Lucknow News: केजीएमयू में हुई इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडोक्राइन सर्जनस की 25वीं नेशनल कान्फ्रेंस
लखनऊ (ब्यूरो)। लोगों में थायराइड की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। समय रहते इसकी पहचान जरूरी है क्योंकि मर्ज बढ़ने से बीमारी गंभीर और जान का खतरा तक हो सकता है। समय पर इलाज से मरीज सामान्य जीवन भी जी सकता है। यह जानकारी केजीएमयू इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ। आनंद मिश्र ने गुरुवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ इंडोक्राइन सर्जन्स की 25वीं नेशनल कान्फ्रेंस के दौरान दी।लक्षणों को नजरअंदाज न करें
डॉ। आनंद मिश्र ने आगे बताया कि थायराइड कम होने की दशा को मेडिकल साइंस में हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। इसमें मरीज के दिल की धड़कन धीमी, हमेशा थकावट महसूस होना, अवसाद, हल्की ठंड भी बर्दाश्त न होना, तेजी से वजन बढ़ना आदि जैसी समस्या होने लगती है। कमजोरी व थकान महसूस होने पर कैल्शियम की जांच करानी चाहिए। क्योंकि थायराइड की वजह से शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिससे भी इस तरह की समस्या पनपती है।रोबोटिक सर्जरी भी कारगर
कार्यक्रम के दौरान डॉ। प्रबोल नियोगी ने कहा कि शरीर में पनपने वाली गांठ को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इलाज में देरी से गांठ कैंसर में भी तब्दील सकती है। आजकल थायराइड की सर्जरी एंडोस्कोपी के साथ रोबोट से भी होने लगी है। मरीज अब खुद रोबोटिक सर्जरी की डिमांड कर रहे है क्योंकि यह ज्यादा सेफ और कटने के निशान भी नहीं होते है। वहीं, वीसी डॉ। सोनिया नित्यानंद ने कहा कि इस तरह की कान्फ्रेंस से ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। नई तकनीक व नई दवाओं की जानकारी भी बढ़ती है, जिसका फायदा मरीजों को मिलता है।*************************************बार-बार तेल गर्म करना दे सकता है कैंसर को दावतलोग अकसर अधिक गर्म तेल में खाना पकाते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि इससे कई तरह की गंभीर बीमारियां तक पनप सकती हैं। ऐसा करने से कैंसर तक होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, तेल में ट्राय गिलिस्राइड बन जाते हैं, जो कैंसर को बढ़ावा देते हैं। लिहाजा जरूरत के हिसाब से ही तेल को गर्म करना चाहिए। यह जानकारी गुरुवार को केजीएमयू के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग की डॉ। शिउली ने द टॉक्सिकोमेनियो कान्फ्रेंस के दौरान दी।वनस्पति से घी ज्यादा बेहतर
डॉ। शिउली ने कहा कि खाने का तेल जरूरत से ज्यादा गर्म करने से वो घातक हो जाता है। बार-बार तेल को गर्म कर इस्तेमाल करने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, वनस्पति से बेहतर देशी घी है। इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा, घर में या पार्क आदि में तमाम ऐसे पौधे होते हैं, जिनके पत्ते का सेवन करने से जान जोखिम में पड़ सकती है। इसमें मनी प्लांट का पौधा भी है। इसके पत्ते का सेवन कोई कर ले तो शरीर में सूजन आ सकती है। इसी प्रकार बोगन बेलिया, कनेर व सदाबहार आदि के पत्ते या फूल खाने से यह बच्चे या जानवर के लिए जहरीला साबित हो सकता है। शरीर व आंखों में सूजन आ सकती है। पार्क आदि में खेलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। अगर गलती से कोई खा ले तो तत्काल डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।