दवा, मास्क और पोषण से ही भारत बनेगा टीबी मुक्त
- केजीएमयू में वर्ल्ड टीबी डे को लेकर हुआ कार्यक्रम
- पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन ने गोद लिया गांव LUCKNOW: टीबी की वजह से हर साल देश में करीब चार लाख लोगों की मौत हो जाती है जबकि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा अभी दो लाख से कम है इसलिए कोरोना के साथ हमें टीबी के खिलाफ भी अभियान चलाना होगा। यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ। वेदप्रकाश ने वर्ल्ड टीबी डे की पूर्व संध्या पर दी। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा चिनहट के उत्तरधौना गांव के साथ 25 टीबी मरीजों को गोद लिया जाएगा। उनको अन्य बीमारियों के प्रति भी जागरूक किया जायेगा। 40 प्रतिशत आबादी टीबी की चपेट मेंकार्यक्रम के दौरान डॉ। वेद प्रकाश ने बताया कि टीबी एक गंभीर बीमारी है। टीबी संक्रमण फेफड़े के साथ ही शरीर के किसी भी अंग में फैल सकता है। इस समय देश में लगभग 40 प्रतिशत आबादी टीबी संक्रमण से ग्रसित है। विश्व के 8 देश लगभग 2 तिहाई टीबी रोगियों के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें भारत सबसे ऊपर है। उन्होंने बताया कि गोद लिए गए गांव में जाकर लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करेंगे। लक्षणों को समझाने के साथ जांच की जाएगी ताकि शुरुआत में ही बीमारी का पता चलने से इलाज शुरू किया जा सके। सभी को टीबी से बचने के बारे में भी बताया जायेगा।
एक लाख रोगियों में 193 की होती मौत डॉ। राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि इस समय देश में हर एक लाख में 193 व्यक्ति टीबी से संक्रमित हैं। 2025 तक टीबी मुक्त भारत के तहत इसमें 80 फसदी कमी करके प्रति लाख 44 संक्रमित व्यक्ति तक लाना है। वहीं डब्ल्यूएचओ के मुताबिक देश में इस समय एक लाख संक्रमित व्यक्तियों में से 44 मौत हो रही हैं। इसे घटाकर प्रति लाख 3-4 तक ले जाना है। यह हैं टीबी के लक्षण - दो हफ्ते से अधिक खांसी का आना - बलगम आना - बलगम के साथ खून आना - सीने में दर्द - बुखार आना - भूख एवं वजन तेजी से कम होना।