लखनऊ के लोहिया अस्पताल में दिल के मरीजों को करना पड़ रहा इलाज के लिए लंबा इंतजार
लखनऊ (ब्यूरो)। लोहिया संस्थान की कार्डियोलॉजी में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से मरीज इलाज के लिए आते हैं। पर यहां की ओपीडी में डॉक्टर को दिखाना जितना मुश्किल है, उससे ज्यादा मुश्किल जांच और सर्जरी करवाना है। मरीजों के लोड के कारण यहां लंबी वेटिंग चल रही है जबकि हार्ट पेशेंट के लिए एक-एक पल बेहद महत्वपूर्ण होता है। मरीजों को यहां अपना इलाज करवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।केस 1लखनऊ निवासी सविता यादव को दिल की समस्या है। पर्चा न बनने की वजह से वह डॉक्टर को नहीं दिखा पाईं। जिसकी वजह से परिजन उनको दूसरे दिन फिर दिखाने के लिए पहुंचे हुए थे।केस 2
वाराणसी से आये अनुराग प्रसाद ने बताया कि पिता को 60 फीसदी हार्ट ब्लॉकेज है, स्टेंट लगवाना पड़ेगा, पर इसके लिए वेटिंग दी गई है। उनकी तबियत ज्यादा ठीक नहीं है। ऐसे में उन्हें काफी समस्या हो रही है।केस 3बलरामपुर निवासी मो। शिराज ने बताया कि पत्नी की सर्जरी होनी हैै। पर डॉक्टर ने जो सर्जरी की डेट दी थी उस दिन आये तो आगे किसी डेट पर आने को कहा गया है। बार-बार दूर से आने में बहुत दिक्कत होती है।रोज 200 से अधिक आते हैं मरीज
लोहिया संस्थान के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में 8 फैकल्टी हैं, जिसमें 5 पर्मानेंट और 3 कांट्रैक्ट बेस्ड स्टाफ है जबकि 12 रेजिडेंट्स हैं। विभाग में करीब 50 बेडों पर भर्ती की सुविधा है। हालांकि, विभाग में एक भी वेंटिलेटर नहीं है, पर 23 एचडीयू बेड की सुविधा जरूर है। वहीं, ओपीडी में रोजाना 200-225 मरीज दिखाने के लिए आते हैं। इसके अलावा यहां रोजाना 10-15 एंजियोप्लास्टी और 20 के करीब एंजियोग्राफी की जाती है। विभाग में बेड अकसर फुल रहते हैं, जिसकी वजह से कई बार गंभीर मरीजों को दूसरे संस्थान रेफर करना पड़ता है।प्रोसिजर तक में होती है समस्या
इस विभाग में मरीजों का लोड सबसे अधिक है। जिसकी वजह से मरीजों को डॉक्टर को दिखाने से लेकर जांच और सर्जरी तक में लंबी जद्दोजहद करनी पड़ती है। हालांकि, गंभीर मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज दिया जाता है। वहीं, एंजियोप्लास्टी से लेकर स्टेंट पड़वाने के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। विभाग में बेड न खाली होने की वजह से कई बार सर्जरी तक टालनी पड़ती है। जिसकी वजह से दूसरे जनपदों से आये मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई दिन शहर में रुकने की वजह से उनपर आर्थिक बोझ भी बढ़ जाता है।गंभीर मरीजों को प्राथमिकतासंस्थान प्रशासन के मुताबिक, मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर देखा जाता है। जहां हार्ट अटैक और पेसमेकर वाले मरीजों को देखने से लेकर सर्जरी तक में प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि इनके लिए हर सेकेंड बेहद कीमती होता है। जिसके कारण कई बार अन्य मरीजों को थोड़ा इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, इसके बावजूद एंजियोप्लास्टी या अन्य प्रोसिजर को लेकर कोई वेटिंग नहीं है। सभी मरीजों को समय पर देखा और सर्जरी की जाती है। बेड ही उपलब्धता होने पर सर्जरी के लिए बुलाया जाता है ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो।क्या बोले जिम्मेदारसभी मरीजों को देखा जाता है। गंभीर मरीजों को प्राथमिकता दी जाती है। मरीजों का लोड अधिक है इसलिए इलाज में कुछ समय लग जाता है। - डॉ। भुवन चंद्र तिवारी, प्रवक्ता, लोहिया संस्थानबोली पब्लिकराजधानी के कई बड़े सरकारी अस्पतालों में हार्ट पेशेंट को संघर्ष करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण मरीजों की तुलना में उतनी व्यवस्था न होना है। साथ ही, पर्याप्त मशीनें और स्टाफ भी नहीं है, जिसकी वजह से मरीजों को दिक्कत होती है।-पूनम पांडे
हार्ट पेशेंट के लिए हर समय किमती होता है, पर सरकारी संस्थानों में मरीजों की अधिक भीड़ के कारण समस्या होती है। कई अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी भी बड़ी वजह है। सरकार को डॉक्टर्स की संख्या बढ़ानी चाहिए।-समर्थ श्रीवास्तवअगर दूसरे जनपदों में ही अच्छी व्यवस्था मिल जाये तो राजधानी के अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम हो सकती है। क्योंकि एक मरीज को देखने में काफी टाइम लगता है, जिसकी वजह से मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।-तालिब