Lucknow News: भारत में ओवर द काउंटर ओटीसी दवा लेने का चलन बेहद आम है। सरकार द्वारा इसको लेकर सख्त नियम तो बनाए गए हैं पर इनका कोई पालन नहीं होता है। लोग मेडिकल स्टोर से दवा आसानी से खरीद लेते हैं। जिनका इस्तेमाल कई लोग नशे के तौर पर भी करते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। भारत में ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवा लेने का चलन बेहद आम है। सरकार द्वारा इसको लेकर सख्त नियम तो बनाए गए हैं, पर इनका कोई पालन नहीं होता है। लोग मेडिकल स्टोर से दवा आसानी से खरीद लेते हैं। जिनका इस्तेमाल कई लोग नशे के तौर पर भी करते हैं। न्यूरो और मानसिक रोग की दवाओं को बेजा इस्तेमाल खासतौर पर धड़ल्ले से हो रहा है। डॉक्टर्स की माने तो ये दवाएं बिना प्रिस्क्रिप्शन के मिलनी ही नहीं चाहिए।बिना प्रिस्क्रिप्शन नहीं मिलनी चाहिए दवा


फार्मासिस्ट फेडरेशन के सुनील यादव बताते है कि शेड्यूल एच के तहत बिना प्रिस्क्रिप्शन के कोई दवा नहीं मिलेगी। वहीं, शेड्यूल एक्स के तहत महत्वपूर्ण दवाएं, जो गंभीर मरीजों को दी जाती हैं, में कैंसर की दवा जैसे कोडीन, कैफीन व मार्फीन आदि शामिल होती हैं। इसके लिए मरीज की पूरी जानकारी के साथ अलग रजिस्टर रखना होता है, जबकि शेड्यूल एच1 में नार्कोटिक्स ड्रग आती है, जिसके लिए अलग से रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसमें नींद, दिमाग और एंटी डिप्रेसेंट दवाएं शामिल होती हैं। प्रिस्क्रिप्शन का भी होता है मिसयूज

सुनील यादव बताते हैं कि वैसे तो सबसे ज्यादा मिसयूज एंटीबायोटिक्स व स्टेरायड दवाओं का होता है क्योंकि लोग सेल्फ मेडिकेशन करते हैं। इसके अलावा, प्रिस्क्रिप्शन का भी मिसयूज होता है। लोगों को जब दोबारा समस्या होती है तो वे डॉक्टर को दिखाने की जगह उसी पर्चे से पुरानी दवाएं दोबारा ले लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। दवा का डोज सिम्प्टम्स के आधार पर अलग-अलग होता है। एक अनुमान के अनुसार, करीब 10-15 फीसदी लोग बिना डॉक्टर के खुद से ही दवाएं ले लेते हैं।डोज घट-बढ़ जाती हैकैंसर संस्थान के एमएस व साइकियाट्रिस्ट डॉ। देवाशीष शुक्ला बताते है कि दवाएं शेड्यूल एक्स में आती हैं। मेडिकल स्टोर वाले अपनी मर्जी से कई दवाएं दे देते हैं, जैसे एल्पाजुलेम व क्लोनाजिपाम आदि। ऐसी दवाएं खुद से नहीं खरीदनी और खानी चाहिए। लंबे समय तक यूज से लोग इन ड्रग्स के एडिक्ट हो जाते हैं। बॉडी व आर्गन पर भी इसका असर पड़ता है। कई बार लोग पुराना पर्चा दिखाकर दवाएं ले लेते हैं। ऐसे में उनको समझाया जाता है कि बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से दवा नहीं लेनी चाहिए। मेडिकल स्टोर्स वालों को भी दवाएं देते समय काफी एहतियात बरतनी चाहिए।नशे के तौर पर होता है यूज

केजीएमयू में माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ। शीतल वर्मा बताती हैं कि नार्कोटिक्स कैटेगरी में अधिकतर मार्फीन ही आती हैं, जो नींद लाने व पेन रिलीव करने के लिए होती हैं। इनका यूज नशे के तौर पर भी होता है। इनके मिसयूज से नर्व डैमेज, होश में न रहना, बॉडी आर्गन खराब होना, एचआईवी, हेपेटाइटिस या अधिक सेवन से मौत तक का खतरा बना रहता है। ड्रग एडिक्ट लोग ऐसी ही दवाओं का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल करते हैं।कई बार मरीज बिना डॉक्टर से सलाह लिए पुराने पर्चे से ही दवाएं ले लेते हैं, जो नहीं होना चाहिए। इसके कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। मेडिकल स्टोर्स को भी शेड्यूल्ड व नार्कोटिक्स कैटेगरी वाली दवाएं देते समय एहतियात बरतनी चाहिए।-डॉ। देवाशीष शुक्ला, साइकियाट्रिस्ट एंड एमएस, कैंसर संस्थानशेड्यूल्ड व नार्कोटिक्स दवाओं का इस्तेमाल बिना डॉक्टर के लिखे नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।-डॉ। शीतल वर्मा, केजीएमयूनार्कोटिक्स ड्रग्स के लिए रजिस्टर मेनटेन करना होता है। पर कई बार जानने वाले लोगों को मेडिकल स्टोर्स वाले दवाएं ऐसे ही दे देते हैं, ऐसा करने से बचना चाहिए।-सुनील यादव, फार्मासिस्ट फेडरेशन

Posted By: Inextlive