लखनऊ की ऐशबाग रामलीला का मंच भगवान श्रीराम के जयघोष से गूंज रहा था। इस मनोरम वातावरण में भगवान श्रीराम के साथ माता सीता राजगद्दी पर विराजमान हुईं। राज्याभिषेक के बाद राजा राम राजकाज देखते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। भारत की प्राचीनतम रामलीला समितियों में शुमार श्री रामलीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में ऐशबाग रामलीला मैदान में विगत ग्यारह दिनों से चल रहे रामोत्सव-2023 का गुरुवार को लवकुश लीला संग समापन हुआ। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष हरीशचंद्र अग्रवाल और सचिव पं। आदित्य द्विवेदी ने रामलीला और नृत्य आकादमियों के कलाकारों को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। लक्ष्मण, सीता को वन छोड़ आए


ऐशबाग रामलीला का मंच भगवान श्रीराम के जयघोष से गूंज रहा था। इस मनोरम वातावरण में भगवान श्रीराम के साथ माता सीता राजगद्दी पर विराजमान हुईं। राज्याभिषेक के बाद राजा राम राजकाज देखते हैं। एक दिन भगवान श्री राम अपने मंत्रिमंडल के साथ बैठे थे तभी एक धोबिन दरबार में आकर बताती है कि उसका पति उसे घर में प्रवेश करने नहीं दे रहा है क्योंकि कि वह कह रहा है कि तुम रात भर बाहर रहकर आई हो। मैं कोई राम तो नहीं हूं कि सीता की तरह तुम्हें घर में दुबारा स्थान दे दूं।श्रीराम ने भेजे गुप्तचर

इसके बाद श्रीराम अपने गुप्तचर को अपने राज्य में भेजते हैं कि पता लगाओ कि राज्य में और क्या हो रहा है। गुप्तचर कुछ दिनों के बाद राम जी के पास पहुंचता है और पूरा वृतांत बताता है। इस बात से राम जी काफी विहृल हो जाते हैं और लक्ष्मण से कहते हैं कि सीता को वन में छोड़ आओ। आखिर में लक्ष्मण, सीता को वन में वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर वापस आ जाते हैं।लव-कुश से हुआ युद्धकुछ दिनों के बाद राम अश्वमेघ यज्ञ के लिए एक सफेद अश्व छोड़ते हैं। अश्व जब वाल्मीकि ऋषि के आश्रम पहुंचता है तो दो छोटे बालक उसे पकड़ लेते है। सेना जब उन बालकों से अश्व को छोड़ने के लिए कहती है, लेकिन वो मना कर देते है और सेना को परास्त कर देते हैं। इसके बाद सूचना मिलने वर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रोहन को भेजते हैं, लेकिन वह सब भी उन बालकों से युद्ध करने के बाद भी छुड़ा नहीं पाते हैं।माता सीता धरती में समां जाती हैं

इसके बाद राम जी स्वयं उन बालकों से अश्व को वापस लाने के लिए जाते हैं। जैसे ही श्रीराम, बालकों पर धनुष उठाते हैं वैसे ही सीता वहां पर आ जाती हैं और बताती हैं कि यह दोनों बालक लव और कुश आपके ही पुत्र हैं। इस पर राम जी के हाथों से धनुष बाण छूट जाता है और अगले सोपान में सीता जी धरती में समां जाती है। और यहीं पर ग्यारह दिनों से चली आ रही रामलीला का समापन हो जाता है।

Posted By: Inextlive