Lucknow News: राजधानी के सरकारी अस्पतालों में कैंसर मरीजों को जांच और ट्रीटमेंट के लिए लंबा युद्ध लड़ना पड़ता है। जिलों में सुविधाओं की कमी के चलते राजधानी के मेडिकल संस्थानों में कैंसर मरीजों को भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में कैंसर मरीजों को जांच और ट्रीटमेंट के लिए लंबा युद्ध लड़ना पड़ता है। जिलों में सुविधाओं की कमी के चलते राजधानी के मेडिकल संस्थानों में कैंसर मरीजों को भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। पर यहां सीमित साधन-संसाधन होने के कारण मरीजों को लंबी वेटिंग का दंश झेलना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इसके लिए तय प्रोग्राम और गाइडलाइन के अनुसार फास्ट ट्रैक स्क्रीनिंग की जा रही है ताकि समय रहते कैंसर का पता और जल्द इलाज हो सके।फॉस्ट ट्रैक स्क्रीनिंग की जा रही


रंजन कुमार, सचिव, स्वास्थ्य ने बताया कि इसको लेकर सेंट्रल लेवल से प्रोग्राम बने हैं। कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए एनसीटी के तहत फास्ट ट्रैक स्क्रीनिंग का काम चल रहा है। साथ ही साथ रिपोर्टिंग सिस्टम बना हुआ है ताकि कैंसर मरीजों के बारे में सही जानकारी मिल सके। हर स्तर पर कार्रवाई होती है। साथ ही वैक्सीनेशन का भी काम किया जा रहा है। सरकार कैंसर मरीजों को लेकर विशेष काम कर रही है। वहीं, डीजी हेल्थ डॉ। ब्रजेश राठौर ने बताया कि लगातार स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। कैंसर को लेकर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है। एनएचएम के तहत कई योजनाएं चल रही हैं।

सही आंकड़े जुटाने चाहिएकेजीएमयू में रेडियोलॉजी विभाग के डॉ। सुधीर सिंह ने बताया कि कैंसर को लेकर सबसे पहले आंकड़े जुटाने चाहिए ताकि वास्तविक जानकारी मिल सके। उसके बाद दो चीज करें पहला समय पर ट्रीटमेंट और जागरूकता के तहत इसकी रोकथाम। इसके बाद डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि जो डॉक्टर्स अन्य जनपदों और छोटे जिलों में हैं, वे कॉमन कैंसर को लेकर सही जानकारी और उसका पता लगा सकें। साथ ही सीएचसी-पीएचसी लेवल पर स्क्रीनिंग को पुख्ता करना चाहिए ताकि पहली अवस्था में ही कैंसर को पकड़ा जा सके।डॉक्टर्स और सुविधाएं बढ़ाना जरूरीकैंसर के इलाज के लिए मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट की सबसे ज्यादा जरूरत है। पर राजधानी के कई संस्थानों में इनकी कमी बनी हुई है। जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है। इसके अलावा जांच के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई और बेहद जरूरी पीईटी स्कैन की कमी भी बड़ा कारण है। क्योंकि सीमित संख्या में जांच होने के कारण मरीजों की लंबी वेटिंग चल रही है, जिससे मरीजों का मर्ज और गंभीर हो रहा है।पीपीपी मॉडल के लिए कहा था

हाल ही पीजीआई में एक प्रोग्राम के दौरान प्रमुख सचिव, हेल्थ एंड मेडिकल एजुकेशन पार्थ सारथी सेन शर्मा ने भी संस्थान प्रशासन को पीपीपी मॉडल पर पीईटी स्कैन मशीन लगाने के लिए कहा था। जिससे जितनी जल्दी कैंसर का पता चल सकेगा उतनी ही जल्दी डॉक्टर मरीज का इलाज कर सकेगा। क्योंकि जांच में देरी और समय पर इलाज नहीं मिलने से कैंसर मरीजों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।फास्ट ट्रैक स्क्रीनिंग का काम किया जा रहा है। साथ ही रिपोर्टिंग सिस्टम भी बना हुआ है। कैंसर को लेकर लगातार काम किया जा रहा है।-रंजन कुमार, सचिव, स्वास्थ्यकैंसर को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। इसके लिए स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाया जा रहा है। एनएचएम के तहत प्रोग्राम चलाया जा रहा है।-डॉ। ब्रजेश राठौर, डीजी, हेल्थकैंसर मरीजों का सही आंकड़ा जुटाना बेहद जरूरी है। साथ ही डॉक्टर्स की ट्रेनिंग भी हो ताकि कॉमन कैंसर को आसानी से पकड़ा जा सके और जल्द इलाज शुरू किया जा सके।-डॉ। सुधीर सिंह, रेडियोथेरेपी विभाग, केजीएमयू

Posted By: Inextlive