एसजीपीजीआई लखनऊ की डाइटीशियन डॉ. शिल्पी पांडे ने बताया कि गर्भवती व धात्री महिलाओं के शरीर में पानी कमी होना शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है इसलिए सर्दी में हर समय खुद को हाइड्रेट रखें। दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। पानी की पूर्ति करने में दूध दही मट्ठा और छाछ भी मददगार होती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। गर्मी में शरीर में पानी की कमी यानि डीहाइड्रेशन के बारे में तो सबने सुना है लेकिन क्या सर्दी में भी डीहाइड्रेशन के बारे में सुना है। सर्दी में यह समस्या और घातक हो जाती है। खासकर गर्भवती व धात्री महिलाओं में यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। इसका गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर पड़ सकता है। इस समस्या के चलते कई मरीज अस्पताल आ रहे हैं। हालांकि अधिकतर मरीज घर पर ही ठीक हो रहे हैं।हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी


एसजीपीजीआई की डाइटीशियन डॉ। शिल्पी पांडे ने बताया कि गर्भवती व धात्री महिलाओं के शरीर में पानी कमी होना शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है, इसलिए सर्दी में हर समय खुद को हाइड्रेट रखें। दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। पानी की पूर्ति करने में दूध, दही, मट्ठा और छाछ भी मददगार होती है। पानी पीने से हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।नहीं होता किडनी इंफेक्शन

उन्होंने बताया कि रक्त संचार में कमी, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, ब्लैडर इंफेक्शन और किडनी इंफेक्शन का खतरा अधिक पानी पीने से कम हो जाता है। हर सामान्य गर्भवती को दिन में औसत दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए। वहीं प्रसव के बाद की महिलाओं को तीन से चार लीटर रोजाना पानी पीना चाहिए। स्तनपान कराने में भी काफी मदद मिलती है क्योंकि मां के दूध में 80 प्रतिशत पानी होता है।पानी की कमी से होती है समस्याडॉ। गीतांजलि सिंह, चिकित्सा प्रभारी, पीएचसी छितवापुर ने बताया कि गर्भावस्था में शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा से गर्भस्थ शिशु भी सुरक्षित रहता है। जागरूकता की कमी के चलते अधिकतर महिलाओं में सर्दियों में डीहाइड्रेशन की समस्या और बदतर हो जाती है क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चलता कि सांस के जरिए गर्मी की तुलना में उनके शरीर से ज्यादा पानी खत्म हो रहा है। इस दौरान बॉडी टेम्परेचर मेनटेंन रखने के लिए भाप भी निकलती है। जिससे वॉटर लॉस होता है। पीले रंग का बदबूदार पेशाब आना शरीर में डीहाइड्रेशन का लक्षण है।हो सकती हैं कई समस्याएंनेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन एडवांस साइंस एंड हेल्थ के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान एम्नियोटिक फ्लूइड का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। यही फ्लूइड भ्रूण को असली पोषण देता है। साथ ही बाहरी आघात से बचाता है। इसलिए, एम्नियोटिक द्रव की कमी गर्भावस्था के परिणाम पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।बचने के लिए क्या करें- गर्म पानी का सेवन करें- रसदार फल भी खाने चाहिए

- ऑफिस में अपने साथ पानी की बोतल रखें- बीच-बीच में पानी पीते रहें- दूध और मट्ठा को अपनी डाइट में शामिल करेंयह होती है समस्या- पेट में कब्ज व मरोड़- सिर में दर्द- मिचली आना- धड़कन तेज होना- मांसपेशियों में दर्द- हाथ-पैरों में सूजन- चक्कर आने की समस्या- लो ब्लड प्रेशर- थकान- घबराहट- ज्यादा नींद आना

Posted By: Inextlive