Lucknow News: ईयरफोन और हेडफोन के लगातार इस्तेमाल से कानों के सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और टिनिटस नामक बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। केजीएमयू पीजीआई और लोहिया समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में इस समस्या के मरीज पहुंच रहे है।


लखनऊ (ब्यूरो)। ईयरफोन और हेडफोन के लगातार इस्तेमाल से कानों के सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और टिनिटस नामक बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में इस समस्या के मरीज पहुंच रहे है, जिसे देखते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने सभी मंडलायुक्त और डीएम को लेटर जारी कर इस बाबत जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके।कान की नसों को नुकसान पहुंचता है


आजकल लोग हर समय कानों में ईयरफोन, ब्लूटूथ या हेडफोन लगाकर गाने सुनना, गेम्स खेलना, ऑफिस की मीटिंग करना या फिर फिल्म्स आदि देखते हैं। लगातार कानों में ईयरफोन लगे रहने से समस्या धीरे-धीरे बढ़ जाती है। लोहिया संस्थान के ईएनटी विभाग के हेड डॉ। आशीष चंद्रा ने बताया कि कान में सनसनाहट या सीटी बजने की आवाज आने की समस्या को टिनिटस कहते हैं। ईयरफोन व हेडफोन लगातार सुनने से कान की नसें कमजोर होने लगती हैं, जिससे सुनने की क्षमता कम हो जाती है। जब हम कुछ सुनते हैं तो कान की नसें एक्टिवेटेड रहती हैं, जो कुछ टाइम तक आवाज सुनी वो बॉयोकेमिकल प्रोसेस होता हुआ ब्रेन तक पहुंचाती हैं और आवाज बंद होने के बाद शांत हो जाती हैं। पर लगातार सुनने की वजह से बॉयोकेमिकल प्रोसेस में बदलाव होने लगते हैं, जिससे समस्या होने लगती है। आजकल यह समस्या बेहद कॉमन हो गई है, जो हर किसी को है लेकिन यंगस्टर्स इसकी चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। ओपीडी में रोज करीब 15-20 मरीज ऐसे आते है, जहां हर 20 में 5-7 यंगस्टर्स होते हैं। वहीं, केजीएमयू के ईएनटी विभाग के हेड ने डॉ। अनुपम मिश्रा ने बताया लगातार शोर की वजह से कान की नसें कमजोर हो जाती हैं। पहले टेंपरेरी हियरिंग लॉस होता है और अगर यह बना रहे तो आगे चलकर पर्मानेंट हियरिंग लॉस हो जाता है। ओपीडी में बड़ी संख्या में इसके मरीज आ रहे हैं।सुसाइडल तक हो जाता है मरीज

संजय गांधी पीजीआई के ईएनटी विभाग के हेड डॉ। अमित केसरी ने बताया कि टिनिटस की वजह से जब कान में नर्व डैमेज होती तो सायं-सायं की आवाज होती है, जिससे परेशानी होती है। यह समस्या दिन के मुकाबले रात को ज्यादा पता लगती है, क्योंकि रात में शांति होती है। हियरिंग लॉस हाई फ्रिक्वेंसी के कारण होता है। ऐसे में लो फ्रीक्वेंसी पर सुनने में दिक्कत आती है। कई बार मरीज सुसाइडल तक हो जाता है। वहीं, समस्या के कारण एकाग्रता में समस्या होती है। ओपीडी में डेली ऐसे 5-10 पेशेंट आते हैं, जिनमें यंग पेशेंट ज्यादा होते हैं। हियरिंग लॉस के साथ टिनिटस की बीमारी होती है। किडनी और डायबिटिज वालों में हेयरिंग लॉस हो सकता है। हालांकि, इसे रोका जा सकता है।थेरेपी या सुनने की मशीन देते हैंडॉ। अमित केसरी आगे बताते हैं कि अगर मरीज को कम सुनाई देता है तो मशीन देते हैं ताकि उसे सुनाई दे। इसके अलावा, साइको थेरेपी यानि टिनिटस री ट्रैनिंग थेरेपी देते हैं, जिसे देने के बाद आवाज तो आएगी, लेकिन मरीज को उससे परेशानी नहीं होगी।भारत सरकार की ओर से ईयरफोन के लगातार इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को लेकर लेटर आया था। उसी के तहत यहां पर लेटर जारी किया गया है।-पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्यलगातार हेडफोन या ईयरफोन लगाने से कान की नर्व डैमेज हो जाती है, जिससे टिनिटस हो सकता है। यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोगों को ईयरफोन का यूज कम करना चाहिए।-डॉ। आशीष चंद्रा, लोहिया संस्थान

टिनिटस की वजह से कई बार मरीज सुसाइडल तक हो सकता है। वहीं, एकाग्रता में कमी से परेशानी बढ़ जाती है। यंगस्टर्स में यह समस्या ज्यादा होती है। लोगों को इससे बचना चाहिए।-डॉ। अमित केसरी, संजय गांधी पीजीआई

Posted By: Inextlive