Lucknow News: राजधानी के पुराने लखनऊ में नालों की संख्या सबसे अधिक है। यहां पर सरकटा नाला जैसा महत्वपूर्ण नाला है जिसकी हर साल सफाई होती है लेकिन बारिश होते ही यह नाला ओवरफ्लो हो जाता है और लोगों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है। यहां पर करीब 20 छोटे-बड़े नाले हैैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से हर साल दावा किया जाता है कि नालों की सफाई का कार्य शत प्रतिशत पूरा कर लिया गया है लेकिन जैसे ही लगातार कुछ घंटों की बारिश होती है, निगम के दावों की हकीकत सामने आ जाती है। नालों की सफाई में करोड़ों रुपये खर्च किए जाने और कई योजनाएं बनाए जाने के बाद भी लोगों को जलभराव की समस्या से रूबरू होना पड़ता है। कई इलाके ऐसे हैैं, जहां पर अभी तक नाला सफाई की शुरुआत नहीं हुई है, जिससे साफ है कि वहां जलभराव की समस्या सामने आ सकती है। गली-मोहल्लों की नालियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है, वहीं कई स्थानों पर जहां सीवरेज सिस्टम नहीं है, वहां के लिए भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैैं। ऐसे में एक बार फिर से मानसून आने के बाद शहर के टापू बनने का खतरा मंडरा रहा है।


इस साल बढ़ाया गया बजट

वैसे तो हर साल नगर निगम की ओर से नाला सफाई मद में तीन से पांच करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया जाता है और इसी बजट के आधार पर मशीनरी और मैन पावर लगाया जाता है। इस वित्तीय वर्ष की बात की जाए तो पहले नाला सफाई मद में पांच करोड़ का बजट रखा गया था लेकिन जब पुनरीक्षित बजट आया तो इस मद में एक करोड़ रुपये और बढ़ गए, मतलब नाला सफाई मद का कुल बजट 6 करोड़ हो गया।नाला सफाई बजट एक नजर मेंवित्तीय वर्ष बजट2020-2021 3 करोड़2021-2022 5 करोड़2022-2023 3 करोड़2023-2024 10 करोड़2024-2025 6 करोड़नालों की संख्या1444 कुल नाले राजधानी में83 बड़े नाले414 मझोले नाले947 छोटे नालेनालों की लंबाई एक नजर में61 किमी बड़े नालों की लंबाई412 किमी मझोले नालों की लंबाई397 किमी छोटे नालों की लंबाईयहां सबसे अधिक नाले

राजधानी के पुराने लखनऊ में नालों की संख्या सबसे अधिक है। यहां पर सरकटा नाला जैसा महत्वपूर्ण नाला है, जिसकी हर साल सफाई होती है लेकिन बारिश होते ही यह नाला ओवरफ्लो हो जाता है और लोगों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है। यहां पर करीब 20 छोटे-बड़े नाले हैैं।नालों की सफाई की जिम्मेदारी-मुख्य अभियंता (वि./यां.) के पास बड़े नालों की सफाई की जिम्मेदारी-मुख्य अभियंता (सिविल) के पास मझोले नालों की सफाई की जिम्मेदारी-नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास छोटे नालों की सफाई की जिम्मेदारीराजधानी के प्रमुख नाले1-हैदर कैनाल नालायह नाला मवैया के पीछे से होता हुआ कृष्णानगर, आलमबाग, चारबाग को कवर करता हुआ गोमती में जाकर मिलता है। इन इलाकों से निकलने वाले छोटे नाले सीधे इससे कनेक्ट होते हैैं। सफाई तो होती है लेकिन उक्त इलाकों में हर साल पानी भरता है।2-सरकटा नालायह नाला पुराने लखनऊ के लगभग सभी इलाकों को कवर करता है। जिससे स्पष्ट है कि पुराने लखनऊ के लिए यह कितना अहम है। इससे भी इलाके के छोटे नाले सीधे कनेक्टेड हैैं। इस समय चौक में नाला सफाई का कार्य प्रगति पर है। बारिश के बाद हकीकत सामने आएगी।3-कुकरैल नाला
एक तरफ जहां हैदर कैनाल और सरकटा नाला सिस गोमती एरिया को कवर करते हैैं, वहीं कुकरैल नाला ट्रांसगोमती एरिया के लिए मुख्य है। इंदिरानगर, जानकीपुरम, गुडंबा, तकरोही समेत एक दर्जन से अधिक इलाके इसमें कवर होते हैैं। इंदिरानगर के कई सेक्टर्स जैसे 16, 11 आदि में जलभराव होता है।यहां जलभराव होता हैहर साल बारिश में इस्माइलगंज सेकंड के अंतर्गत आने वाले कई मोहल्लों, गोमतीनगर, सिविल अस्पताल के पास, आशियाना, सरोजनीनगर, दयाल रेजीडेंसी, राजाजीपुरम, पुराना लखनऊ, पेपर मिल कॉलोनी, इंदिरा नगर सी ब्लॉक, लोहिया हॉस्पिटल, जानकीपुरम, विक्रांत खंड और फैजुल्लागंज के कई इलाकों में जलभराव की समस्या सामने आती है।पब्लिक में भी जागरूकता जरूरीनाले को अगर साफ रखना है तो पब्लिक को भी जागरूक होना होगा। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर इलाकों में स्थानीय लोगों की ओर से नाले में घरों से निकलने वाला वेस्ट फेंक दिया जाता है। इसके साथ ही कई मार्केट एरियाज में नालों में प्लास्टिक वेस्ट इत्यादि डाला जाता है। जिसकी वजह से भी नाला सफाई होने के बाद फिर से उसमें वेस्ट नजर आता है और इसका परिणाम जलभराव के रूप में सामने आता है।जलभराव के प्रमुख कारण1- नाले-नालियों की प्रॉपर सफाई न होना2- नाले-नालियों पर अवैध निर्माण का होना3- जलनिकासी के इंतजाम न होना4- सीवरेज लाइन का न होना
ये कदम उठाने होंगे1-नालियों की नियमित सफाई2-बड़े नालों की तलहटी की सफाई3-नाला सफाई की मॉनीटरिंग4-पब्लिक को जागरुक किया जाना

Posted By: Inextlive