लखनऊ समेत 19 जिलों में पुरानी तकनीकी 4जी के ही मीटर लगेंगे। इसे अब तक का प्रदेश का सबसे महंगा सिंगल फेज प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर ऑर्डर बताया जा रहा है जिसका भार कहीं न कहीं उपभोक्ताओं पर ही आएगा।


लखनऊ (ब्यूरो)। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने 19 जनपदों के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर का आदेश जारी कर दिया है। जिसके बाद लखनऊ समेत उक्त जिलों में पुरानी तकनीकी (4जी) के ही मीटर लगेंगे। इसे अब तक का प्रदेश का सबसे महंगा सिंगल फेज प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर ऑर्डर बताया जा रहा है, जिसका भार कहीं न कहीं उपभोक्ताओं पर ही आएगा। उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाते हुए कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।71 लाख सिंगल फेज स्मार्ट मीटर


मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अपने लगभग 19 जनपदों के लिए 71 लाख सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए दो दिन पहले टेंडर, जिसकी लागत लगभग 8146 करोड़ है, को फाइनल करके आर्डर जारी किया है। भारत सरकार द्वारा जहां प्रति सिंगल फेज स्मार्ट प्रीपेड मीटर का बेस रेट 6 हजार रुपये प्रति मीटर तय किया गया था, उससे कहीं ज्यादा प्रदेश में 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर का सबसे महंगा टेंडर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में इनटैली स्मार्ट को दिया है। जिस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 2934 करोड़ है और प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिंगल फेज की जो दर पर आदेश जारी हुआ है, वो लगभग 8428 रुपये प्रति मीटर है।चौंकाने वाला मामला

चौंकाने वाला मामला यह है कि इनटैली स्मार्ट कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड की ज्वाइंट वेंचर कंपनी है। प्रदेश में इस कंपनी द्वारा लगाए गए पुरानी तकनीक के 2जी, 3जी मीटर 4जी में कंवर्ट नहीं हो पाए हैं। सबसे महंगी दर का टेंडरराज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा, प्रदेश में पूर्वांचल में इसी स्मार्ट प्रीपेड मीटर की जो सबसे कम कीमत आई है, वो 7307 रुपया है और वहीं मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में जो सबसे महंगी दर निकाल कर आई है वो 8428 रुपया है। एक ही तरह के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत में लगभग 1121 प्रति मीटर का अंतर है। परिषद लगातार इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग उठाता रहा है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि 4जी तकनीक के स्मार्ट प्रीपेड मीटर को इतनी महंगी दर पर खरीद किया जाना समझ से परे है और ऊपर से सभी मीटर निर्माता कंपनियों से केवल तीन प्रतिशत की बैंक गारंटी ली जा रही है, जो बहुत कम है। इस पूरे मामले की शुरू से लेकर अंत तक जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर के आर्डर अब निर्गत किए गए हैं उनकी जांच जरूरी है।

Posted By: Inextlive