सीएस में दिलचस्पी से घट रही कोर ब्रांचेस में रुचि
लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ। अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी में इन दिनों बीटेक व एमटेक की काउंसलिंग चल रही है। काउंसलिंग में कंप्यूटर साइंस व आईटी ब्रांच को सबसे अधिक स्टूडेंट्स ऑप्ट कर रहे हैं। चाहे राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज हों या प्राइवेट कॉलेज, हर जगह सबसे पहले कंप्यूटर साइंस की सीटें भर रही हैं। इसके विपरीत इंजीनियरिंग की कोर ब्रांचेस जैसे सिविल इंजीनियरिंग, मकैनिकल और इलेक्ट्रिकल की तरफ स्टूडेंट्स का रुझान कम हो रहा है। इससे कॉलेजों में इन कोर्सों में सीटें कम हो जा रही हैं। कई प्राइवेट कॉलेज सीएस में ज्यादा दाखिलों के कारण इन तीनों ब्रांच की सीटें कम करके सीएस व आईटी ब्रांच में सीटें बढ़ा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बीते दो तीन साल से इस तरह का ट्रेंड कोर ब्रांचेस के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है। ऐसे में कॉलेजों को अवेयर करने की जरूरत है।
रोजगार की कमी से घट रहा क्रेज
एजुकेशनिस्ट प्रो। मनीष गौड़ का कहना है कि बीते लंबे समय से यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है। आईआईटी में तो ऐसी समस्याएं देखने को नहीं मिलती, लेकिन स्टेट यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट कॉलेजों में इस तरह का अंतर देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि इसकी सबसे बड़ी वजह कोर ब्रांचेस में रोजगार की कमी का होना है। हाल के वर्षों में सिविल, मकैनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में जॉब्स के विकल्प कम हुए हैं। सरकार ने सेल्फ इंम्पलॉयमेंट पर अधिक फोकस किया है। साथ ही जो वैकेंसी आई भी हैं, वे परमानेंट न होकर कॉन्टै्रैचुअल बेसिस पर की जा रही हैं। अगर स्टूडेंट इंजीनियरिंग करके निकलता है तो वह रिटर्न भी चाहता है। जो उसे कंप्यूटर साइंस ब्रांच में मिल रहा है। इस कारण भी कोर ब्रांचेस को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा विदेशों में भी आईटी सेक्टर में निकली वैकेंसी का भी इंपैक्ट देखने को मिलता है।बढ़ रही है परेशानी
करियर काउंसलर प्रो। विवेक मिश्रा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि मार्केट में मकैनिकल व सिविल इंजीनियरिंग की मांग नहीं है। स्टूडेंट्स खुद इन ब्रांच में नहीं जाना चाहते हैं। अगर आप इस समय की बात करें तो देखेंगे कि कॉलेजों में सीएस की सीटें फुल होने के बाद प्राइवेट कॉलेज उनको बढ़ाने की कोशिश करते हैं। लेकिन इन ब्रांचेस में दाखिला बढ़ाने की जरूरत है। ऐसा न करने पर आगे आने वाले समय में हमारे पास कोर ब्रांचेस के अच्छे कैंडीडेट नहीं होंगे, क्योंकि रोजगार की कमी का यह मतलब नहीं है कि इन ब्रांचेज की अहमियत कम हो गई हो या इनमें काम होना बंद हो गया हो।50 फीसदी से कम होते हैं दाखिलेऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के साल 2017 से 2021 के आंकड़ों को देखेंगे तो कंप्यूटर साइंस में 60 फीसदी के करीब दाखिले हुए हैं, वहीं कोर ब्रांचेस में ये दाखिले 40 फीसदी के आसपास हैं।जागरूकता बढ़ाने की जरूरतकरियर काउंसलर डॉ। डीके वर्मा का कहना है कि हम उस देश में हैं जहां पर नौकरियों का अभाव रहा है। ऐसे में जिस भी फील्ड में जॉब के ऑप्शन मिलते हैं वहां की तरफ रुझान बढ़ जाता है। ऐसे में कॉलेजों को स्टूडेंट्स व पेरेंट्स दोनों को जागरूक करने की जरूरत है। स्टूडेंट्स को कोर के साथ साथ अलाइड ब्रांचेज भी पढ़ना चाहिए।