनने में प्रॉब्लम आ रही है। इसके लिए पहले वाहन स्वामी परिवहन विभाग में आवेदन कर अपने वाहन को बीएस4 की जगह बीएस6 में परिवर्तित कराये, तब उन्हें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट मिल सकेगा। यह प्रक्रिया लंबी होने के चलते वाहन स्वामी बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के ही रोड पर गाड़ी दौड़ा रहे हैैं।वाहन 4 पोर्टल में आई गड़बड़ी के लिए संबंधित संस्था को सूचित कर दिया गया है। इसके अलावा परिवहन के सभी पोर्टल को अपडेट करने को भी कहा गया है। जल्द सुविधा बहाल हो जाएगी।-सगीर अहमद, अपर परिवहन आयुक्त, आईटी सेल