Lucknow News: एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग हर घंटे एक छात्र सुसाइड कर रहा है। वहीं लखनऊ में भी छात्रों के सुसाइड करने की स्थिति भयावह है। कई केसों में फियर ऑफ फेल्योर एक्सपेक्टेशन एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ मेंटल प्रेशर तो कई केसों में अपनों के दूर होने की बात सामने आई है।


लखनऊ (ब्यूरो)। बीते कुछ माह की बात की जाए तो शहर में छात्रों के सुसाइड केस बढ़ गए हैं। इनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। पीड़ित पैरेंट्स भी यह सोचकर सदमे में हैं कि आखिर इतनी कम उम्र में उनके बच्चे ने मौत को गले क्यों लगा लिया। कई केसों में यह भी सामने आया कि बच्चों पर पढ़ाई का बोझ उनकी जान ले रहा है। ओवर-शेड्यूलिंग के साथ-साथ पैरेंट्स का प्रेशर भी बच्चों को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों में आगे निकलने की होड़ और पैरेंट्स का प्रेशर होता है, इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर न डालकर उन्हें डिप्रेशन व गुस्से को कंट्रोल करने के गुर सिखाएं। बचपन से ही उन्हें इसकी सीख देनी चाहिए।इसलिए लगाते हैं बच्चे मौत को गले


एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में लगभग हर घंटे एक छात्र सुसाइड कर रहा है। वहीं, लखनऊ में भी छात्रों के सुसाइड करने की स्थिति भयावह है। कई केसों में फियर ऑफ फेल्योर, एक्सपेक्टेशन, एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़, मेंटल प्रेशर तो कई केसों में अपनों के दूर होने की बात सामने आई है। जिस वजह से आए दिन छात्र मौत को गले लगा रहे हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर पैरेंट्स और स्कूल प्रबंधन कुछ बातों का ध्यान द तो बच्चों को सुसाइड करने से काफी हद तक कम किया जा सकता है।कभी नहीं आएगा चिड़चिड़ापनएक्सपर्ट बताते हैं कि आज के टाइम में ज्यादातर बच्चे डिप्रेशन में रहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे समय से अधिक पढ़ना, खेलने का मौका न मिलना, होमवर्क की टेंशन, बात-बात पर परैंट्स का डांटना समेत अन्य कारण होते हैं। ऐसे में पैरेंट्स का रोल सबसे अहम हो जाता है, क्योंकि पैरेंट्स अगर बच्चों पर पढ़ाई का बोझ न डाले तो बच्चा कभी भी डिप्रेशन में नहीं आएगा और ना ही कभी गुस्सा करेगा, लेकिन कई ऐसे पैरेंट्स भी हैं, जो इन बातों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते हैं। पैरेंट्स को चाहिए को बच्चे को बचपन से ही डिप्रेशन और गुस्से से काबू पाने के लिए सीख दें। बच्चों के अंदर कभी भी चिड़चिड़ापन नहीं आएगा।क्या कहते हैं एक्सपर्ट्सएक्सपेक्टेशन- कई पैरेंट्स में देखा गया है कि उनकी एक्सपेक्टेशन उनके बच्चों से अधिक होती है, लेकिन वह उस काम को ठीक से कर नहीं पाते हैं। इससे बच्चे का मनोबल टूटता है और वह सुसाइड करने की सोच लेते हैं।

मेंटल प्रेशर- कई बार पैरेंट्स का भी इसमें अहम रोल होता है, वह अपने बच्चों पर पढ़ाई का अधिक प्रेशर डालते हैं, जिससे बच्चा मेंटल प्रेशर में चला जाता है और वह खुद का नुकसान पहुंचा देता है।फियर ऑफ फेल्योर- कई बार बच्चों के मन में हमेशा फेल्योर का डर बन रहता है। उनको लगता है कि उनके साथ जो पढ़ाई कर रहा है या फिर कोई ऐसा दोस्त जो उनसे आगे न निकल जाए।अगर ऐसे लक्षण हैं तो हो अलर्ट- अगर बच्चा परिवार में अलग-थलग रहने की कोशिश करे।- खुद को एकांत में रखने की कोशिश करना, हमेशा दूसरों से दूर रहना। - दोस्तों व पैरेंट्स से बातचीत कम करने लगा हो।- हमेश दूसरों से अकेला रहकर खोया-खोया रहना।- खुद को कमरे में ज्यादातर समय अंधेरे में रखना।एक्सपर्ट की बातों का ध्यान दें- कुछ टीनएजर्स या युवा हर बात को नेगेटिव तरीके से लेने के आदी होते हैं। वे खुद को लेकर हमेशा डाउट में रहते हैं।- दिमाग का वह हिस्सा जो डर और भावनाओं से जुड़ा होता है जिनमें ज्यादा सेंसेटिव होता है, उन्हें सोशल फोबिया होता है।

- कई लोगों के अतीत में ऐसी कोई घटना होती है, जिससे वह वर्तमान में डर पाल लेते हैं, ऐसे में एक्साइज और ध्यान करें।इस तरह करें बचाव- मोबाइल पर गेम खेलने के बजाय ग्राउंड में जाकर खेलने को कहें।- जिस भी स्कूल में आपका बच्चा पढ़ता है, वहां के बच्चों का बिहेवियर जानें।- कभी भी बच्चे को मारे या फिर दूसरों के सामने उसको डांटे नहीं।- एग्जाम के समय पैरेंट्स बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर न बनाएं।- पैरेंट्स अपनों बच्चों उतना ही पढ़ाई का जोर दें, जितनी की जरूरत है।- बच्चों में एक्सरसाइज और मॉनिंग वॉक या फिर योग कराने की आदते डालें।बच्चों के इमोशनल और इंप्लसिव नेचर को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है, कई बार ऐसे संकेतों पर ध्यान ही नहीं जाता। ये संकेत ध्यान न देने पर खुदकुशी की ओर ले जाते हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि इस तरह के संकेत मिलते ही अलर्ट हों जाएं और स्कूल टीचर को भी अलर्ट करें और डॉक्टर से मिलकर ट्रीटमेंट शुरू करें।डॉ। देवाशीष शुक्ल, वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ, कैंसर संस्थानपहले आए सुसाइड के मामलेकेस-1
सितंबर 2023 को ठाकुरगंज के हुसैनाबाद शिवपुरी में डीएलएड के छात्र शाहरुख ने घर में सुसाइड कर लिया। परिजनों का आरोप था कि कॉलेज के टीचर वाइवा और प्रोजेक्ट फाइल बनाने का दबाव बना रहे थे। इसकी वजह से बेटे ने यह कदम उठाया।केस-2नवंबर 2022 को गोमती नगर विस्तार सीएमएस के 9वीं का छात्र रेलवे लाइन पर लहूलुहान मिला। छात्र के सिर व पैर पर गंभीर चोट आई थी। छात्र के पास से एक माफीनामा मिला था, जिसमें लिखा था कि मैम, मैंकक्षा नौ का छात्र हूं, मैं माफी मांगता हूं।केस-3अक्टूबर 2023 को जानकीपुरम क्षेत्र के आकांक्षा परिसर पॉकेट-2 के पार्क स्थित झूले पर दुप्पटा के सहारे अलीगंज सीएमएस में 9वीं के छात्र आरव सिंह ने सुसाइड कर लिया था। घटना वाले दिन स्कूल में उसका अंग्रेजी का पेपर था।

Posted By: Inextlive