Lucknow News: केजीएमयू के एमबीबीएस छात्र शोधकर्ताओं ने सेरेब्रल पाल्सी से जुड़े प्रारंभिक बायोमार्कर की पहचान में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मदर बायोमार्कर की पहचान की है। जो बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी के प्रारंभिक संकेतक के रूप में काम कर सकते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के एमबीबीएस छात्र शोधकर्ताओं ने सेरेब्रल पाल्सी से जुड़े प्रारंभिक बायोमार्कर की पहचान में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मदर बायोमार्कर की पहचान की है। जो बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी के प्रारंभिक संकेतक के रूप में काम कर सकते हैं। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान इन बायोमार्कर से बीमारी की समय से पहले पहचान में महत्वपूर्ण मदद मिल सकती है।मदर बायोमार्कर की खोज की


टीम ने एक मेटा विश्लेषण के माध्यम से मदर बायोमार्कर स्तरों और सेरेब्रल पाल्सी के जोखिम के बीच महत्वपूर्ण संबंध की खोज की। विश्लेषण से पता चला कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था संबंधित प्लास्मा प्रोटीन के स्तर का कम होना और पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में बीटा एचसीजी के स्तर में कमी सेरेब्रल पाल्सी के अधिक संभावित जोखिम से जुड़ी है। ये निष्कर्ष गर्भावस्था देखभाल प्रथाओं में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं और जोखिम में बच्चों के परिणामों को बेहतर बना सकते हैं। इस अध्ययन को अब बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है।कई लेवल कम हो जाते हैं

यह अध्ययन मस्तिष्क पक्षाघात यानि सेरेब्रल पाल्सी और गर्भावस्था के दौरान माताओं में पाए जाने वाले बायोमार्कर्स के स्तर के बीच संबंध को समझने का प्रयास करता है। मस्तिष्क पक्षाघात एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जो बच्चों की मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित करता है। इस शोध में पाया गया कि जिन माताओं के शरीर में पहले तिमाही के दौरान पीएपीपी-ए नामक प्रोटीन का स्तर कम था, उनमें जन्म लेने वाले बच्चों में मस्तिष्क पक्षाघात का जोखिम अधिक था। इस अध्ययन में 5 अलग-अलग अध्ययन शामिल थे। जिनमें 1,552 मामलों और 4,84,985 नियंत्रण मामलों का विश्लेषण किया गया। इसी प्रकार पहले और दूसरे तिमाही के दौरान बीटा-एचसीजी नामक हार्मोन का स्तर भी कम पाया गया। जो मस्तिष्क पक्षाघात के विकास से जुड़ा हुआ था। विशेष रूप से पहली बार गर्भवती माताओं में बीटा-एचसीजी का स्तर सामान्य से कम था।बायोमार्कर्स की पहचान आवश्यकइसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान नुचल ट्रांसलूसेंसी यानि गर्दन की मोटाई के उच्च स्तर और मस्तिष्क पक्षाघात के बीच भी कुछ संबंध देखा गया। अध्ययन का निष्कर्ष यह है कि पहले तिमाही में कम पीएपीपी-ए और पहले व दूसरे तिमाही में कम बीटा-एचसीजी स्तर से बच्चों में मस्तिष्क पक्षाघात के विकास का जोखिम बढ़ सकता है। आगे की रिसर्च में इन बायोमार्कर्स की भविष्यवाणी करने की क्षमता को जांचना और नए बायोमार्कर्स की पहचान करना आवश्यक होगा।यह है सेरेब्रेल पाल्सी

सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है। जो आमतौर पर जन्म के समय या उससे पहले मस्तिष्क को क्षति पहुंचाने के कारण होता है। जिससे बच्चे की मोटर क्षमताओं, समन्वय और मांसपेशियों के तनाव पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। यह रहे टीम में शामिलइस शोध का नेतृत्व छात्र विनय सुरेश ने किया, जबकि न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ। रविंद्र कुमार गर्ग और डॉ। हारदीप सिंह मल्होत्रा, डीन, रिसर्च सेल ने योगदान दिया। इसके अलावा पीडियाट्रिक्स विभाग की डॉ। अरिशा आलम, प्रमुख बाल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ। शेफाली गुलाटी, एम्स, दिल्ली शामिल थे, जबकि टीम में शिवा गुप्ता, यशिता खुलबे, मुहम्मद आकिब शमिम, वैभव जैन आदि शामिल रहे।

Posted By: Inextlive