Lucknow News: जॉब के दौरान बिजी रहने के बाद जब कोई इंसान रिटायर होता है तो उसे अपनी जिंदगी में काफी खालीपन महसूस होता है। कई मामलों में तो यह बड़ी परेशानी भी बन जाता है खासकर तब जब घर में बच्चे भी जॉब वगैरह कर रहे हों और बुजुर्ग के साथ वक्त बिताने वाला कोई न हो।


लखनऊ (ब्यूरो)। जॉब के दौरान बिजी रहने के बाद जब कोई इंसान रिटायर होता है तो उसे अपनी जिंदगी में काफी खालीपन महसूस होता है। कई मामलों में तो यह बड़ी परेशानी भी बन जाता है खासकर तब जब घर में बच्चे भी जॉब वगैरह कर रहे हों और बुजुर्ग के साथ वक्त बिताने वाला कोई न हो। यह सिचुएशन कई बार डिप्रेशन की वजह भी बन जाती है। बुजुर्ग पैरेंट्स के साथ वक्त बिताने की अहमियत को लेकर सोसाइटी में जागरूकता की भी कमी दिखती है, जिसके चलते वे ऐसे मामलों में एक्सपर्ट की सलाह लेने भी नहीं जाते हैं, जबकि समय रहते ट्रीटमेंट से काफी फायदा मिल सकता हैडिप्रेशन की समस्या हो जाती है


केजीएमयू में जेरियाट्रिक मेंटल हेल्थ विभाग के डॉ। भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि पोस्ट रिटायरमेंट जो लोग काम नहीं करते हैं, उनमें डिप्रेशन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक, हर 10 रिटायर हुए लोगों में से 2-3 डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं, पर उनमें केवल 1 ही डॉक्टर को दिखाने पहुंच पाता है। दरअसल, इस उम्र में डिप्रेशन होने के प्रति लोगों में जागरूकता कम है। वहीं, बुजुर्ग सोचते हैं कि इस समस्या को लेकर क्या ही डॉक्टर के पास जाना और वे इसे झेलते रहते हैं। बुजुर्ग अपने इमोशंस के बारे में बात करने से कतराते हैं। ऐसे में घर परिवार के लोगों को बड़े-बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।इसलिए बढ़ रहा डिप्रेशन

डॉ। भूपेंद्र बताते हैं कि जब हम जॉब में होते हैं तो बाहर निकलना, दूसरों से मिलना-जुलना, हंसना और साथ में काम करना हमारे डेली रूटीन का अहम हिस्सा होता है। इसके अलावा, समय मिलने पर लोगों से मिलना व पार्टी करना आदि भी चलता रहता है। उनकी लाइफ इसी के अनुसार ढल जाती है पर रिटायरमेंट के बाद अगर कोई प्लान यानि कोई दूसरा काम आदि नहीं है तो अचानक से खाली होने से लोग अकेले पड़ जाते हैं। दूसरा, इस उम्र में बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर निकल जाते हैं या अलग ही दुनिया में रहते हैं। साथ ही घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेटा-बहू भी जॉब करते हैं और दिनभर बाहर रहते हैं, जिसकी वजह से उनका कहीं जाना और दूसरों से मिलना-जुलना अचानक से कम या खत्म ही हो जाता है। ऐसे में खालीपन व अकेलापन, डिप्रेशन की ओर बढ़ाता है। इसके अलावा, 60 के ऊपर होने पर कई बीमारियां जैसे बीपी, गठिया, हड्डियों में दर्द आदि के कारण भी डिप्रेशन की संभावना बढ़ती है। खासतौर पर न्यूक्लीयर फैमिलीज में बुजुर्गों में डिप्रेशन की समस्या ज्यादा बढ़ रही है।जरूरी नहीं हर किसी को डिप्रेशन होडॉ। भपूेंद्र बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद हर किसी को डिप्रेशन हो ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि तकनीक की वजह से अब लोग एक-दूसरे से जुड़ रहे हैं। इसके अलावा, कई सीनियर सिटीजन ग्रुप, कल्चरल ग्रुप या मंदिर आदि में सेवाएं देने लगते हैं, जिससे वे खुद को बिजी रखते हैं।इन बातों का रखें ध्यान-उदास महसूस करना-एक्टिविटी में इंटरेस्ट न लेना-मेमोरी लॉस-दूसरों से बात कम करना-खानपान में कमी करना-अकेले बैठे रहनाऐसे करें बचाव-अपनी उम्र के लोगों के साथ मिलें -दूसरों संग बातचीत व समय बिताएं-पढ़ने-लिखने का काम करें-गार्डनिंग का शौक है तो करें-कोई क्रिएटिव काम करें-कोई पालतू जानवर साथ में रखें-घर के बच्चे, बुजुर्गों संग बात करें-बुुजुर्ग लोगों का हालचाल लेते रहें-बुजुर्ग पैरेंट्स संग अपनी बातें शेयर करेंरिटायरमेंट के बाद जिंदगी में खालीपन और अकेलापन महसूस करना डिप्रेशन की समस्या की ओर ले जा रहा है। अवेयरनेस की कमी के चलते बेहद कम लोग ही डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं।-डॉ। भूपेंद्र सिंह, केजीएमयू

Posted By: Inextlive