Lucknow Crime News: साइबर पुलिस सोशल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से कर रही लोगों को डिजिटल अरेस्ट के प्रति जागरूक
लखनऊ (ब्यूरो)। इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के जुड़े क्राइम्स की चर्चा हर तरफ सुनने को मिल जाती है, जिसको लेकर लोग काफी परेशान भी नजर आते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि सावधानी, सतर्कता और जागरूकता की मदद से इसका शिकार होने से बचा जा सकता है। इसके लिए सरकार व पुलिस लगातार लोगों को जागरूक भी कर रही है। सोशल मीडिया और ग्राउंड लेवल पर भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पढ़े-लिखे लोग ही सबसे ज्यादातर डिजिटल अरेस्ट व साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा उन्हें ही जागरूक करने की जरूरत है। इसकी शुरुआत लोगों को अपने घर से करनी चाहिए। फैमिली मीटिंग व फंक्शन में डिजिटल अरेस्ट को लेकर अवेयर करते हुए लोगों को बताएं कि यह केवल एक काल्पनिक शब्द है, कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्राविधान नहीं है।इन बातों का रखना होगा ध्यान
- साइबर जालसाज शिकार के उसी नंबर पर कॉल करते हैं, जो उसने सोशल मीडिया पर दिया होता है। -सीबीआई अफसर बता कर की जाने वाली कॉल आने पर जिस अधिकारी का नाम लिया जा रहा है, उसके नंबर की जांच खुद से करें।-इस काम में लोकल थाने और साइबर सेल की मदद भी ली जा सकती है।
-पुलिस कभी कॉल करके नहीं बताती है कि आपको गिरफ्तार किया जा रहा है। इतना ही नहीं, 'डिजिटल अरेस्टÓ नाम की कोई चीज ही नहीं है।-ऐसी कॉल आने पर तत्काल 1930 डायल करें और नजदीकी थाने या साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराएं।पुलिस नहीं करती कभी यह काम-पुलिस अपनी पहचान बताने के लिए कभी वीडियो कॉल नहीं करती।-पुलिस किसी से कोई एप डाउनलोड करने को नहीं कहती।-गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन शेयर नहीं किया जाता।-वॉइस और वीडियो कॉल पर बयान नहीं दर्ज किए जाते।-पुलिस कॉल पर पैसे या पर्सनल डिटेल के लिए धमकी नहीं देती।-कॉल पर पुलिस किसी अन्य से डिटेल साझा करने से नहीं रोकती है।-कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्राविधान नहीं है।क्या कहना है लोगों काडिजिटल अरेस्ट को लेकर हर दूसरे दिन कुछ न कुछ सुनने को मिल जाता है। हाई प्रोफाइल लोगों के साथ ठगी ज्यादा हो रही है। मुझे लगता है कि लोगों में जागरूकता की कमी है। उन्हें मीडिया व सोशल मीडिया के जरिए ठगी के इस तरीके के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए ताकि वे खुद इसके शिकार न हों।-अमित श्रीवास्तव, आलमबाग
ठगी करने वाले ऐसे जालसाजों से बचने के लिए लोगों को अपने फ्रेंड्स व रिलेटिव्स के सर्किल में इसको लेकर चर्चा करनी चाहिए। अगर आपके घर में कोई फैमिली फंक्शन हो रहा है जैसे बर्थडे पार्टी, अखंड रामायण, शादी वगैरह तो वहां आए लोगों को इसके बारे में जानकारी देें, मंच से इसको लेकर अनाउंसमेंट करवाएं।-विक्रम मिश्रा, गोमती नगरसरकार व पुलिस तो लगातार सोशल मीडिया व ग्राउंड पर जागरूकता अभियान चला रही है। पर लोगों को इसके लिए खुद अलर्ट रहने की जरूरत है। सोशल मीडिया पर आप अपनी क्या-क्या पर्सनल डिटेल्स शेयर कर रहे हैं, कहां और कैसे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, इसको लेकर भी सावधानी बरते हैं।-नवीन मोंगा, हुसैनगंजडिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं होती है। अगर कोई आपको कॉल करके किसी तरह की पर्सनल डिटेल मांगता है तो आप सावधान हो जाएं और इसकी सूचना नजदीकी साइबर क्राइम सेल को दें।-ब्रजेश यादव, थाना प्रभारी, साइबर क्राइम थानासरकार और पुलिस का ऐसा कोई विभाग नहीं है, जो आपको डिजिटली अरेस्ट करता हो। अगर आपने वाकई कोई गलती की है तो पुलिस सीधे आपके घर आती है। पुलिस डिजिटल अरेस्ट करने जैसा कोई कदम नहीं उठाती है।-शिशिर यादव, प्रभारी साइबर क्राइम सेल