Lucknow news: स्कूली वाहनों की सुरक्षा के लिए नियम तो बनाए जाते हैं पर नहीं होता है पालन।

लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में स्कूली वाहनों से लगातार हादसे हो रहे हैं लेकिन, जिम्मेदार विभाग सिर्फ बैठकें करके आदेश जारी करने तक सीमित है। जब भी कोई हादसा होता है, दो-चार दिन तक स्कूली वाहनों की जांच की जाती है और फिर सब पुराने ढर्रे पर चलने लगता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा।

आदेश सिर्फ कागजों पर
हाल ही में शहीद पथ पर हुए स्कूली वैन हादसे के बाद पुलिस, ट्रैफिक पुलिस, आरटीओ, स्कूल प्रबंधक और जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी। निर्णय लिया गया था कि प्राइवेट वाहन हो या स्कूल की अपनी बस-वैन, इनसे आने-जाने वाले छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधक की होगी। स्कूल प्रबंधक प्राइवेट स्कूल वाहनों का डेटा बैंक बनाएंगे और पैरेंट्स को सुरक्षा के प्रति जागरुक करेंगे लेकिन, यह सब कागजों तक ही सीमित रह गया।

नोटिस तक सिमटी कार्रवाई
आरटीओ की बात करें तो विभाग हर साल समय-समय पर स्कूली वाहनों की चेकिंग का अभियान चलाता है। खामियां मिलने पर वाहनों को जब्त भी किया जाता है और चालान भी होते हैं। हालांकि इन वाहनों को शमन शुल्क देकर छुटा लिया जाता है। अधिकारी सिर्फ नोटिस देने तक सीमित रहते हैं। जिसके चलते राजधानी की सड़कों पर अनफिट स्कूली वाहन दौड़ते रहते हैं।

सड़क सुरक्षा समिति गायब
बीते साल जून में डीएम की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में निर्णय लिया गया था कि किसी भी वाहन से दुर्घटना करने वाले ड्राइवर स्कूली वाहन नहीं चला सकेंगे। ऐसे ड्राइवरों को चिंहित कर हटाया जाएगा। जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी और स्कूल प्रबंधकों को इसे लेकर आदेश भी दिए गए थे। इन निर्देशों का क्या हुआ इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा डीएम द्वारा स्कूली वाहनों की फिटनेस सही न होने पर विद्यालयों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। साथ ही ऐसे स्कूलों की मान्यता निरस्त तथा निलंबित करने का भी निर्देश दिया था। इसके लिए डीआईओएस और बीएसए को निर्देश जारी किए गये थे लेकिन, यह निर्देश महज कागजी साबित हो रहे है।

स्कूल प्रबंधक नहीं लेते जिम्मेदारी
स्कूली वाहनों से जब कोई हादसा होता है तो स्कूल प्रबंधन निजी वाहन का हवाला देकर कन्नी काट लेते हैं और पूरी जिम्मेदारी पैरेंट्स पर डाल देते हैं। अधिकारी भी स्कूलों के रसूख के आगे कुछ नहीं कर पाते हैं।


2. निर्देशों के तहत काम किया जा रहा है। स्कूलों को आदेश दिए गये है। प्रॉपर स्टॉफ लगाएं, ड्राइवर का वेरिफिकेशन, पैरेंट्स और बच्चों को जागरुक के साथ कार पूलिंग का भी सुझाव दिया गया है। नियमों का पालन सुनिश्चित करवाने का पूरी कोशिश की जा रही है।
- राकेश कुमार पांडेय, डीआईओएस-लखनऊ

स्कूली वाहनों का डेटा दिया जा सकता है लेकिन, निजी स्कूली वाहनों का डेटा देना पॉसिबल नहीं है क्योंकि यह बदलते रहते है। सबकुछ स्कूल पर जिम्मेदारी डालना भी ठीक नहीं है। पैरेंट्स को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए।
- अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, यूपी

Posted By: Inextlive