Dengue in Lucknow: डेंगू का डंक बेहद खतरनाक माना जाता है। यह कब अचानक से गंभीर मर्ज हो जाए कहा नहीं जा सकता है। जिससे मरीज को आईसीयू तक में भर्ती होना पड़ता है। जहां प्लेटलेट्स तक चढ़ानी पड़ती है। वहीं कई मरीजों ने अपने जज्बातों और हिम्मत के बल पर इसे हराया भी है।

लखनऊ (ब्यूरो)। डेंगू का डंक बेहद खतरनाक माना जाता है। यह कब अचानक से गंभीर मर्ज हो जाए कहा नहीं जा सकता है। जिससे मरीज को आईसीयू तक में भर्ती होना पड़ता है। जहां प्लेटलेट्स तक चढ़ानी पड़ती है। वहीं, कई मरीजों ने अपने जज्बातों और हिम्मत के बल पर इसे हराया भी है। जिसे वो अपना दूसरा जीवन भी मानते हंै और दूसरों को भी हिम्मत बंधाते हंै कि डेंगू से मुकाबले के लिए सर्तकता और धैर्य बेहद जरूरी है।

दो दिन आईसीयू में रही
मुझे 2019 में डेंगू हुआ। शुरुआत में बुखार और बदन दर्द ही था लेकिन एक दिन अचानक तबियत खराब हो गई और अस्पताल जाना पड़ा। वहां जांच में प्लेटलेट्स 30 हजार के नीचे मिलीं। अस्पताल में हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि दो दिन तक आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। इस दौरान कोई होश नहीं था। जब होश आया तो भगवान से यहीं दुआ रही कि मुझे किसी भी तरह से ठीक कर दें। परिवार वालों का पूरा सहयोग मिला। अस्पताल में मुझे करीब 5 दिनों तक रहना पड़ा था। जिस दिन डिस्चार्ज हुई उस दिन लगा कि मुझे नया जीवन मिल गया है। भगवान का शुक्र अदा किया। सभी को डेंगू से बचाव के उपाय करने चाहिए। सावधानी व सर्तकता ही इसका उपाय है।
- सारना बंसीवाल, टीचर

लोगों को जागरूक करने लगा हूं
2023 में डेंगू के चलते अस्पताल में तीन दिन भर्ती होना पड़ा। एक दिन हालत गंभीर होने वा आईसीयू में शिफ्ट किया गया। प्लेटलेट्स बेहद डाउन थीं। मुझे होश नहीं आ रहा था। घर वाले मेरी सेहत को लेकर चिंतित थे। मैंने हिम्मत नहीं हारी और मन में ठान लिया था कि मुझे ठीक होकर ही घर जाना है। हर समय भगवान से जल्द ठीक होने की कामना किया करता था। आखिर में तबियत में सुधार होना शुरू हुआ और अस्पताल से डिस्चार्ज हो गया। इसके बाद मैं अपने रिश्तेदारों और दोस्त आदि को डेंगू से बचाव के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया। मैं खुद एक फीजियोथेरेपिस्ट हूं इसलिए डेंगू की घातकता को समझता हूं। लोगों को सर्तक रहना चाहिए।
- अतुल मिश्रा, फीजियोथेरेपिस्ट

घर वालों की दुआ से ठीक हुआ
2023 में मुझे डेंगू हुआ तब पता चला कि इसका दर्द क्या होता है। पहले घर पर ही डॉक्टर का इलाज चलता रहा। एक दिन हालत ऐसी हो गई कि बैठना और उठना तक मुश्किल हो गया। अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। प्लेटलेट्स लेवल डाउन हुआ तो कई बार चढ़वानी पड़ी। इस दौरान हर कोई मेरी हिम्मत बढ़ा रहा था कि मैं जल्दी ही ठीक हो जाऊंगा। यह उनकी दुआ और विश्वास ही कि तीन दिनों के बाद ही मैं अस्पताल से डिस्चार्ज हो गया। इसके बाद अपने जानने वालों को डेंगू के प्रति अवेयर करने का काम शुरू किया। खासतौर पर घर में साफ पानी न भरा होने को लेकर जागरूक कर रहा हूं।
- ऋषभ तिवारी, एडवोकेट

इंटरनल ब्लीडिंग होने लगी थी
2021 में जब मुझे डेंगू हुआ तो शुरुआत में हल्के लक्षण थे। अचानक तबियत खराब हुई और अस्पताल जाना पड़ा। वहां इंटरनल ब्लीडिंग भी शुरू हो गई। मुझे आईसीयू में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने कई बार प्लेटलेट्स चढ़ाई और दवाएं दी जिसके बाद धीरे-धीरे हालत में सुधार होने लगा। इस दौरान एक समय ऐसा आया जब मैंने बचने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन परिजनों ने हिम्मत बढ़ाई। किसी तरह मैं इस बड़े संकट स बाहर आया। डेंगू एक खतरनाक बीमारी है, इसे हल्के में न लें। एक लापरवाही आपको मौत के करीब ले जा सकती है। बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है।
- बीडी द्विवेदी, गवर्नमेंट जॉब

एक हफ्ता अस्पताल में रहना पड़ा
2022 में डेंगू हुआ और एक सप्ताह तक मैं अस्पताल में रहा। कई बार प्लेटलेट्स भी चढ़ाई गई। मुझे होश तक नहीं आ रहा था और परिजनों की परेशानी बढ़ती जा रही थी। वे मुझे डेंगू से लडऩे का हौसला देते रहे। जब इससे ठीक होकर घर आया तो ऐसा लगा जैसे मुझे नया जीवन मिल गया हो। डेंगू को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। यह आपको अंदर से तोड़ देता है। इससे बचना बेहद जरूरी है।
- अनिकेत द्विवेदी, गवर्नमेंट जॉब

Posted By: Inextlive