Lucknow News: मेडिकल संस्थान और सरकारी अस्पतालों से अक्सर तीमारदारों की डॉक्टर नर्स या अन्य स्टाफ से मारपीट या अभद्रता की खबरें सामने आती रहती हैं। जहां कई बार तीमारदार तो कई बार दूसरे पक्ष की गलती सामने आती है पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता।


लखनऊ (ब्यूरो)। मेडिकल संस्थान और सरकारी अस्पतालों से अक्सर तीमारदारों की डॉक्टर, नर्स या अन्य स्टाफ से मारपीट या अभद्रता की खबरें सामने आती रहती हैं। जहां कई बार तीमारदार तो कई बार दूसरे पक्ष की गलती सामने आती है, पर कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता। जबकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टर समेत अन्य स्टाफ को मरीजों से अच्छी तरह पेश आने, धैर्य रखने आदि के साथ उनकी मेंटल हेल्थ के लिए भी प्रोग्राम चलाया जाता है, पर इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिखाई देता है।तीमारदारों पर फोड़ते हैं ठीकरा


सरकारी संस्थानों में होने वाली मारपीट और अभद्रता की घटनाओं को लेकर अधिकारी अकसर पूरा ठीकरा मरीजों और उनके तीमारदारों पर फोड़ देते हैं। अधिकारियों के मुताबिक, अधिकतर घटनाएं मरीजों या तीमारदारों द्वारा शुरू की जाती हैं, जिसके कारण ऐसा व्यवहार देखने को मिलता है। हालांकि, मारपीट या किसी से अभद्रता करना शोभनीय नहीं है, पर कई बार परिस्थिति ऐसी बन जाती हैं जिसके कारण ऐसा व्यवहार सामने आता है।कई तरह के प्रोग्राम चलाये जा रहे

डीजी हेल्थ डॉ। ब्रजेश राठौर ने बताया कि डॉक्टर्स, नर्स समेत अन्य हेल्थ वर्कर्स के लिए विभाग द्वारा लगातार ट्रेनिंग देने का काम किया जाता है। जहां मरीजों से कैसा व्यवहार किया जाए, मरीज ज्यादा उत्तेजित हो तो कैसे कंट्रोल करना हैं और धैर्य रखना आदि के बारे में सिखाया जाता है। इसके अलावा, ज्यादा मरीजों को देखने का प्रेशर भी होता है, जिससे स्टाफ की मेंटल हेल्थ पर भी असर होता है। इसके लिए अलग से ट्रेनिंग देते हैं, जिसमें मेडिटेशन व योग आदि के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है। साथ ही, अगर कोई अन्य समस्या होती है तो उसे भी दूर करने का काम किया जाता है। अस्पताल में मरीज, तीमारदार और अस्पताल स्टाफ सभी का सहयोग बेहद जरूरी है।हर समस्या पर ध्यान देते हैंकेजीएमयू प्रवक्ता डॉ। सुधीर सिंह ने बताया कि डॉक्टर्स व अन्य स्टाफ काफी प्रेशर में काम करता है। रेजिडेंट्स के पास दबाव झेलने का ज्यादा अनुभव नहीं होता है। इसी को देखते हुए कई स्तर पर प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं, जिसमें कम्युनिकेशन प्रोग्राम, ओरिएंटेशन कोर्स समेत मेंटल हेल्थ के लिए एक्सपर्ट कमेटी भी है ताकि समस्याओं को समय रहते हल किया जा सके। पर मरीजों और तीमारदारों को भी समझना चाहिए कि डॉक्टर्स व नर्स आदि पर अन्य मरीजों को भी लोड होता है इसलिए अनावश्यक दबाव बनाने से बचना चाहिए। संस्थान सभी मरीजों के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं, लेकिन सहयोग हर किसी का चाहिए।

मरीजों के प्रति व्यवहार अच्छा होना चाहिए। डॉक्टर्स व नर्स को लगातार ट्रेनिंग दी जाती है। मेंटल हेल्थ के लिए अलग से प्रोग्राम चलाया जाता है।-डॉ। ब्रजेश राठौर, डीजी-हेल्थडॉक्टर व नर्स भारी दबाव में काम करते हैं। इसको देखते हुए कई प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं। मरीजों का पूरा ध्यान रखा जाता है।-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

Posted By: Inextlive