30 की उम्र से पहले बीपी है गड़बड़ तो किडनी पर भी खतरा
लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आपको 30 वर्ष की उम्र में ही हाइपरटेंशन यानि बीपी की समस्या है, तो सतर्क हो जाएं, क्योंकि यह लक्षण किडनी की बीमारी का भी हो सकता है। ऐसे में किसी अच्छे नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाकर अपनी जांच कराएं, क्योंकि करीब 21 पर्सेंट मामले में हाइपरटेंशन की वजह किडनी की समस्या के चलते हो सकती है। ऐसे में अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की सख्त जरूरत है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। नारायण प्रसाद ने दी।किडनी की वजह से बीपी की समस्या
प्रो। नारायण प्रसाद ने बताया कि किडनी की खराबी से भी हाइपरटेंशन हो सकता है, जिसे सेकेंडरी हाइपरटेंशन कहा जाता है। परिवार में हाइपरटेंशन की समस्या है तो सतर्क रहने की जरूरत है। इसकी वजह से दूसरों में भी यह समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, अगर किसी को क्रोनिक किडनी की समस्या है तो 80 पर्सेंट लोगों में बीपी की समस्या होती है। ऐसे में 30 उम्र से कम में बीपी हो तो किडनी के डॉक्टर को दिखाएं। बीपी हाई होता है, तो किडनी के अंदर ब्लड वेसल्स में इंजरी होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है तो गंभीर बीमारी हो जाती है। आर्गन भी डैमेज होने लगते हैं।बीपी की जानकारी ही नहीं
केजीएमयू नेफ्रालॉजी विभाग के हेड डॉ। विश्वजीत सिंह के मुताबिक, तेज और मसालेदार भोजन खाने से लोगों में हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ जाती है। पर हर उम्र वर्ग में ब्लड प्रेशर के कारण या जोखिम अलग हो सकते हैं। महिला और पुरुषों में हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी भिन्न होते हैं। चिंता की बात यह है कि 50 से 60 फीसदी लोगों को ब्लड प्रेशर की जानकारी नहीं होती है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर की जांच करानी चाहिए।बच्चों में भी ब्लड प्रेशर की समस्या
ब्लड प्रेशर की समस्या अमूमन बड़े लोगों में देखी जाती है। पर कई रिसर्च में पाया गया है कि दुबल-पतले बच्चों में भी हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के डॉ। नरसिंह वर्मा ने बताया कि बहुत से बच्चों के परिवार में भी ब्लड प्रेशर का इतिहास नहीं मिला, लेकिन इसके बावजूद बच्चों में यह समस्या देखने को मिल रही है। इसकी बड़ी वजह तनाव, मोबाइल का अधिक इस्तेमाल, पढ़ाई व होमवर्क का दबाव, खेलकूद की गतिविधियां कम होने से समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। इसके अलावा खानपान का तरीका भी बदल गया है, जिसकी वजह से बच्चों में यह समस्या बढ़ रही है।इन लक्षणों पर रखें नजर- सिरदर्द- सांस फूलना- थकान या भ्रम- छाती में दर्द- पसीना आनाऐसे करें बचाव- नमक का सेवन कम करें- संतुलित भोजन लें- एक्सरसाइज करें- तला-भुना खाने से बचें- जंक फूड न खाएं- रोजाना टहलें