अगर आप स्मार्टफोन यूजर हैं और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपके लिए जानना जरूरी है कि साइबर फ्रॉड का खतरा आपके ऊपर हमेशा मंडराता रहता है। हालांकि आपकी थोड़ी सी सावधानी आपका बचाव करने के साथ-साथ साइबर क्रिमिनल्स को मात भी दे सकती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आप स्मार्टफोन यूजर हैं और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं तो आपके लिए जानना जरूरी है कि साइबर फ्रॉड का खतरा आपके ऊपर हमेशा मंडराता रहता है। हालांकि, आपकी थोड़ी सी सावधानी आपका बचाव करने के साथ-साथ साइबर क्रिमिनल्स को मात भी दे सकती है। अगर इसके बावजूद आप साइबर फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं तो कैसे अपनी मेहनत की कमाई वापस हासिल करने की कार्रवाई करनी चाहिए और इस दौरान किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने की साइबर क्राइम से फाइट करने वाले एक्सपर्ट्स से बात। पढ़ें यह स्पेशल रिपोर्टबिना देर किए 1930 पर करें कॉल


यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं तो सबसे पहले आपको साइबर हेल्पलाइन 1930 नंबर पर कॉल करनी होगी। यह गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल का सेंट्रलाइज नंबर है। इस पर कॉल कर आपको ठगी से जुड़े पूरी डिटेल बतानी होगी। इसके अलावा गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल पर भी कंप्लेंट कर सकते हैं। ऐसा करने से ठगे गए पैसे वापस मिलने में आसानी होगी।बैंक से करें संपर्क, कॉर्ड ब्लॉक कराएं

1930 पर शिकायत करने के बाद तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें और अपने खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवाएं। जब साइबर जालसाज एक बार ठगी करने के बाद दोबारा पैसा निकालने की कोशिश करेगा तो आपके पैसे बच सकते हैं। इसके बाद आप तुरंत अपने निकटम थाने या साइबर सेल पहुंचें। यहां आपको शिकायत दर्ज करानी होगी, शिकायत दर्ज कराते समय बैंक पासबुक कॉपी, आईडी और एड्रेस प्रूफ, बैंक स्टेटमेंट पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में देनी होगी।दो-तीन घंटे में पुलिस को बताएंसाइबर एक्सपर्ट शिशिर यादव ने बताया कि साइबर ठगी होने के बाद यदि आप 1930 को कॉल करने से लेकर बैंक व पुलिस को अगले दो से तीन घंटे में सूचना दे देते हैं तो आपको पैसे वापस मिलने की संभावना प्रबल हो जाती है। समय से सूचना मिलने पर साइबर पुलिस अपनी कार्रवाई जल्दी शुरू कर देती है और उन्हें समय मिल जाता है जालसाजों को ट्रेस करने का।दूसरे स्टेप में अकाउंट कराएं सीज

लखनऊ साइबर सेल इंचार्ज इंस्पेक्टर सतीश साहू बताते हैं कि जब हमारे पास पीड़ित शिकायत लेकर आता है तो हम यह देखते हैं कि जो ठगी यूपीआई या डेबिट और क्रेडिट कार्ड से हुई है, उसका पैसा किन खातों में गया है। साइबर ठग शातिर होते हैं, ऐसे में वे ठगी गई रकम को कई अकाउंट में कुछ ही देर में ट्रांसफर करते रहते हैं। ऐसे में उनके खातों को ट्रेस करने में थोड़ा समय जरूर लग जाता है, लेकिन हम उन्हें ट्रेस कर बैंक अधिकारियों से बात कर उसे फ्रीज करवाते हैंदूसरे खाते में ट्रांसफर करते हैंइंस्पेक्टर सतीश साहू ने बताया किसाइबर ठगी होने के बाद हम तक सूचना पहुंचना बहुत आवश्यक है। क्योंकि साइबर जालसाज ठगी गई रकम को अधिक देर के लिए खातों में नहीं रखते हैं। वे कई खातों से ट्रांसफर करते हुए आखिर में उसे निकाल लेते हैं। ऐसे में यदि समय से सूचना मिल जाए तो हमारी टीम समय से जालसाजों के बैंक खातों की डिटेल निकाल पाती है फिर उन्हें स्टडी कर बैंक के अधिकारियों से संपर्क कर महज 72 घंटों में पीड़ित का पैसे वापस आ सकता है।इन बातों का रखे ध्यान- किसी अनजान व्यक्ति से कोई ओटीपी मत शेयर करें।- यदि कोई अंजान शख्स आपको एसएमएस, व्हाट्सएप या मेल से लिंक भेजे तो उस पर क्लिक न करें-ऑनलाइन बुकिंग करने के लिए गूगल में सर्च की गई वेबसाइट अच्छे से जांचें।साइबर फ्रॉड होने पर कैसे करें काम-आप अपने बैंक की धोखाधड़ी के इस मामले की रिपोर्ट करें। इससे बैंक में जांच शुरू हो जाएगी।
-आपके बैंक के पास जांच करने के लिए 15 दिन का समय है और फिर वह आपको पैसा वापस देगा या नहीं, इसकी रिपोर्ट देगा।प्रतिपूर्ति के तीन स्टेप्सपूर्ण प्रतिपूर्ति - आपका बैंक यह मानता है कि ट्रांसफर के समय उन्होंने आपको पर्याप्त चेतावनी नहीं दी थी, इसलिए आपको आपकी पूरी धनराशि वापस मिल जाती है।कोई प्रतिपूर्ति नहीं - आपका बैंक यह निष्कर्ष निकालता है कि उनकी चेतावनियां पर्याप्त थीं और उनका मानना है कि आपने उन्हें नजरअंदाज किया या अपने चेक में लापरवाही बरती, इसलिए वे आपको कोई पैसा वापस नहीं देते हैं।50 प्रतिशत प्रतिपूर्ति - साझा जिम्मेदारी के रूप में जाना जाता है। आपको अपना आधा पैसा वापस मिलता है।शिकायत करना - यदि आपको पूर्ण प्रतिपूर्ति नहीं मिलती है, तो आपको वित्तीय लोकपाल सेवाओं में कंप्लेन करनी चाहिए वे आपका पक्ष ले सकते हैं क्योंकि उनका मानना है कि बैंक की चेतावनी पर्याप्त, प्रभावी या प्रभावशाली नहीं थीं - या बैंक को अत्यधिक असामान्य लेनदेन को पहचानना चाहिए था।112 से जोड़ी गई हेल्पलाइन
साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए अब हेल्पलाइन के लिए उत्तर प्रदेश 112 के मुख्यालय में ही एक डेडिकेटेड कॉल सेंटर की स्थापना की गई है, जहां पर तैनात पुलिस कर्मी 24 घंटे पीड़ितों की समस्या सुनेंगे। उसके आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर मदद करेंगे।

Posted By: Inextlive