Lucknow Crime News: इन दिनों डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले साइबर क्रिमिनल्स का गैंग सक्रिय है। ये गैंग उन लोगों को शिकार बना रहे हैं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और अपने या अपनी कंपनी आदि का उस पर खूब प्रमोशन करते हैं उसकी हर डिटेल तक शेयर करते हैं लेकिन सोसायटी से दूरी बनाकर रहते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। सावधान, इन दिनों डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले साइबर क्रिमिनल्स का गैंग सक्रिय है। ये गैंग उन लोगों को शिकार बना रहे हैं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और अपने या अपनी कंपनी आदि का उस पर खूब प्रमोशन करते हैं, उसकी हर डिटेल तक शेयर करते हैं लेकिन सोसायटी से दूरी बनाकर रहते हैं। वहीं, ऐसे लोग भी इनके निशाने पर हैं जो अनजाने में ही अपने बैंक खाते की डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं। साइबर क्रिमिनल्स ऐसे लोगों को वीडियो कॉल कर कभी जेल भेजने तो कभी बदनामी का डर दिखाकर ठगी कर रहे हैं। आइए जानते हैं यह पूरा खेल कैसे खेला जा रहा है और इससे कैसे बच सकते हैंकैसे होता है डिजिटल अरेस्ट का खेल


अनजान नंबर से वाट्सएप पर वीडियो कॉल कर फंसाने या परिवार के किसी सदस्य के पकड़े जाने की जानकारी दी जाती है। धमकी देकर वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने पर मजबूर किया जाता है। स्कैमर्स मनी लांड्रिंग, ड्रग्स आदि की गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया जाता है। इस बारे में किसी अन्य से जानकारी न शेयर करने की बात की जाती है। कॉल करने वाले के पीछे का दृश्य पुलिस स्टेशन की तरह दिखता है। केस को बंद करने और गिरफ्तारी से बचाने के नाम पर मोटी रकम मांगी जाती है। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले पुलिस, सीबीआई, आरबीआई आदि का अधिकारी बनकर कॉल करते हैं। ये लोगों को इमोशनली और मेंटली टार्चर करते हैं और डराते हैं कि उनके परिवार के साथ बुरा हो सकता है।इस बात का रखें ध्यान-पुलिस अपनी पहचान बताने के लिए कभी वीडियो कॉल नहीं करती।-पुलिस किसी से कोई एप डाउनलोड करने के लिए नहीं करती है।-गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन शेयर नहीं किया जाता है।-वायस और वीडियो कॉल पर बयान नहीं दर्ज किए जाते हैं।-पुलिस कॉल पर पैसे या पर्सनल डिटेल के लिए धमकी नहीं देती है।-कॉल पर पुलिस किसी अन्य से डिटेल साझा करने से नहीं रोकती है।-कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्राविधान ही नहीं है।जारी की गई एडवाइजरी-सरकारी एजेंसियां आधिकारिक संचार के लिए वॉट्सएप या स्काइप जैसे प्लेटफार्म का उपयोग नहीं करती हैं। साइबर ठग ही इसका यूज कर रहे हैं। इसका ध्यान रखें।-साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के लिए फोन कॉल, ई-मेल से मैसेज भेजते हैं। वे बताते हैं कि आप मनी लांडिंग या चोरी जैसे अपराधों के तहत जांच के दायरे में हैं।

-साइबर ठग कॉल पर गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं। इससे घबराएं नहीं, न ही उन्हें अपनी बैंक डिटेल के बारे में जानकारी दें।-ऐसी कॉल आने पर जवाब देने में जल्दबाजी न करें और कोई भी निजी जानकारी उनसे शेयर न करें।-ऐसी कॉल आने पर तुरंत स्क्रीन शॉट लें और वीडियो रिकार्डिंग सेव करें जो आगे आपके काम आ सकती है।-साइबर ठग ई-मेल पर भी मैसेज भेज रहे हैं। ये फिशिंग के मामले हैं। वे आपके कंप्यूटर को हैक कर जानकारी हासिल करते हैं।डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई चीज नहीं होती है। अगर कोई आपको कॉल करके किसी तरह की जानकारी और डिटेल मांगता है तो आप सावधान हो जाएं और इसकी सूचना नजदीकी साइबर क्राइम सेल को दें।ब्रजेश यादव, थाना प्रभारी, साइबर क्राइम थाना

Posted By: Inextlive