Happy Teachers' Day: भारत में गुरु के सम्मान की परंपरा हजारों साल पुरानी है। कहा भी जाता है कि हर वह शख्स जिससे आपको कुछ सीखने को मिले वह गुरु के समान होता है। राजधानी में कई ऐसे गुरु हैं जो अपनी प्रोफेशनल लाइफ से वक्त निकालकर यंगस्टर्स को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। भारत में गुरु के सम्मान की परंपरा हजारों साल पुरानी है। कहा भी जाता है कि हर वह शख्स जिससे आपको कुछ सीखने को मिले, वह गुरु के समान होता है। राजधानी में कई ऐसे गुरु हैं, जो अपनी प्रोफेशनल लाइफ से वक्त निकालकर यंगस्टर्स को शिक्षित करने का काम कर रहे हैं। फिर चाहे भविष्य का डॉक्टर या खिलाड़ी तैयार करना हो या लोगों को जागरूक करना हो। इस टीचर्स डे पर पेश है कुछ ऐसे ही यूनीक टीचर्स की कहानी पर अनुज टंडन की रिपोर्टबच्चों को फ्री में सिखा रहीं योगा


हेल्दी और फिट रहने के लिए योगासन से बढ़िया कुछ नहीं है। मैं कई वर्षों से योगा सिखा रही हूं, जिसमें बच्चों से लेकर बड़े तक शामिल होते हैं। यह एक ऐसी विधा है, जिसे जितना बांटो, उतना ही अच्छा है। मैंने बच्चों को फ्री में सिखाना शुरू किया। जहां ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को हफ्ते में एक-दो दिन सिखाती हूं। इसके अलावा, कोविड टाइम में ऑनलाइन माध्यम से करीब 5 लाख से अधिक लोगों को फ्री में योगा सिखाया था। अगर लगता है कि कोई फीस नहीं दे सकता तो उसकी फीस माफ कर देते हैं। अगर कोई अन्य मदद भी चाहिए होती है तो हर संभव प्रयास करते हुए मदद करते हैं। आज मेरे सिखाये लोग दूसरों को योग सिखा रहे हैं। एक तरह से कहा जाये तो समाज को हेल्दी और फिट रखने में मेरे प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।डॉ। मालविका बाजपेयी, योगा टीचरनीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स की मददजब मैं मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था, तब कई तरह की समस्याएं आती थीं। उस दौरान कोई ज्यादा मदद भी नहीं मिलती थी। इसलिए जब डॉक्टर बना तो मन में आया कि जो समस्याएं मैंने झेलीं, वे मेरे जैसे कई और भी झेल रहे होंगे। इसी को देखते हुए मैंने नीट की तैयारी कर रहे बच्चों की मदद करना शुरू किया। उनको अपने पुराने नोट्स देना, ऑनलाइन उनकी समस्या का समाधान करना, उनको एग्जाम की तैयारी में मदद करना आदि शुरू किया। यह करते-करते मुझे 2 साल से अधिक का समय हो चुका है। अबतक सैकड़ों बच्चों की मदद कर चुका हूं, जिनमें कई डॉक्टरी की पढ़ाई भी कर रहे हैं। अच्छा लगता है जब आपके अनुभव दूसरों के काम आते हैं।डॉ। शशांक सिंह, लोहिया संस्थानयुवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ा रहे

मैं इंडियन हॉकी टीम का कैप्टन रह चुका हूं। उस दौरान कई बच्चे मेरे पास हॉकी के गुर सीखने आया करते थे। मैं समय निकालकर उन्हें हॉकी सिखाया करता था। उनमें से कई बच्चे आगे चलकर अच्छे लेवल पर हॉकी खेलने लगे। इसके बाद मैंने हॉकी की कोचिंग देना शुरू किया। जो मैं बीते पांच वर्षों से कर रहा हूं। जरूरतमंद और मेहनती बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए जो संभव मदद होती है, अपने स्तर से करता हूं ताकि उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाया जा सके। फिर चाहे वो फाइनेंशियली हो या कोई अन्य मदद। मेरा मकसद युवा प्रतिभा को आगे बढ़ाना है। अब तक कई बच्चों की मदद कर चुका हूं। किसी अभाव में प्रतिभा का पलायन नहीं होना चाहिए।-रजनीश मिश्रा, हॉकी कोचनए कानून के बारे में कर रहे अवेयर

देश में जुलाई माह से आईपीसी में बदलाव कर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) कर दिया गया है। जिसमें बीएनएस की नई धाराओं के साथ महिला अपराध संबंधित नए कानून की जानकारी का अभाव देखने को मिला। इसी को देखते हुए मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करना शुरू किया। युवा खासतौर पर मुझसे जुड़ते हैं। जहां फ्री टाइम में वीडियो और ऑनलाइन के माध्यम से युवाओं को बीएनएस के बारे में जानकारी और उनके सवालों का जवाब देने की कोशिश करता हूं। अबतक सोशल मीडिया के माध्यम से हजारों लोगों को इसमें शामिल कर चुका हूं। जो अब एक्सपर्ट बनकर दूसरों में अवेयरनेस फैला रहे हैं।-अजय कुमार, पुलिस विभाग

Posted By: Inextlive