Lucknow News: राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में डग्गामार बसों के सिंडिकेट के आगे सरकारी विभाग नतमस्तक है। लोग लगातार डग्गामार बसों में सफर कर रहे हैं और हादसों में अपनी जान तक गंवा रहे हैंं पर न तो उन्हें मुआवजा मिलता है और न ही सफर के दौरान सुरक्षा।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में डग्गामार बसों के सिंडिकेट के आगे सरकारी विभाग नतमस्तक है। लोग लगातार डग्गामार बसों में सफर कर रहे हैं और हादसों में अपनी जान तक गंवा रहे हैंं, पर न तो उन्हें मुआवजा मिलता है और न ही सफर के दौरान सुरक्षा। इसके बाद भी हर दिन लाखों पैसेंजर्स इन डग्गामार बसों में सफर करते है। राजधानी की बात करें तो पूर्वांचल समेत कई रूट्स पर 200 से ज्यादा डग्गाामर बसें हर दिन फर्राटा भरती है और 50 हजार से ज्यादा पैसेंजर्स इनमें सफर करते हैं।हर स्टॉप पर रुकने के चलते करते हैं सफर


रोडवेज की अपेक्षा डग्गामार बसों पर सफर करने की एक वजह यह भी सामने आई कि कई रूट्स पर जाने वाली रोडवेज बस केवल रोडवेज बस स्टेशन पर ही रुकती है, जिसके चलते बीच में आने वाले छोटे-छोटे कस्बों के लोग डग्गामार बस में सफर करते हैं। हालांकि, ऐसे पैसेंजर्स डग्गामार बस में सफर करने के खतरे से अंजान भी होते हैं।कमीशन पर सवारी का चलता है खेल

डग्गामार बसों में सफर करने वाले पैसेंजर्स से बात करने पर दूसरी वजह सामने आई कि रोडवेज बस की अपेक्षा डग्गामार बसों का किराया भी कम होता है। इसके अलावा कमीशन पर सवारी बटोरने का भी खेल चलता है। इसके लिए डग्गामार बस संचालक कई रूट्स पर ई रिक्शा, आटो, टैैंपो वाले को कमीशन देते हैं। बस तक सवारी बैठाने के नाम पर लोकल ट्रांसपोर्ट्स (ई रिक्शा, आटो, टैैंपो) वाले सीधे डग्गामार बस तक पहुंचा देते हैं। सवारी से किराया लेने के साथ-साथ डग्गामार बसों के संचालक से कमीशन भी लेते है। यह कमीशन हर 10 सवारी पर 300 रुपये तक होता है। बस चलाने का सिंडिकेट है एक्टिवडग्गामार बस के मालिक भले अलग-अलग व्यक्ति हो सकते हैं लेकिन जिस रूट्स से डग्गामार बस का संचालक होता है, वहां कोई एक व्यक्ति उस सिंडिकेट को ऑपरेट करता है। उसके बदले उसे हर बस से कमीशन भी मिलता है। उसका काम होता है हर चीज को 'मैनेजÓ करना। इसके लिए उसे हर चक्कर या फिर हर मंथ के हिसाब से पेेमेंट किया जाता है।चेकिंग से पहले मिल जाती है सूचना

डग्गामार बसों के सिंडिकेट काफी मजबूत होता है। परिवहन विभाग हो या फिर आरटीओ या पुलिस चेकिंग से पहले ही उन्हें इसकी सूचना मिल जाती है। चेकिंग करने पहुंचने से पहले भी बस उस स्पॉट से गायब हो जाती है। डग्गामार बसों का संचालक किसी मेन प्वाइंट से न होकर अलग-अलग रूट पर आउटर एरिया से किया जाता है ताकि अफसरों के चेकिंग करने से पहले उन्हें हाईवे की तरफ रवाना किया जा सके या फिर गलियों में सुरक्षित स्थान पर पहुंंचाया जा सके।पूरी रिपोर्ट फिर भी कार्रवाई नाम मात्रपरिवहन विभाग ने डग्गामार बसों के लेकर कई बार आरटीओ, पुलिस को पत्र भी लिखा है। यहीं नहीं, प्रवर्तन दल में एक दो नहीं बल्कि 300 से ज्यादा कार्रवाई कर चालान व डग्गामार बसों के सीज भी किया है। पर न तो उनका संचालक बंद हो रहा है और न ही डग्गामार बसों से होने वाले हादसों पर अंकुश लग पा रहा है।डग्गामार बसों के यहां हैं 10 अवैध अड्डेशहीद पथचिनहटकमताअवध चौराहाबीबीडी देव स्थानअहिमामऊरेजिडेंसीमड़ियांवतेलीबागपीजीआई

Posted By: Inextlive