Lucknow Crime News: सआदतगंज के बड़ा चौराहा के पास एक फरवरी 2017 की शाम तेल कारोबारी श्रवण साहू को दुकान में घुसकर बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। इस वारदात ने पुलिस ही नहीं बल्कि पूरे प्रशासनिक व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया था।


लखनऊ (ब्यूरो)। Lucknow Crime News: सआदतगंज के बड़ा चौराहा के पास एक फरवरी 2017 की शाम तेल कारोबारी श्रवण साहू को दुकान में घुसकर बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। इस वारदात ने पुलिस ही नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया था। 16 अक्टूबर 2013 को श्रवण साहू के बेटे आयुष की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद पिता श्रवण अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए पैरवी कर रहे थे। अब 11 साल बाद न केवल श्रवण साहू के हत्यारे बल्कि उनके बेटे आशीष की हत्या को अंजाम देेने वाले हत्यारों को सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई है, जिसके बाद से साहू परिवार ने राहत की सांस ली।बेटे के हत्यारों ने पिता की भी हत्या की


श्रवण लगातार आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पैरवी कर रहे थे। उन्होंने एसएसपी और डीएम से सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन सुरक्षा मिलने से पहले ही उनकी हत्या कर दी गई। श्रवण साहू की हत्या भी उन्हीं बदमाशों ने की थी, जिन्होंने उनके बेटे आयुष की हत्या की थी। बेटे की हत्या में श्रवण साहू एकमात्र गवाह थे। आरोपी लगातार श्रवण को पैरवी न करने के लिए धमकी दे रहे थे। जब उन्होंने पुलिस से सुरक्षा मांगी तो पहले तो टालमटोल की गई, बाद में डीजीपी मुख्यालय के दखल के बाद सुरक्षा देने का आदेश दिया गया। पुलिस लाइन के आरआई की लापरवाही से श्रवण साहू को सुरक्षा नहीं मिली और बदमाशों ने उनकी हत्या कर दी।मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई2017 के विधानसभा चुनाव में श्रवण साहू हत्याकांड बड़ा मुद्दा बन गया था। भाजपा ने भी इस हत्याकांड को लेकर तत्कालीन सपा सरकार को जमकर घेरा था। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद इस प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई, लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे के निर्देश पर डिप्टी एसपी विशंभर दीक्षित ने पूरे प्रकरण की जांच करने के बाद तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को लापरवाही का दोषी पाया था। सीबीआई ने राज्य सरकार से मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच कराने की सिफारिश की थी। इससे पहले 11 अगस्त 2017 को सीबीआई के अधिकारियों ने मंजिल सैनी से पूछताछ भी की थी, लेकिन राज्य सरकार ने मृतक श्रवण के बेटे के बयान के आधार पर मंजली सैनी को क्लीन चिट दे दी थी।सुरक्षा देने में आरआई को बताया था दोषी

सीबीआई की पूछताछ में मंजिल सैनी ने अधीनस्थ अधिकारियों को दोषी बताया था। उन्होंने बयान दिया था कि पुलिस लाइन के आरआई इंस्पेक्टर शिशुपाल ङ्क्षसह को उन्होंने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान कराने का मौखिक आदेश दिया था, जिसका आरआई ने पालन नहीं किया। वहीं, आरआई ने अपने बयान में मंजिल सैनी द्वारा कोई आदेश नहीं देने की बात कही थी। सीबीआई ने श्रवण साहू हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल की, उनके बेटे के हत्यारोपी अकील समेत सात आरोपियों को दोषी ठहराया गया था।बीयर शॉप में हुआ था झगड़ाश्रवण साहू के छोटे बेटे आयुष साहू की हत्या 16 अक्टूबर 2013 को हुई थी। घटना के दिन आयुष अपने दोस्तों आकाश और नितिन के साथ बीयर पीने के लिए कैंपबेल रोड स्थिति बीयर शॉप पर गया था। शॉप में बीयर की एक ही ठंडी बोतल बची थी। आयुष ने बीयर ले ली और पैसा सेल्समैन को दे दिए। तभी हिस्ट्रीशीटर अकील भी पहुंचा और वह भी उसी बोतल के लिए सेल्समैन पर दबाव बनाने लगा। इसको लेकर आयुष और अकील में विवाद हो गया, जिसमें अकील अंसारी ने गोली मार कर आयुष की हत्या कर दी। फायङ्क्षरग में आयुष के दोनों साथियों को भी गोली लगी थी।मुख्तार अंसारी गैैंग का मेंबर है आरोपी

ठाकुरगंज निवासी हिस्ट्रीशीटर अकील सीरियल किलर भाईयों सलीम, सोहराब और रुस्तम का करीबी था। उन्हीं के इशारे पर व्यापारियों से वसूली करता था। बाद में अकील माफिया मुख्तार गैंग में शामिल हो गया। आयुष साहू की हत्या के मामले में ठाकुरगंज पुलिस ने अकील को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कुछ महीने जेल में रहने के बाद वह जमानत पर बाहर आ गया था।पुलिस से मिलकर फर्जी केस में जेल भिजवायाश्रवण साहू अपने बेटे आयुष साहू की हत्या की मजबूती से पैरवी कर रहे थे। जेल से बाहर आने के बाद अकील ने कई बार उन्हें पैरवी नहीं करने के लिए धमकी भी दी, लेकिन श्रवण साहू पीछे हटने को तैयार नहीं थे। आखिरकार, अकील ने अपने करीबी लखनऊ पुलिस के तत्कालीन एसओजी प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला और पारा थाने के सिपाहियों से मिल कर श्रवण साहू को फंसाने की योजना बनाई। दस जनवरी 2017 को दारोगा धीरेंद्र शुक्ला ने चार युवकों (कामरान, अफजल, तमीम और अनवर) को आर्म्स एक्ट में पकड़ा। अकील ने साजिश करते हुए आरोप लगाया कि श्रवण साहू उसे मरवाना चाहते हैं। पकड़े गए चारों युवकों को श्रवण साहू ने 20 लाख की सुपारी दी थी। आरोप पर पुलिस ने श्रवण साहू को गिरफ्तार कर लिया था।अपने गुर्गे को भिजवाया था जेल
तत्कालीन एसओजी प्रभारी ने साजिश का पर्दाफाश कर दिया। दावा किया कि अकील ने प्लाङ्क्षनग के तहत श्रवण साहू के जेल भेजने की साजिश रची थी। जिससे वह आयुष हत्याकांड में पैरवी न कर सकें। यह भी राजफाश हुआ कि जिन चार युवकों को पारा थाने से जेल भेजा गया था, वह चारों अकील के ही गुर्गे थे।14 पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुई थी रिपोर्टतत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एसओजी प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला सहित इस प्लाङ्क्षनग में शामिल 14 पुलिस वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इतना ही नहीं, एसएसपी मंजिल सैनी ने दारोगा धीरेंद्र शुक्ला, सिपाही धीरेंद्र यादव और अनिल ङ्क्षसह को बर्खास्त कर दिया था। सिपाही राजाराम पांडेय, सुजीत कुमार, विवेक मिश्रा, आलोक पांडेय, लवकुश मिश्रा को सस्पेंड कर दिया। दारोगा मोर मुकुट पांडेय, पंकज ङ्क्षसह, संजय खरवार और दारोगा विनय कुमार को लाइन हाजिर किया गया था। प्रभारी निरीक्षक श्याम नारायण यादव, प्रभारी चौकी मोहान दीपेंद्र के खिलाफ विभागीय जांच कराई गई थी।काश, पहले मिल जाती सजा तो पति जिंदा होतेमृतक श्रवण साहू की पत्नी निर्मला साहू व बेटे सुनीत साहू ने फैसले के बाद राहत की सांस ली। वहीं, इस फैसले को लेकर पत्नी निर्मला ने कहा कि कम से कम अकील व सत्यम को फांसी की सजा होनी चाहिए। उन्होंने घर की सुरक्षा व बेटे की सुरक्षा न हटाने की मांग भी की। साथ ही कहा कि अगर आयुष के हत्यारों को समय से सजा मिल गई होती तो पति आज ङ्क्षजदा होते। वहीं, बेटे सुनीत ने बताया कि दोषियों को आजीवन कारावास की सजा होने की जानकारी मिलते ही मां निर्मला व चाचा विजय साहू को जानकारी दी। जिस पर दोनों लोगों ने कुछ संतोष महसूस किया। बेटे सुनीत ने कहा कि अकील अंसारी को हरदोई जेल से निकालकर कहीं दूसरी जेल में शिफ्ट करना चाहिए, क्योंकि वह वहां से अपना नेटवर्क चला रहा है। इससे उसकी दहशत बनी हुई है।इनको मिली आजीवन कारावास की सजासत्यम पटेल - आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडअमन सिंह- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडअकील अंसारी- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडविवेक वर्मा- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडबाबू खान- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडफैसल- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडअजय पटेल- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंडरोहित मिश्रा- आजीवन कारावास, एक लाख का अर्थदंड(आरोपियों को अन्य धाराओं मेंं भी अलग-अलग सजा मिली)

Posted By: Inextlive