Lucknow News: कैंसर की बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है। मरीज बढ़ रहे हैं पर मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट्स की संख्या बेहद सीमित है। आलम यह है कि राजधानी के प्रमुख सरकारी संस्थानों में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग एक ही डॉक्टर के भरोसे चल रहा है।


लखनऊ (ब्यूरो)। कैंसर की बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है। मरीज बढ़ रहे हैं पर मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट्स की संख्या बेहद सीमित है। आलम यह है कि राजधानी के प्रमुख सरकारी संस्थानों में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग एक ही डॉक्टर के भरोसे चल रहा है। विभिन्न विभागों में भी कैंसर के मरीज आते हैं, पर डेडिकेटेड ओपीडी की संख्या बेहद कम है। जिसके चलते कैंसर मरीजों के ट्रीटमेंट पर असर पड़ रहा है।केजीएमयूडॉक्टर पर मरीजों का ओवरलोड100-150 तक मरीज आते हैं रोज


केजीएमयू में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग है। जहां 3 डॉक्टर पोस्टेड हैं, पर फिलहाल एक ही डॉक्टर के भरोसे विभाग चल रहा है, जिसके कारण सप्ताह में केवल तीन दिन ही ओपीडी चल पाती है। हर ओपीडी में 100-150 तक मरीज आते हैं। यह संख्या कभी-कभी अधिक भी हो जाती है। इसमें 30-35 तक नए मरीज होते हैं, लेकिन ये वे मरीज होते हैं जिनमें अधिकतर का केस खराब हो चुका होता है। वहीं, मरीजों का लोड इतना अधिक है कि उनको 1-2 माह तक की वेटिंग मिल रही है। दरअसल, यहां प्रदेश समेत अन्य राज्यों और नेपाल तक से भी मरीज आते हैं। यहां पर ऑन्कोलॉजी सर्जरी विभाग भी है, जहां 8 पोस्ट में 2 पद खाली हैं। यहां रोजाना 8-10 सर्जरी ही की जा रही हैं।

लोहिया संस्थानमरीजों की चल रही लंबी वेटिंग100-125 के करीब मरीज आते हैं रोजलोहिया संस्थान के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉक्टर के 3 पद हैं, पर विभाग में केवल एक ही डॉक्टर तैनात है। वह भी बॉन्ड पर तैनात है। यहां भी ओपीडी सप्ताह में तीन दिन ही चलती है। जहां 100-125 के करीब मरीज हर ओपीडी में आते हैं। एक डॉक्टर होने के कारण मरीजों को देखने का सिलसिला देर शाम तक चलता है। यहां मरीजों को एक माह तक का इंतजार करना पड़ता है।एसजीपीजीआईसुपर स्पेशियलिटी संस्थान का फायदा150 से अधिक मरीज रोज इलाज को पहुंचते हैं

संजय गांधी पीजीआई में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ही नहीं है। यहां के रेडियोथेरेपी विभाग में पहले एक मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट तैनात था। पर अब वह संस्थान छोड़कर जा चुका है। यहां पर रेडियोथेरेपी विभाग के तहत कैंसर मरीजों को देखा जा रहा है। जहां रोजाना 150 से अधिक मरीज दिखाने के लिए पहुंचते है। इसमें 30-40 नए मरीज होते हैं। अलग-अलग विभागों में भी मरीज आते हैं। संस्थान अधिकारियों के मुताबिक, हम लोग सुपर स्पेशियलिटी संस्थान हैं। ऐसे में मेडिकल या सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की इतनी जरूरत नहीं है। क्योंकि कैंसर के मरीज रेडियोथेरेपी विभाग में देखे जा रहे हैं। इसके अलावा, सर्जरी के लिए एंडोक्राइन सर्जरी, गैस्ट्रो सर्जरी, रेडियोथेरेपी विभाग समेत अन्य विभागों में सर्जरी की जा रही है। पर इसके बावजूद यहां दिखाने के लिए 1-2 माह की वेटिंग चल रही है। सर्जरी में तो 4-6 माह तक की वेटिंग चल रही है, जिसके चलते मरीजों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है।कैंसर संस्थानदूसरे संस्थान किए जाते हैं रेफर150-200 तक मरीज रोज दिखाने पहुंच रहेकल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान पूरी तरह कैंसर मरीजों के लिए ही बना है। पर अभी यहां मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग नहीं है। ऐसे में मरीजों को पीजीआई या दूसरे संस्थान रेफर किया जा रहा है। यहां रोजाना 8-10 सर्जरी ही की जा रही है, जिससे सर्जरी के लिए लंबी वेटिंग चल रही है। ओपीडी में 150-200 तक मरीज दिखाने के लिए पहुंच रहे है।हम सुपर स्पेशियलिटी संस्थान हैं, इसलिए अलग से मेडिकल या सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की जरूरत नहीं है। अन्य विभागों में मरीज देखे जा रहे हैं।-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, पीजीआईसभी मरीजों को देखा जाता है। जो ज्यादा गंभीर मरीज आते हैं, उनको प्राथमिकता के आधार पर देखा जाता है।-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू
मेडिकल ऑन्कोलॉजी की ओपीडी तीन दिन चलती है, जहां सभी मरीज देखे जा रहे हैं। जल्द ही खाली पद भरे जायेंगे।-डॉ। भुवन चंद्र तिवारी, प्रवक्ता, लोहिया संस्थानमेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में जल्द ही भर्ती की जाएगी। अभी मरीजों को पीजीआई आदि संस्थान रेफर किया जा रहा है।-डॉ। देवाशीष शुक्ला, एमएस, कैंसर संस्थान

Posted By: Inextlive