अनसुलझी बैठकों और चिट्ठीबाजी से बिगड़ी बात
- लोकायुक्त चयन को लेकर पहली बार हुआ इतना विवाद
- सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही सूबे को मिला नया लोकायुक्त - सरकार की हुई किरकिरी तो विपक्ष भी रहा निशाने पर LUCKNOW: सूबे में लोकायुक्त चयन को लेकर मची खींचतान का आखिरकार अंत हो गया। लोकायुक्त चयन को लेकर हुई कई बैठकों में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन सकी। सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और वीरेन्द्र सिंह यादव को लोकायुक्त बनाने का आदेश दिया। यह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को नागवार गुजरा और फिर शुरू हुआ चिट्ठीबाजी का सिलसिला। नतीजतन, पहली बार यूपी में लोकायुक्त का चयन सर्वोच्च अदालत को लीक से हटकर करना पड़ा। 51 नाम, पर सहमति किसी पर नहींलोकायुक्त चयन को लेकर हुई चार बैठकों में 51 पूर्व व वर्तमान न्यायाधीशों के नामों पर विचार किया गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्या और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ। डीवाई चन्द्रचूड़ किसी एक के नाम पर एकमत नहीं हुए। नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट ने मामला अपने हाथ में ले लिया और राज्य सरकार से प्रस्ताव मांगने के बाद संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह यादव को सूबे का नया लोकायुक्त बनाने के आदेश कर दिए।
शुरू हुआ चिट्ठीबाजी का सिलसिलासुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चीफ जस्टिस डॉ। चन्द्रचूड़ ने राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर आपत्ति जाहिर की। पत्र में उन्होंने कहा कि वीरेन्द्र सिंह के नाम पर चर्चा जरूर हुई थी लेकिन इसे पैनल में शामिल नहीं किया गया था। मुख्यमंत्री ने खुद उन्हें भरोसा दिया था कि वीरेन्द्र सिंह के नाम पर विचार नहीं होगा। इसके बावजूद उन्हें अंधेरे में रखकर वीरेन्द्र सिंह का नाम सुप्रीम कोर्ट भेजा गया। नेता विरोधी दल ने पहले मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर सहमति की बात कही लेकिन बाद में उन्होंने रुख बदल लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री और नेता विरोधी दल ने भी राज्यपाल को पत्र लिखे जिससे बात बिगड़ती चली गयी।
सुप्रीम कोर्ट ने रोका फैसला इस घटनाक्रम के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका प्रस्तुत की गयी जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने अपने पुराने फैसले पर रोक लगा दी। विगत 18 जनवरी को शीर्ष अदालत ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति संजय मिश्र को नया लोकायुक्त बनाने का फैसला देने के साथ इस मामले में मची खींचतान को लेकर तल्ख टिप्पणी भी की।