Lucknow News: लखनऊ में जमीन पर उतर न सकी एयर एंबुलेंस योजना!
लखनऊ (ब्यूरो)। गंभीर मरीजों को एयरलिफ्ट कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एयर एंबुलेंस सेवा शुरू करने की कवायद की गई थी ताकि मरीजों को कम खर्च पर दूसरे संस्थान ले जाया जा सके। इसके लिए प्रपोजल शासन में भी भेजा गया था, लेकिन यह महत्वपूर्ण योजना ठंडे बस्ते में चली गई है।कमेटी का होना था गठनराजधानी समेत प्रदेश में गंभीर मरीजों को एयरलिफ्ट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा एयर एंबुलेंस कंपनियों से करार किया जाना था ताकि एयर एंबुलेंस का खर्चा दूरी के हिसाब से तय किया जा सके। क्योंकि निजी तौर पर यह सेवा बेहद महंगी पड़ती है। ऐसे में, सरकारी सुविधा मिलने से गंभीर मरीजों को बड़ा लाभ मिलता। इसको लेकर मीटिंग और कमेटी का गठन करने की भी बात कही गई थी, पर इसका क्या हुआ, कोई जानकारी नहीं है।शताब्दी फेज-2 में देनी थी सुविधा
केजीएमयू में बहुत पहले प्रशासनिक भवन के पास एयर एंबुलेंस के लिए तैयारी की गई थी। जिसके लिए एविएशन टीम द्वारा निरीक्षण भी किया गया था, पर अब वहां पर मंदिर बन चुका है। इसके बाद शताब्दी फेज-2 के निर्माण के समय यहां पर एयर एंबुलेंस के लिए हेलीपैड की सुविधा की बात की गई थी। पर यह योजना भी परवान नहीं चढ़ सकी है। अधिकारियों के मुताबिक, फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।जगह चिन्हित लेकिन शुरू नहीं हो सकीसंजय गांधी पीजीआई में भी एयर एंबुलेंस सेवा शुरू करने की कवायद की गई। जिसके लिए करीब तीन वर्ष पहले इमरजेंसी ब्लॉक के बगल में एयर एंबुलेंस के लिए रनवे बनाने के लिए जगह चिन्हित की गई थी। हालांकि, अभी तक यह परियोजना शुरू नहीं हो पाई है। निदेशक प्रो। आरके धीमन ने बताया कि हेलीपैड के लिए जगह ढूंढ ली गई थी, पर वह जरूरत के हिसाब से छोटी पड़ गई थी। साथ ही आसपास बिल्डिंग भी हैं, जिसकी वजह से एयर एंबुलेंस को उतारना थोड़ा मुश्किल था। हालांकि, कोशिश जारी है कि इसे किसी अन्य तरह से शुरू कर सकें ताकि गंभीर मरीजों को फायदा मिल सके।यहां भी सुविधा शुरू करने की तैयारीसूत्रों के मुताबिक, लखनऊ के चिकित्सा संस्थानों के बाद झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, आगरा सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी एयर रनवे बनाने की योजना पर काम चल रहा है ताकि यहां के गंभीर मरीजों को आसानी से एयरलिफ्ट किया जा सके। पर फिलहाल योजना ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है।हो चुका है कई बार इस्तेमाल
राजधानी में कई मौकों पर एयर एंबुलेंस सेवा का उपयोग किया जा चुका है। जिसमें करीब दो साल पहले उन्नाव रेप पीड़िता को सरकारी खर्चे पर एयर एंबुलेंस से लाया गया था। जिसे ग्रीन कॉरीडोर बनाकर केजीएमयू लाया गया था। इसी तरह लोहिया संस्थान की डॉक्टर को चेन्नई भेजने के लिए भी किराये पर एयर एंबुलेंस ली गई थी।यह होती है सुविधाएंएयर एंबुलेंस के अंदर गंभीर मरीजों की जरूरतों के हिसाब से सभी सुविधाएं होती हैं, जिसमें ब्रीदिंग एप्रेटस, पेसमेकर, मॉनिटरिंग सिस्टम और वेंटिलेटर समेत सभी लाइफ सेविंग ड्रग्स भी होती हैं।स्पेस की कमी के चलते योजना पूरी नहीं हो सकी है। आगे कोई हाई राइज बिल्डिंग बनेगी तो उसमें हैलीपैड बनाने की कोशिश करेंगे।प्रो। आरके धीमन, निदेशक, संजय गांधी पीजीआईफिलहाल एयर एंबुलेंस को लेकर ऐसा कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है।डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू