Lucknow News: एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य बताती हैं कि इसका कारण यह है कि नवजात की त्वचा पतली होती है और उनमें फैट कम होने के कारण तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए केएमसी का प्रयोग किया जाता है।


लखनऊ (ब्यूरो)। जब बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, तो उसे ठंडा बुखार या हाइपोथर्मिया कहते हैं। हाइपोथर्मिया की संभावना उन बच्चों में अधिक होती है, जिनका वजन 2.5 किग्रा से कम होता है या जिनका जन्म समय से पहले हो जाता है। ठंड के मौसम में इस तरह के मामले अस्पतालों में लगातार सामने आ रहे हैं।बच्चों में होती है समस्या


एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। पियाली भट्टाचार्य बताती हैं कि इसका कारण यह है कि नवजात की त्वचा पतली होती है और उनमें फैट कम होने के कारण तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता है। इस स्थिति से निपटने के लिए केएमसी का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में नवजात को पैरेंट्स या देखभाल करने वाले द्वारा त्वचा से त्वचा के संपर्क की थेरेपी देकर तापमान नियंत्रित किया जाता है। इस दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है, ताकि शिशु संक्रमण होने के खतरे से बचा रहे।ऐसे करें बचाव

जिस कमरे में नवजात को रखें उसका तापमान 26 से 28 डिग्री सेल्सियस रखें। बच्चे को जन्म के 48 से 72 घंटे तक नहलाने की जरूरत नहीं होती है, इसलिए नहलाने की जल्दबाजी न करें। नवजात को सामान्य से दो से तीन लेयर ज्यादा कपड़े पहनायें। इसके साथ ही छह माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराएं।केएमसी से होती देखभालडॉ। पियाली बताती हैं कि केएमसी न केवल हाइपोथर्मिया से बचाता है बल्कि निमोनिया और हाइपोग्लाईसिमिया यानि शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम होना से भी बचाता है। यदि बच्चा सांस रोक ले तो मां का सांस लेना बच्चे को सांस लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। ऐसे में मां को बच्चों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।हाइपोथर्मिया के लक्षण-शरीर का ठंडा पड़ जाना-बच्चे का सुस्त होना-त्वचा का रंग नीला हो जाना-स्तनपान ठीक से न कर पाना-आक्सीजन स्तर का कम होना-अनियमित धड़कन होना

Posted By: Inextlive