सवा चार करोड़ रुपये गर्त में
- सिटी में जलनिगम ने लगाए हैं 15 हजार हैंडपंप
- रि-बोरिंग के चलते साढ़े चार हजार हैंडपंप खराब - खराब हैंडपंप में 8 से 10 हजार का सामान हो रहा बर्बाद - जलद संस्थान मरम्मत के बजाय नया हैंडपंप लगाकर बढ़ा रहे खर्चाLUCKNOW: लचर व्यवस्था के चलते सवा चार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम गर्त में है। न तो जल संस्थान को इसकी चिंता है और न ही जलनिगम को। दरअसल, सिटी में क्भ्,7ब्भ् से ज्यादा हैंडपंप हैं और उसमें ब्,ख्8ब् हैंडपंप खराब हैं। हर साल ढाई से तीन सौ नए हैंडपंप लगाए जाते हैं। रि-बोरिंग के अभाव से खराब पड़े हैंडपंप में हजारों रुपए का सामान बरसों से सड़ रहा है। न तो उसे कोई देखने वाला है और न ही उन हैंडपंप से मदद पाने वालों की पुकार कोई सुन रहा है। वहीं, जमीन में गल रहे उन हैंडपंप के सामानों के रूप में करीब सवा करोड़ रुपये गर्त में दबे हुए हैं।
रि-बोरिंग की जगह नए हैंडपंपसिटी में हर वर्ष जलस्तर घटता जा रहा है। इसका सीधा असर हैंडपंप पर पड़ रहा है। जलनिगम क्भ्,7ब्भ् हैंडपंप अब तक लगा चुका है। इसमें ब्,ख्8ब् हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिन्हें रि-बोरिंग कर दोबारा चालू किया जा सकता है। विभाग ने खराब पड़े हैंडपंप को रिबोर कर ठीक नहीं किया बल्कि सिटी के कई एरियाज में खराब हैंडपंप के पास नया हैंडपंप लगा दिया। इसके चलते डिपार्टमेंट को डबल नुकसान हो रहा है। यानी जो काम मात्र मरम्मत से हो सकता था, उसकी जगह नया हैंडपंप लगाकर अतिरिक्त खर्चा किया गया।
गल रहा हजारों का सामान सिटी के करीब चार हजार से ज्यादा खराब हैंडपंप में हजारों का सामान जमीन में 'दफन' है। हैंडपंप में यूज होने वाला पाइप और मशीन दोबारा यूज हो सकता है। जलकल प्रबंधक राजीव बाजपेई के अनुसार, खराब हैंडपंप से मशीन और पाइप का यूज नए हैंडपंप लगाने में किया जा सकता है। इससे करीब 8 से क्0 हजार रुपए तक की नए हैंडपंप में लागत कम हो सकती है। यानी चौपट पड़े हैंडपंप के साथ ही करीब सवा चार करोड़ का माल जमीन में दबा हुआ है। न आंकड़ा है न रिकॉर्डजिम्मेदार अफसरों का कहना है कि खराब हैंडपंप के पाइप और मशीन का यूज किया जाता है। हालांकि, इस तरह के आंकड़ों या रिकॉर्ड को पेश करने में विफल हो जाते हैं। महाप्रबंधक राजीव बाजपेई खुद यह बात मानते हैं कि खराब हैंडपंप में करीब दस हजार रुपए का ऐसा सामान लगा होता है, जिसे दोबारा यूज किया जा सकता है। जैसे मशीन, उसमें लगे पाइप। प्लास्टिक का पाइप का यूज नहीं किया जा सकता लेकिन सेक्शन पाइप को सुरक्षित निकाला जा सकता है। विभाग खराब हैंडपंप के सामान निकलवाने के लिए खर्च नहीं करता है। लंबी प्रक्रिया और थोड़े खर्च के चलते करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
कम हो सकता है खर्च एक सरकारी हैंडपंप लगाने का खर्च करीब म्0 हजार रुपए के करीब आता है। हैंडपंप लगाने की जिम्मेदारी जलनिगम होती है। इसके अलावा सांसद, विधायक और पार्षद निधि से भी सिटी में हजारों हैंडपंप लगवाए गए हैं। अगर साढ़े चार हजार हैंडपंप खराब हैं और हर वर्ष ढाई से तीन सौ हैंडपंप नए लगाए जाते हैं तो खराब हैंडपंप का सामान यूज किया जा सकता है। इसमें नए हैंडपंप लगाने की लागत में करीब दस हजार रुपए की लागत को कम किया जा सकता है।