Lucknow News: अगर किसी को किडनी और हार्मोन संबंधित कोई समस्या है तो सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि करीब 80 फीसदी से अधिक ऐसे मरीजों में सेकेंड्री हाइपरटेंशन की समस्या देखने को मिली है। अधिकतर मरीजों की उम्र 40 वर्ष से कम है।


लखनऊ (ब्यूरो)। अगर किसी को किडनी और हार्मोन संबंधित कोई समस्या है तो सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि करीब 80 फीसदी से अधिक ऐसे मरीजों में सेकेंड्री हाइपरटेंशन की समस्या देखने को मिली है। अधिकतर मरीजों की उम्र 40 वर्ष से कम है। यह खुलासा संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों पर हुई स्टडी से हुआ है। डॉक्टर्स के मुताबिक, समय रहते ट्रीटमेंट से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।बीपी अधिक होने से समस्या


पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के ओपीडी में आने वाले करीब 15 हजार से अधिक मरीजों पर स्टडी की गई थी। जिसमें पाया गया कि किडनी संबंधी समस्या और हार्मोन विकार वाले करीब 85 फीसदी मरीजों में सेकेंड्री हाइपरटेंशन की समस्या देखने को मिली। इनमें अकेले 70 फीसदी मरीजों की उम्र 40 साल से कम थी। मरीजों में लगातार बीपी अधिक होने के कारण किडनी, हार्ट और दिमाग समेत अन्य आर्गन्स पर असर पड़ रहा है, जो मरीज की जान के लिए जोखिम भरा है। विभाग के हेड प्रो। नारायण प्रसाद के मुताबिक, ओपीडी में रोजाना करीब 250-300 मरीज आते हैं, जिनमें 200 से अधिक मरीजों में सेकेंड्री हाइपरटेंशन की समस्या देखने को मिली। साथ में यह भी देखने को मिला कि इसमें 30-40 वर्ष के लोगों की संख्या सबसे अधिक थी। प्रो। प्रसाद के मुताबिक, किडनी की बीमारी, थायराइड व शरीर में कुछ खास हार्मोन की अधिकता के कारण लोगों में हाई बीपी की समस्या लगातार बढ़ रही है।बॉडी के ये हार्मोन समस्या के लिए जिम्मेदारडॉक्टर्स के मुताबिक, किडनी के ऊपर स्थित एड्रिनल ग्रंथियां कई तरह के हार्मोन का सेक्रिशन और कंट्रोल करने का काम करती है। इन ग्रंथियों में दिक्कत होने पर हार्मोन इंबैलेंस होने पर हाई बीपी होता है। जिन लोगों के एड्रिनल ग्रंथी में फियोक्रोमोसाइटोमा ट्यूमर होता है उनमें एपिनेफ्रीन, नॉरपेनेफ्रीन हार्मोन का अधिक उत्पादन होने लगता है। इसके अलावा, शरीर में कई अन्य हार्मोंस भी अनियंत्रित होन पर बीपी बढ़ाते हैं। ऐसे मरीजों को हार्मोन व बीपी कंट्रोल करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।दो से चार दवाओं की पड़ रही जरूरत

प्रो। प्रसाद ने बताया कि सेकेंड्री हाइपरटेंशन में बीपी की एक दवा का ज्यादा असर नहीं होता है। ऐसे में मरीजों को तीन-चार दवाएं देनी पड़ रही हैं। उन्होंने आगे बताया कि हाइपरटेंशन दो तरह का होता है। प्राइमरी हाइपरटेंशन खराब जीवन शौली व आनुवांशिक होता है। जबकि सेकेंडरी हाइपरटेंशन किडनी की बीमारी व हार्मोन समेत दूसरे रोगों की वजह से होता है। यह प्राथमिक हाइपरटेंशन से ज्यादा गंभीर है।

ऐसे करें खुद का बचाव-नमक का सेवन पूरे दिन में पांच ग्राम से अधिक न करें।-वेट कंट्रोल रखें।-एक्सरसाइज और योग करें।-अल्कोहल व तंबाकू से दूर रहें।-कोई भी समस्या होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।किडनी मरीजों में सेकेंड्री हाइपरटेंशन देखने को मिल रहा है। यंगस्टर्स में यह जो खासतौर पर ज्यादा सामने आ रहा है। लोगों को अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए।-प्रो। नारायण प्रसाद, पीजीआई

Posted By: Inextlive