Lucknow News: लखनऊ समेत प्रदेशभर के उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर री-कनेक्शन की स्थिति में 50 रुपये चार्ज देने पड़ सकते हैैं। इसके साथ ही मीटर में जीरो बैलेंस होने की स्थिति में मिलने वाले अलर्ट मैसेज के भी 10 रुपये चार्ज किए जा सकते हैैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ समेत प्रदेशभर के उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर री-कनेक्शन की स्थिति में 50 रुपये चार्ज देने पड़ सकते हैैं। इसके साथ ही मीटर में जीरो बैलेंस होने की स्थिति में मिलने वाले अलर्ट मैसेज के भी 10 रुपये चार्ज किए जा सकते हैैं। दरअसल, पावर कारपोरेशन की ओर से नियामक आयोग में इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। मामला सामने आने पर उपभोक्ता परिषद की ओर से आवाज उठाई गई है।8 जुलाई से सुनवाई शुरू


प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में बिजली दर की सुनवाई 8 जुलाई से शुरू हो जाएगी। इसी बीच पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में नियम विरुद्ध तरीके से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले में एक प्रस्ताव दाखिल किया है। अभी तक जो व्यवस्था है, उसके तहत प्रीपेड मीटर के मामले में डिस्कनेक्शन व री-कनेक्शन का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है। यह माना गया है कि केवल ऑटोमेटिक तरीके से बकाए पर जो स्वत: कनेक्शन काटना है, उसका शुल्क कैसा। अब पावर कारपोरेशन ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के डिस्कनेक्शन री कनेक्शन यानी कि काटने व जुड़ने पर 50 रुपये का शुल्क प्रस्तावित कर दिया है।यह मामला भी चौंकाने वाला

वहीं, स्मार्ट प्रीपेड मीटर में उपभोक्ता द्वारा लिया गया रिचार्ज जब खत्म हो जाएगा यानी कि जब बैलेंस जीरो हो जाएगा तो दूसरे दिन बिजली काटने का जो मैसेज जाएगा, तो प्रत्येक मैसेज पर 10 रुपया चार्ज किया जाएगा, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। यह व्यवस्था सिस्टम जेनरेटेड होती है पूरे देश में कहीं भी एसएमएस अलर्ट का 10 रुपया चार्ज नहीं लिया जाता है।अब प्रस्ताव दाखिल नहीं हो सकताउत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब बिजली दर की प्रक्रिया चालू हो चुकी है, यह प्रस्ताव बिजली दर से संबंधित है ऐसे में पावर कॉरपोरेशन इस प्रस्ताव को अब दाखिल नहीं कर सकता। पावर कारपोरेशन को शायद यह पता नहीं है कि जब किसी विद्युत उपभोक्ता का बकाया होने पर बिजली कनेक्शन काटा जाता है तो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 56 के तहत कनेक्शन काटने के पहले उपभोक्ता को 15 दिन की लिखित नोटिस देनी होती है।सिक्योरिटी जमा कर रखी है

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का कहना है कि पावर कारपोरेशन को शायद यह भी अवगत होगा कि उपभोक्ताओं ने इसी के तहत वर्तमान में पोस्टपेड व्यवस्था का विकल्प लेते हुए पूरे प्रदेश में लगभग 4500 करोड़ से 5000 करोड़ के बीच बिजली कंपनियों में अपनी सिक्योरिटी जमा कर रखी है। ऐसे में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का अधिकार वैकल्पिक है। उपभोक्ता की सहमति के आधार पर ही उसके परिसर पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा सकता है। इन सभी बिंदुओं पर भी पावर कारपोरेशन को ध्यान देने की जरूरत है।

Posted By: Inextlive