LUCKNOW NEWS: अचानक सिर चकराए तो समझें मामला गड़बड़ है
LUCKNOW NEWS: लखनऊ (ब्यूरो)। लोग अकसर सिरदर्द, बदन दर्द, बीपी आदि को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जबकि यही समस्याएं आगे चलकर बेहद खतरनाक हो सकती हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक अगर लंबे समय से कोई दर्द बना हुआ है तो तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यह गंभीर बीमारियों के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। अस्पतालों की ओपीडी में करीब 80 फीसद मरीज ऐसी ही समस्याओं के साथ आते हैं।।।
अचानक तेज सिरदर्द, ज्यादा खतरनाक
केजीएमयू में न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ। आरके गर्ग ने बताया कि सिर दर्द दो तरह का होता है। इसमें पहली बार हुआ तेज सिर दर्द काफी खतरनाक होता है। वहीं, बार-बार होने वाला सिर दर्द मानसिक या माइग्रेन के कारण हो सकता है। वहीं अचानक होने वाला सिर दर्द का कारण ब्रेन ट्यूमर भी हो सकता है। वहीं ऐसा सिर दर्द ब्रेन हैमरेज का कारण भी बन सकता है। पहली बार हुए तेज सिर दर्द का कारण जानने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है। ओपीडी में सिर दर्द की समस्या को लेकर रोज 400 से अधिक मरीज आते हैं। इसमें एक फीसद ऐसे होते हैं, जिन्हें अचानक तेज सिर दर्द होता है।
पेट दर्द के 90 फीसद मरीज
केजीएमयू के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के हेड डॉ। सुमित रूंगटा ने बताया कि एक्यूट पेन यानि हल्का फुल्का दर्द बना रहे तो डॉक्टर को दिखाएं। इसे गैस की समस्या न मानें। पेट दर्द की समस्या 4-5 माह से है, लो बीच-बीच में ठीक हो जाती है, सांस फूलने लगती है, सीने में दर्द भी होता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। पेट के निचले हिस्से का दर्द अपेंडिक्स के चलते होता है। पेट दर्द के साथ कब्ज, खून की कमी, वजन कम हो रहा हो तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। ओपीडी में रोज इस तरह के करीब 500 मरीज आते हैं। इसमें, क्रोनिक के 90 फीसद और एक्यूट के 5 फीसद मरीज होते हैं। ऐसे मरीजों को खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
सर्दी-जुकाम को न लें हल्के में
लोहिया संस्थान के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ। विक्रम सिंह ने बताया कि ओपीडी में रोज 300 से अधिक मरीज आते हैं। इसमें 30 से 40 फीसद मरीज सर्दी-जुकाम और बदन दर्द वाले होते हैं। इन समस्याओं के साथ अगर सांस तेज हो, व्यक्ति पहले से शुगर का मरीज हो, उसे अस्थमा हो तो इसे और गंभीरता से लेना चाहिए। ये बड़ी बीमारियों के लक्षण हो सकते हैं। सर्दी-जुकाम और बदन दर्द में पेन किलर या एंटीबायटिक लेना जोखिम भरा हो सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा नहीं लेनी चाहिए।
केजीएमयू के एमएस और मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु के मुताबिक 35 वर्ष के बाद हर छह माह से लेकर साल में बीपी जरूर नपवाना चाहिए। अगर किसी को सिरदर्द या धड़कन महसूस हो रही हो तो बीपी चेक कराए। आफिस वर्क करने वाले इसका विशेष ध्यान रखें। बीपी हमेशा सुबह नापना चाहिए। वैसे तो नीचे का 60 से 80 ऊपर का 100 से 140 तक बीपी नार्मल माना जाता है, लेकिन 130-140 को प्री हायपरटेशन माना जाता है। कम बीपी होने पर नमक का इनटेक देना होता है। ओपीडी में रोज 30 से 40 फीसद हायपरटेंशन वाले मरीज आते हैं। हार्ट की बीमारी, हाई अटैक वाले और सेप्सिस या फिर हार्मोनल बीमारी वाले मरीजों में लो बीपी की समस्या ज्यादा होती है। सरकारी अस्पतालों में संख्या अधिक
बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल में भी पेट दर्द, सिरदर्द, बदन दर्द और सर्दी-जुकाम के मरीज बड़ी संख्या में आते हंै। जहां इनकी संख्या 60 से 70 फीसदी तक रहती है। जो अधिकतर मेडिसिन विभाग में आते हैं।
अगर सिरदर्द पहली बार तेज और अचानक हो तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह ब्रेन हैमरेज का लक्षण हो सकता है। सिरदर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
- प्रो आरके गर्ग, हेड, न्यूरोलॉजी, केजीएमूय
- डॉ सुमित रूंगटा, हेड, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी, केजीएमयू बीपी की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह साइलेंट किलर होता है। लोगों को 35 साल के बाद रेगुलर बीपी नापते रहना चाहिए।
- डॉ डी हिमांशु, एमएस, केजीएमयू अगर सर्दी-जुकाम के साथ सिरदर्द लगातार बना हुआ है तो उसे गंभीरता से लें, क्योंकि यह गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
- डॉ विक्रम सिंह, हेड, मेडिसिन विभाग, लोहिया संस्थान