लखनऊ में सबसे ज्यादा हो रही गांजा और स्मैक की सप्लाई
लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में नशा तस्करी पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। पुलिस तस्करों के खिलाफ एक्शन तो लेती है, पर इस काले कारोबार पर लगाम नहीं लग पा रही है। राजधानी में एसटीएफ, एनसीबी और पुलिस की टीम ने पिछले दिनों कई गिरोह का भंडाफोड़ भी किया है, जिसके जरिए पता चला कि शहर में सबसे ज्यादा गांजा, चरस और फिर स्मैक का कारोबार हो रहा है। हैरानी की बात है कि यह नशा आसानी से शहर की कई गलियों में मिल जाता हैपुड़िया बनाकर नशा सप्लाई
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पहले के मुकाबले राजधानी में नशा तस्करी को काफी हद तक कंट्रोल कर लिया गया है। हालांकि, आए दिन अभी भी इनकी गिरफ्तारियां होती रहती हैं। कई बार इनसे बड़ी क्वांटिटी तो कई बार कुछ ग्राम ही नशा मिलता है। अगर आंकड़ों की बात करें तो शहर में सबसे ज्यादा गांजा सप्लाई के साथ-साथ चरस और स्मैक शामिल है। इन तस्करों से पूछताछ में पता चलता है कि ये लोग यूपी के अलग-अलग हिस्सों और दूसरे राज्यों से बड़ी खेप में नशा मंगवाते हैं और नशे की पुड़िया बनाकर सप्लाई करते हैं।60 परसेंट तक कमाई
आंकड़ों के मुताबिक, लखनऊ की आशियाना पुलिस ने सात नशा तस्करों को नशा सप्लाई के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से पुलिस ने एक क्विंटल पांच किलो गांजा बरामद हुआ था। वे नशे की पुड़िया बनाकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई करते थे। इसके अलावा आए दिन नशा तस्करों को पुलिस पकड़ती रहती है। पूछताछ में नशा तस्कर बताते हैं कि अलग-अलग नशे के किस्म में अलग-अलग प्रॉफिट फिक्स रहता है। गांजा में लगभग 50 से 60 प्रतिशत मुनाफा हो जाता है। यही वजह है कि कई तस्कर लंबे समय से इस गोरखधंधे में शामिल हैं।नशे के कारोबार का नेटवर्कनशे की लत सबसे ज्यादा युवाओं में देखी जा रही है। इस जहरीले कारोबार में ज्यादातर माफिया व ईनामी अपराधी शामिल हैं। ये उन लोगों को भी अपने धंधे में शामिल करते हैं जो मजदूर तबके के हैं और शहरों में जॉब की तलाश में आते हैं। अधिकारी ये भी बताते हैं कि चरस, गांजा व स्मैक की सप्लाई में ऐसे वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है, जिनपर किसी को शक भी नहीं होता है। इतना ही नहीं, जिन वाहनों पर इसे सप्लाई किया जाता है, उनके आगे पीछे भी नशा माफिआयों के गुर्गे रेकी करते रहते हैं।यहां-यहां से पहुंचता है नशा
गांजा-गांजा की सप्लाई ज्यादातर छत्तीसगढ़, उड़ीसा भवानी, नाल्को सोनपुर और बरगढ़ से होता है, जहां की पहाड़ियों में इसका सबसे ज्यादा प्रोडक्शन होता है। यहां से यह बिहार छत्तीसगढ़ के पूर्वी यूपी तक पहुंचता है, इसके बाद कई जगहों पर इसको सप्लाई किया जाता है।चरस- चरस नेपाल के बढ़नी, सोनौली से बीरगंज बार्डर से बिहार यूपी समेत अन्य कई जिलों तक पहुंचता है। इसके बाद नशा तस्कर इसको आगे सप्लाई करना शुरू कर देते हैं।हेरोइन- बताया जाता है कि हेरोइन सबसे ज्यादा पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश से असम, पश्चिम बंगाल के रास्ते इंडिया में सप्लाई की जाती है।अफीम- पुलिस अधिकारी बताते हैं कि अफीम अफगानिस्तान समेत आसपास की जगहों से सबसे ज्यादा इंडिया सप्लाई की जाती है। साथ ही, झारखंड के कई हिस्सों से होकर भी अलग-अलग जगहों पर इसको सप्लाई किया जाता है।कितना पकड़ा गया नशानशा किलोग्रामगांजा 1476.08चरस 172.68स्मैक 4.23
अफीम 41.4ब्राउन शुगर 3.01हेराइन 4.39(नोट-यह आंकड़ा जनवरी से 13 जुलाई तक)