Lucknow news: लेट प्रेग्नेंसी यानि दिल की बीमारी को दावत
लखनऊ (ब्यूरो)। डॉक्टर्स के अनुसार लेट प्रेग्नेंसी के कारण हार्ट डिजीज का खतरा कई दुगुना तक बढ़ जाता है। इसमें हार्ट अटैक तक पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि उम्र बढऩे के साथ महिलाओं के अंगों पर दबाव बढ़ता है। इसलिए लेट प्रेग्नेंसी से बचना चाहिए।
देर से शादी भी एक वजहकेजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी की डॉ मोनिका भंडारी बताती हैं कि पहले के जमाने में जल्द शादी और 22 से 24 की उम्र में बच्चा या 27 की उम्र तक परिवार पूरा हो जाता था। आजकल महिलाएं काम कर रही हंै। जिससे देर से शादी और देर से बच्चे हो रहे हैं। जिससे उनको कई समस्याएं हो रही हैं। खासतौर पर महिलाओं में लेट प्रेग्नेंसी के कारण हार्ट संबंधी डिजीज लगातार बढ़ती जा रही है। यह समस्या 30 से 35 की उम्र की महिलाओं में अधिक है।
उम्र के साथ फर्टिलिटी कमजोर
डॉ मोनिका ने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ फर्टिलिटी कमजोर हो जाती है इसलिए असिस्टेड प्रेग्नेंसी कराई जाती है, जोकि कई तरह की समस्याओं को बढ़ाती है। जिसमें बीपी व शुगर बढऩे से आगे चलकर क्रोनिक समस्या हो जाती है। साथ ही प्रेग्नेंसी के बाद हार्ट की मसल्स कमजोर होना भी देखा गया है। कई बार बाद में पता चलता है कि महिला को पहले से ही कोई हार्ट की समस्या होती है। जो प्रेग्नेंसी के दौरान पता चलती है। इसलिए कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी से पहले टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए ताकि अगर कोई मेडिकली समस्या हो तो उसे मैनेज किया जा सके।
केजीएमयू के क्वीन मेरी की हेड व प्रोफेसर डॉ अंजू अग्रवाल का कहना है कि लेट प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं में पेरी पार्टम कार्डियम मायोपैथी यानि हार्ट फेल्यर कॉमन होता है। यह डिलीवरी के समय या डिलीवरी के पांच माह के बीच कभी आ सकता है। हालांकि, कई एक्सपर्ट इसे जेनेटिक वजह भी मानते है। यह समस्या अधिक उम्र की प्रेग्नेंसी में ही ज्यादा देखने को मिलती है। खासतौर पर जो आईवीएफ से होता है क्योंकि अधिक उम्र या डोनर से प्रेग्नेंसी तो हो जाती है, लेकिन बीपी समेत अन्य समस्या बढ़ जाती हैं। इससे कार्डियक प्राब्लम होती है। विभाग में हर माह ऐसे 20 से 25 केस आ रहे हैं।
प्रेग्नेंंसी की सही उम्र 22 से 30
डॉ अंजू ने बताया कि यंगर ऐज में प्रेग्नेंसी ज्यादा आसान होती है क्योंकि इस दौरान बॉडी सब तरह के दबावों को सहन करने में सक्षम होती है। मेडिकली कहा जाए तो प्रेग्नेंसी के लिए सही उम्र 22 से 30 के बीच को माना जाता है। 35 की उम्र के ऊपर समस्या लगातार बढऩा शुरू हो जाती हैं इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही प्रेग्नेंसी करनी चाहिए।
डॉ मोनिका भंडारी, लारी कार्डियोलॉजी, केजीएमयू लेट प्रेग्नेंसी की वजह से हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है। जो डिलीवरी ये उसके बाद पांच माह के भीतर देखने को मिल सकता है। इसलिए समय रहते प्रेग्नेंसी बेहद जरूरी है।
डॉ अंजू अग्रवाल, हेड, क्वीन मेरी