Lucknow News: एजुकेटेड और सोशल लोगों को डिजिटल अरेस्ट करके बनाया जा रहा ठगी का शिकार
लखनऊ (ब्यूरो)। साइबर क्रिमिनल्स एजुकेटेड और सोशल लोगों को ही डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं। राजधानी में अब तक जितने भी ऐसे मामले आए हैं सभी में ऐसे लोगों को शिकार बनाया गया है, जिसका सोसायटी में नाम है। ऐसे लोगों को सोसायटी में बदनामी का डर दिखाकर भी ठगी की जा रही है। डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का नया मामला इंदिरा नगर में आया है।तो बच सकती है रकमइंदिरा नगर सेक्टर बी निवासी मानवी मेहरोत्रा को सीबीआई अफसर बन काल कर बताया गया कि मनी लांड्रिंग केस में अरेस्ट वारंट भेजा जा रहा है। उन्हें कालर ने डिजिटल अरेस्ट कर सोसायटी में बदनामी का डर दिखाकर बताए गए खाते में 13.73 लाख ट्रांसफर करा लिए। उन्होंने इसकी शिकायत साइबर थाना पुलिस से की। साइबर थाना पुलिस ने खाते से ट्रांसफर की गई रकम फ्रीज करा कर वापस दिला दी।क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट में वीडियो काल के माध्यम से व्यक्ति को घर में बंधक बना लिया जाता है। लोगों को बताया जाता है कि उनके आधार, सिम या बैंक खाते से अनैतिक काम हो रहे हैं।फर्जी स्टेशन करते हैं तैयार
इस तरह की वीडियो काल के दौरान कालर के पीछे का सीन किसी पुलिस स्टेशन की तरह दिखता है। जिससे लोग डर जाते हैं। लोगों के डरते ही उन्हें केस से बचाने या जमानत दिलाने के नाम पर पैसे वसूल लिए जाते हैं।कैसे बच सकते हैं- नजदीकी पुलिस थाने या साइबर सेल को इसके बारे में सूचित करें।- लेन-देन की बात शुरू होते ही फोन काट दें।- डरकर अपनी निजी जानकारी उससे शेयर न करें।इसका रखें ध्यान- डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है।- पुलिस कभी वीडियो काल कर अरेस्ट नहीं करती है।- सीबीआई फोन करके केस की डिटेल शेयर नहीं करती है।- ये अधिकतर विदेशी नंबरों से काल करते हैं।केस -एक
विशालखंड निवासी कवि एवं फिल्मकार नरेश सक्सेना कोफोन कर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने की कोशिश हुई। वीडियो काल करने वाला खुद को सीबीआई इंस्पेक्टर रोहन शर्मा बता रहा था। उसने कहा कि आपके आधार से मुंबई में खाता खोला गया है। उससे करोड़ों की मनी लांङ्क्षड्रग हो रही है। कहा गया कि इंस्पेक्टर और दारोगा गिरफ्तारी के लिए भेजे जा रहे हैं। फिर उनसे कई सवाल पूछने के बाद कहा गया कि वे जेल जाने से बच सकते हैं। इस बीच उनकी की बहू सोनी कमरे में आई और कालर से बात करने लगी तो वह गालियां देने लगा। गोमती नगर थाने में इसका केस दर्ज हुआ है।केस - दोअखिलेश्वर कुमार सिंह को 12 जून को वाट्सएप काल कर कालर ने खुद को सीबीआई अधिकारी आकाश कुलहरी बताया और कहा कि राज कुंदरा मनी लांड्रिंग केस में दोषी है, उसमें उनका भी नाम है। कॉलर ने केस से संबंधित दस्तावेज उन्हें भेजे और कहा कि बचना है तो पीएनबी बैंक में आपकी जो 28.5 लाख की एफडी है उसे तुड़वा कर रकम भेज दो। अखिलेश्वर सिंह ने एफडी तुड़वाई और पैसा कॉलर के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद उनसे 16 लाख की एफडी तुड़वाकर बाकी पैसे भी खाते में ट्रांसफर करा लिए गए।केस - तीनआलमबाग निवासी हितेश अठवानी को 4 जून को वाट्सएप काल कर कालर ने कहा कि वह लखनऊ का आईपीएस अफसर है। मुंबई कोर्ट से उनके खिलाफ वारंट आया है। मनी लांड्रिंग व ह्यूमन ट्रैफिकिंग के संदिग्धों में उनका नाम है। मुंबई साइबर क्राइम पुलिस का नंबर दे रहा हूं, बात कर लो। जब उससे बात हुई तो हितेश के सभी बैंक खातों में जमा राशि की जानकारी देकर उनसे बताए गए खातों में 22 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए गए।केस -चार
हजरतगंज शालीमार होम्स पटियाला निवासी दीपा रस्तोगी को वीडियो कॉल की गई। सामने वाला पुलिस वर्दी में था। उसने वीडियो आफ किया और दीपा से आधार और पैन कार्ड की डिटेल मांगी। बताया गया कि वे मनी लांड्रिंग केस में संदिग्ध हैं। दीपा को जेल के नाम से डराया गया और महिला पुलिसकर्मी ने सुप्रीम कोर्ट का एक लिंक भेजा और इसपर डायरी ईयर भरने को कहा। जिसमें अरेस्ट वारंट आ गया। उनसे कहा गया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, वे डिजिटल अरेस्ट हैं। 10 जून को दीपा और पंकज से पैसा भेजने को कहा गया। 10 जून से 13 जून तक अलग-अलग खातों में आरटीजीएस से 2 करोड़ 71 लाख 10 हजार रुपए भेजे गए।