Ganesh Chaturthi 2024 in Lucknow: राजधानी में एक ओर गणेश उत्सव की धूम मची हुई है। जहां विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर बप्पा का विसर्जन भी लगातार जारी है। जहां ढोल-ताशों संग भक्त नाचते-गाते हुए जा रहे हैं। इस दौरान हर कोई गणपति की भक्तिरस में सराबोर नजर आया।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में एक ओर गणेश उत्सव की धूम मची हुई है। जहां विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, बप्पा का विसर्जन भी लगातार जारी है। जहां ढोल-ताशों संग भक्त नाचते-गाते हुए जा रहे हैं। इस दौरान हर कोई गणपति की भक्तिरस में सराबोर नजर आया।विभिन्न आयोजन किए गये
श्री गणेश प्राकट्य कमेटी के तत्वावधान में झूलेलाल वाटिका में गणेशोत्सव के सातवें दिन सुबह मनौतियों के राजा के समक्ष सिंदूराभिषेक की विशेष पूजा हुई। जो आकर्षण का केंद्र बनी रही। अयोध्या और बनारस से आये आचार्यों ने पूरे विधि-विधान व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान गणेश के सहस्त्र नामों के साथ सिंदूराभिषेक पूजन संपन्न कराया। शाम को कोलकाता के संजय शर्मा के निर्देशन में नारी स्वाभिमान की रक्षा करने वाली श्री रानी सती दादी जी की महिमा पर एक नृत्य नाटिका के माध्यम से दिखाया गया। वहीं, शुभ संस्कार समिति द्वारा आयोजित श्री गणेश जन्मोत्सव समारोह के सातवें दिन सुबह बड़ा शिवाला में हवन संपन्न हुआ। उसके उपरांत धूमधाम से मेटल मूर्ति के गणपति जी रथ पर सवार होकर कुड़ियाघाट गोमती के जल से स्नान कराया गया। दीपावली पूजन के लिए गणपति जी वापस मंदिर में विराजमान हो गए। इस दौरान आचार्य गिरजा शंकर दीक्षित, लक्ष्मीकांत पांडे, रिद्धि किशोर गौड़ आदि मौजूद रहे।ढोल ताशों संग हुआ विसर्जनगणेश उत्सव मंडलए चौक द्वारा गणपति की भव्य मूर्ति का विसर्जन किया गया। शोभा यात्रा में सैकड़ों लोग सम्मलित थे। मराठी समाज द्वारा चौक चौराहे पर दही हांडी भी फोड़ी गई। शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण का केंद्र पुणे से आई हुई 70 लोगों की ढोल ताशे की टीम बनी। जिन्होनें जोश से अपना भक्ति भाव प्रदर्शित किया।****************************************10 लक्षण धर्म का छठा दिन उत्तम संयमदिगंबर जैन मंदिरों में सुगंध दशमी के दिन अहियागंज में विशेष रूप से समीर जैन के निर्देशन में सभी धार्मिक क्रियाएं संपन्न हुई। जिसमें सर्वप्रथम भगवान आदिनाथ को पनडु्कशीला पर विराजमान करके जल अभिषेक एवं शांति धारा संपन्न हुई। इसके बाद अष्ट द्रव्यों से पूजा करते हुए भगवान शीतल नाथ की जयमाला पढ़ने के उपरांत सभी जैन भक्तों ने विश्व शांति की कामना के साथ अग्नि में धूप की आहुति डाली। इस दौरान जैन गुरु ने कहा कि जहां तक इंद्रियों की मांग है, वहां तक मन की दौड़ है। संयम जीवन को पापी बनने से रोकता है संयम हमेशा श्रेष्ठ को पकड़ने की और को आश्रेष्ठ छोड़ने की बात करता है।

Posted By: Inextlive